लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के विमर्श से आयुर्वेदिक एवं यूनानी मेडिकल कालेजें में नीट परीक्षा के माध्यम से दाखिले के लिए घटाए गए प्रतिशत के आधार पर दाखिला लेने संबधी आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकारों के अपना इस प्रकरण में अपना जवाब पेश करना का समय प्रदान करते हुए अगली सुनवायी 12 नवंबर को नियत की है।
यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने प्रदीप कुमार चौधरी व अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया। सुनवाई के दौरान पूर्व आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उपस्थित थे।
ये भी देखें :जानिए ! क्यों सरदार पटेल को कहा जाता है भारत का ‘लौह पुरुष’
ये भी देखें : Statue of Unity : सबसे ऊँचा, सबसे शानदार.. लौह पुरूष है हमारा सरदार!
दरअसल केंद्र सरकार के आयुष विभाग ने आयुर्वेद एवं यूनानी मेडिकल कालेजों में भी नीट के जरिये दाखिले लेने की व्यवस्था कर दी है और दाखिलें के लिए नीट के अंक प्रतिशत में भी कमी कर दी है।
याचिकाकर्ताओं ने नीट के जरिये आयुर्वेद एव यूनानी मेडिकल कालेजों में दाखिले की व्यवस्था को गलत व नियमविरू द्ध करार देते हुए चुनौती दी है। कहा गया है कि नियमों के तहत आयुर्वेद एवं यूनानी कोर्सा में दाखिले की कोई समय सीमा नही है परंतु नीट में 25 साल समय सीमा तय कर दी गयी है। यह भी कहा गया है कि इन कोर्सो में दाखिले के लिए इंटरमीडियट में अंग्रजी विषय होना अनिवार्य नहीं था परंतु नीट में बैठने के लिए इंटर में अंग्रेजी होना अनिवार्य कर दिया गया है । इसी प्रकार यूनानी केर्स में दाखिले के लिए नियमतः उर्दू विषय अनिवार्य है परंतु नीट में इस विषय की परीक्षा नहीं ली जाती है। याचीगणें की ओर से कहा गया कि इन कारणों से बडी संख्या में योग्य अभ्यर्थी आयुर्वेद व यूनानी कोर्सो में दालिखें से महरूम हो रहे हैं।