UP: नए विधायकों की क्लास में CM योगी-सुमित्रा ताई ने दिए कई TIPS, किसी ने सुना तो कोई...
लखनऊ: यूपी की विधानसभा में पहली बार आए विधायकों को सियासी दिग्गजों से जहां नसीहत मिली, वहीं कुछ विधायक इन क्लासों में सोते हुए भी नज़र आए। वैसे दो दिन तक चली इस क्लास में जहां लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन समेत कई दलों के दिग्गजों ने नए विधायकों की बहुत सी मामलों पर आंखें खोलीं, वहीं विधायकों के सवालों ने जाहिर कर दिया कि नए विधायको में सीखने की जिज्ञासा बहुत है।
विधायकों की इस क्लास में उल्लू से लेकर पार्टी व्हिप, रामचरित मानस की चौपाई से लेकर शेर-ओ-शायरी, विशेषाधिकार से लेकर कर्तव्य तक का सहारा लेकर सबको विधाई गुर सिखाए गए।
जब उल्लू के जिक्र ने क्लास में हंसी बिखेऱी
अम्मार रिजवी ने अपनी क्लास में बताया, कि एक बार श्रीपति मिश्र के विधानसभा अध्यक्ष रहते जब उनकी पार्टी सरकार में थी, तो विपक्ष के विधायक ने कहा कि जनता की परेशानी को इन उल्लुओं को क्या बताएं। तो उन्होंने जवाब देने के लिए शौक बहराइची के शेर का इस्तेमाल किया और कहा कि 'बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है/ हर शाख पे उल्लू बैठें हैं अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा।' ऐसा कर उन्होंने न सिर्फ विपक्षी विधायकों को माकूल जवाब दे दिया, बल्कि माहौल भी हल्का बना दिया। उन्होंने यह तब कहा जब वह संबोधन, प्रस्ताव और भाषा के इस्तेमाल की क्लास ले रहे थे।
सोच-समझकर प्रश्न करें
पूर्व संसदीय कार्य मंत्री डॉ. अम्मार रिज़वी के मुताबिक, 'सदन से विधायकों को शिक्षा-दीक्षा दोनों प्राप्त होती है। इसलिए विधायकों को सदन में लगातार मौजूद रहना चाहिए। उन्होंने कहा, कि विधायकों को अपने क्षेत्र की समस्याओं को पूरी जिम्मेदारी साथ उठाना चाहिए। इसके साथ प्रश्न को बहुत ही सोच-समझकर और ईमानदारी के साथ प्रस्तुत करना चाहिए।'
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सही बात सही ढंग से उठाएं
अम्मार रिज़वी ने नए विधायकों को बधाई देते हुए कहा कि मर्यादा में रहकर अपनी बात को सरकार तक पहुचाने की नसीहत दी। अम्मार बोले, 'अगर सत्ता पक्ष या विपक्ष के कोई भी नए विधायक स्पीकर का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, तो एक ही रास्ता है कि सही बात सही ढंग से उठाई जाए।'
हर बार लहर नहीं रहती, दिग्गजों से आशीर्वाद लें
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जब नए विधायकों की क्लास ली, तो उन्होंने विधायकों को चेताया कि हर बार लहर नहीं रहती। दरअसल, ज्यादातर पहली बार के विधायक बीजेपी और सहयोगी दलों के हैं। जावडेकर ने कहा, कि 'इस बार लहर में जीत गए हैं हर बार लहर नहीं रहती। ऐसे में उन विधायकों से जाकर नए विधायक आशीर्वाद लें, जो 7-8 बार अपनी विधानसभा जीत चुके हैं। साथ ही उनसे यह भी गुर सीखें के जनता की अपेक्षा पर कैसे खरे उतरें।'
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सदन के बाहर सब अपराधी
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, कि विशेषाधिकार का कोई अलग से अर्थ नहीं है। विधानसभा सदस्यों को सदन में अपनी बात पूरी निर्भीकता के साथ रखने के लिए यह विशेषाधिकार मिला हुआ है। उन्होंने नवनिर्वाचित विधायकों को सुझाव देते हुए कहा कि सदन में जनता की समस्याओं को मर्यादा में रहकर उठायें। जावड़ेकर बोले, 'सदन में बोलने पर विधायकों के विरुद्ध कोई विधिक कार्रवाई संभव नहीं है।' पर यह भी बताने से नहीं चूके कि सारे नियम एक तरफ बस विधायक इस बात को याद रखें कि सारा विशेषाधिकार इस बात का है कि जनता की समस्या को सदन में उठाएं। इसके अलावा यह भी चेताया कि अगर कोई विधायक अपराधी है तो सदन के बाहर जाते ही उसका विशेषाधिकार उसे पवित्र नहीं बना देता। सदन के बाहर आते ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
शब्दों के चयन पर जोर
विधायकों की क्लास में शब्दों के इस्तेमाल पर भी खूब जोर दिया गया। नए विधायकों को बताया गया कि संसदीय भाषा का क्या महत्व है। अगर 'झूठ' शब्द का इस्तेमाल किया तो वह असंसदीय हो जाता है। वहीं, अगर उसी बात के लिए 'असत्य' शब्द का प्रयोग किया जाए तो उसे संसदीय माना जाता है।
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विशेषाधिकार के ज्यादातर मामलों में कार्यवाही नहीं
प्रकाश जावडेकर ने कहा, कि विशेषाधिकार के ज्यादातर मामलों में अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होंने एक डाटा पेश किया कि 17 साल में सिर्फ 2-3 मामलों में कार्रवाई हुई शेष में माफी देकर काम चला लिया गया है। उन्होंने बताया कि एक बार सुचेता कृपलानी को अखबार में सुचेता 'कुपलानी' लिख गया था पर संपादकों को माफी मांगनी पड़ी। इन दिनों विधायकों के आचरण की वजह से बहुत उंगलियां उठ रही हैं। उन्होंने मीडिया से भी पॉजिटिव रिपोर्टिंग करने की भी गुजारिश की।
सरकार चलाना सत्ता पक्ष का काम
यूपी के संसदीय कार्य एवं नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए कोई कुछ भी कह सकता है, लेकिन सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी सरकार चलाने की है। उन्होंने संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने के अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी। मनी बिल तथा फाइनेन्स बिल के अंतर को समझाया। संचित निधि एवं कंटिनजेन्सी निधि के बारे में भी जानकारी दी।
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'परहित सरसि धर्म नहीं भाई'
वहीं, सुरेश खन्ना ने कहा कि 'एक सफल जन प्रतिनिधि बनना है तो टाइम मैनेजमेंट, पेपर मैनेजमेंट के गुर सीखने होंगे।' उन्होंने विधायकों को बजट, संविधान तथा नियमावली पढ़ने की नसीहत दी। उन्होंने बात समझाने के लिए गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस की एक चौपाई सुनाई। कहा, कि विधायक ध्यान में रखें कि - ‘परहित सरिस धरम नहि भाई’ ।
योगी का मंत्र
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधायकों को कई पाठ पढ़ाए। कहा, 'आपलोग बिना कोई दबाव के काम करें। जनता के कार्य न करने वाले को पांच साल में जवाब मिल जाता है।' शलीनता की हिदायत दी और कहा, कि सदन में सबको शालीनता के साथ बातें रखनी चाहिए। यह अपने आप को निखारने का सुंदर मंच है। योगी ने विधायकों से दायरे में रहकर बातें करने की नसीहत दी और कहा, दायरे में रहकर कही गई बात महत्वपूर्ण और प्रभावी होती हैं। विधायकों को सदन में मौजूद रहने की बात करते हुए कहा कि विधायकों की मौजूदगी बहुत जरूरी है क्योंकि सदन में गायब रहने पर साख पर सवाल उठाता है।
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सुमित्रा ताई का नुस्खा
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पहली बार बने विधायकों को संसदीय परंपराओं का पालन करने की सीख दी। कहा, कि 'आपलोग सिर्फ जनता के प्रतिनिधि बने हैं, नेता नहीं। विधायक मतदाता का मार्गदर्शक नहीं होता।' महात्मा गांधी की बात का सहारा लेकर बताया कि जनता ने अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए आपको विधायक बनाया है, इसका हमेशा ध्यान रखिएगा।
ऐसे मिटाएं थकान
सुमत्रा महाजन ने विधायकों को थकान से बचने का नुस्खा भी दिया। कहा, 'जब कभी थकान लगे तो सिनेमा और नाटक भी देखना चाहिए। किताब पढ़ लेनी चाहिए। अच्छे माहौल के लिए मनोरंजक विषयों को भी तरजीह देनी चाहिए।' कहा, 'मैने तो लोकसभा सदस्यों को फिल्म 'दंगल' दिखवाई थी।' उनका कहना था कि सफल जनप्रतिनिधि बनने के लिए 'न' बोलना भी सीखना चाहिए। क्योंकि झूठा आश्वासन देने से विश्वसनीयता घटती है और नाराज होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती है। सुमित्रा महाजन ने विधायकों को माला पहनने और पैर छुआने से बचने की भी नसीहत दी।
कुछ ने किए सवाल, तो कुछ सो गए
इस दौरान विधायकों ने कई तरह के सवाल किए। सत्ता पक्ष के एक नए विधायक ने कहा, कि 'ये पार्टी व्हिप क्या होती है? पार्टी लाइन क्या होती है? कैसे पता चलेगा? वहीं, दो तीन विधायक सोते नज़र आए। चर्चित अमनमणि त्रिपाठी इस प्रबोधन कार्यक्रम में अपनी थकान मिटाते नज़र आए और बातों के बीच कुछ झपकियां चुरा लीं।
215 नवनिर्वाचित विधायक सिर्फ बीजेपी के
गौरतलब है कि इस बार की विधानसभा में बसपा के 9, अपना दल के 8, कांग्रेस के पांच, राष्ट्रीय लोकदल के 1, भारतीय समाज पार्टी के 4, सपा के 10 और बीजेपी के 215 विधायक पहली बार चुनकर आए हैं। नवनिर्वाचित विधायकों के प्रशिक्षण के पहले दिन राज्यपाल राम नाईक, सीएम योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने भी संबोधित किया। ताकि आगे आने वाले विधानसभा सत्रों में वह पूरी जानकारी के साथ बैठें और अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।