रोटोमैक फर्जीवाड़ा: विक्रम कोठारी को सर्जरी कराने के लिए मिली आठ हफ्ते की जमानत

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने के मामले में जेल में बंद मेसर्स रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन विक्रम कोठारी को शुक्रवार को खराब सेहत को देखते हुए उन्हें सर्जरी कराने के लिए आठ हपते की जमानत दे दी है।

Update:2019-01-11 20:17 IST

विधि संवाददाता

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने के मामले में जेल में बंद मेसर्स रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन विक्रम कोठारी को शुक्रवार को खराब सेहत को देखते हुए उन्हें सर्जरी कराने के लिए आठ हपते की जमानत दे दी है। कोर्ट ने कोठारी को जमानत देते हुए उन पर कई बंदिशें लगाई हैं और साथ ही उन्हें अपना पासपोर्ट विचारण अदालत में जमा करने तथा कोर्ट को अपनी लोकेशन की सूचना देते रहने के आदेश दिये हैं। कोर्ट ने कोठारी को आदेश दिया है कि आठ हफ्ते बीतते ही वह सरेंडर कर देंगे और हलफनामा दायर कर हाई कोर्ट को इस संबध मे सूचना देंगे।

यह आदेश जस्टिस ए आर मसूदी की बेंच ने विक्रम कोठारी की अर्जी पर सुनवायी करते हुए पारित किया। कोर्ट ने पूर्व में 30 नवंबर 2018 को कोठारी की नियमित जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। बाद में कोठारी की ओर से मेडिकल समस्याओं को आधार बनाते हुए थोड़े समय के लिए जमानत देने की मांग की थी ताकि वह सर्जरी करा सकें। इस समय कोठारी जेल से एसजीपीजीआई में दाखिल हैं।

उल्लेखनीय है कि 18 फरवरी, 2018 को इस मामले की शिकायत बैंक ऑफ बड़ौदा, कानपुर के रीजनल मैनेजर बृजेश कुमार सिंह ने मेसर्स रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ ही इसके चेयरमैन विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी व बेटे राहुल कोठारी तथा बैंक के अज्ञात अफसरों के खिलाफ सीबीआई में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक मेसर्स रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने आपराधिक षडयंत्र व धोखाधड़ी के जरिए बैंक ऑफ इंडिया, ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स, बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र्र, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया व इंडियन ओवरसीज बैंक को करोडों का चूना लगाया है।

शिकायत में कहा गया था कि इन सात बैंको ने अभियुक्तों की कंपनी को नॉन फॅड बेस्ड और फंड बेस्ड 2129 करोड की लिमिट मंजूर की थी। जिसके एवज में कंपनी पर 2919.39 करोड का बकाया है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने 435 करोड़ की क्रेडिट की सुविधा कंपनी को दी थी। जिस पर 456.63 करोड की देनदारी कंपनी पर बनती है। चूकि यह फ्राड बड़ी रकम का है। इसलिए आशंका थी कि कंपनी के डायरेक्टर कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए देश छोड़ कर भाग सकते है। जबकि इसमें जनता का पैसा दांव पर लगा है। यदि ये विदेश भाग गए तो कई कानूनी पेचीदगियां सामने आएगी। बताते चलें कि कोठारी के बेटे राहुल की नियमित जमानत अर्जी 30 नवंबर को मंजूर हो चुकी है।

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