Sonbhadra News: उत्तर मध्य रेलवे से गुजरने वाली ट्रेनों का बदला रूट, 27 जुलाई तक बदले रूट से चलेंगी ट्रेनें
Sonbhadra News: उत्तर मध्य रेलवे से गुजरने वाली 7 ट्रेनों का रूट बदल गया है। 22 से 27 जुलाई तक बदले रूट से संचालन होगा।
Sonbhadra News: पूर्व मध्य रेलवे के चोपन जंक्शन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लागू करने के लिए किए जा रहे नान इंटरलॉकिंग कार्य के लिए चोपन से होकर गुजरने वाली 7 ट्रेनों का रूट 22 जुलाई से 27 जुलाई तक के लिए परिवर्तित कर दिया गया है। संबंधित ट्रेनों को चोपन की बजाय ओबरा रेलवे स्टेशन होते हुए गुजारा जाएगा।
मंगलवार की देर रात डीआरएम धनबाद आशीष बंसल ने ट्वीट के जरिए रूट परिवर्तन की जानकारी दी। ट्वीट के माध्यम से उन्होंने बताया है कि जबलपुर से चलकर हावड़ा के लिए जाने वाली स्पेशल ट्रेन शक्तिपुंज एक्सप्रेस का परिचालन 22 जुलाई से 26 जुलाई तक चोपन से होकर करने की बजाय, ओबरा सलईबनवा होते हुए ही किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग व्यवस्था शीघ्र
इसी तरह हावड़ा से चलकर जबलपुर के लिए जाने वाली शक्तिपुंज एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन 22 से 26 जुलाई तक चोपन से होकर करने के बजाए ओबरा सलाई बनवा से ही गंतव्य की तरफ गुजार दिया जाएगा।
पटना सिंगरौली एक्सप्रेस का परिचालन 22 से 26 जुलाई तक और सिंगरौली पटना एक्सप्रेस का परिचालन 23 से 26 जुलाई तक चोपन से करने के बजाय ओबरा से ही किया जाएगा। कोलकाता-मदार जंक्शन साप्ताहिक एक्सप्रेस को 22 जुलाई को चोपन न भेजकर ओबरा से ही गंतव्य के लिए डायवर्ट कर दिया जाएगा।
इसी तरह 24 जुलाई को कोलकाता- अहमदाबाद एक्सप्रेस स्पेशल को भी चोपन न भेजकर ओबरा-सलईबनवा से ही गंतव्य के लिए रवाना कर दिया जाएगा। इसी कड़ी में 26 जुलाई को चोपन से गुजरने वाली हावड़ा- भोपाल एक्सप्रेस को चोपन ना भेजकर ओबरा-सलईबनवा रुट से ही गंतव्य के लिए मोड़ दिया जाएगा।
बता दें कि मौजूदा समय इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लागू करने के लिए नान इंटरलॉकिंग का कार्य कराया जा रहा है। चोपन पूर्व मध्य रेलवे का महत्वपूर्ण जंक्शन एवं उत्तर मध्य रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे के बीच की कड़ी है। इसके कारण यहां इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग व्यवस्था शीघ्र प्रभावी हो जाए इसके लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं।
बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लागू होने के बाद चोपन रेलवे स्टेशन पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से भी लैश हो जाएगा। यहां से गुजरने वाली सभी ट्रेनें विद्युत पर चलने के कारण ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। अब रेलवे प्रशासन द्वारा की जा रही पहल से शीघ्र ही इसे मूर्त रूप मिलने की उम्मीद बढ़ आ गई है।