लखनऊ: बंगला विवाद में आरोपों से घिरे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए आने वाले दिनों में मुसीबतें फिर से बढ़ सकती है। योगी सरकार ने सपा के कार्यकाल में अपर निजी सचिव के 250 पदों पर हुई भर्तियों की सीबीआई जांच की सिफारिश केंद्र सरकार से कर दी है। इसके लिए गृह विभाग ने सभी प्रक्रिया को पूरी करते हुए पत्रावली केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेज दिया है।
बता दे कि उत्तर प्रदेश लोक एवा आयोग( यूपीपीएससी) के जरिए इन भर्तियों की प्रक्रिया मायावती सरकार में हुई थी लेकिन परीक्षा तीन चरणों में अखिलेश सरकार में हुई थीं।
ये है पूरा मामला
अखिलेश राज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से हुई भर्तियों की जांच सीबीआई को योगी सरकार ने सौंपी थी। इसके लिए 1 अप्रैल 2012 से लेकर 31 मार्च 2017 तक की भर्तियों की जांच सीबीआई ने शुरू की थी।
जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि 2010 में सचिवालय में अपर निजी सचिव के 250 पदों पर हुई भर्ती में भी घालमेल हुआ है। यह भर्ती प्रक्रिया 3 अक्तूबर 2017 को पूरी हुई थी।
सीबीआई ने इस मामले की जांच भी करने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को 19 जून 2018 को पत्र लिखकर इस मामले की भी जांच सीबीआई के सुपुर्द करने को कहा था। लेकिन यह मामला सीबीआई में न जाए इसके लिए सचिवालय के ही एक ग्रुप ने एड़ी चोटी का जोर लगा रखा था।
मामला राजभवन और विधान परिषद में भी गूंजा जिसके बाद इस मामले ने दोबारा तेजी पकड़ी और आखिर कार बीते दिनों गृह विभाग ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए केंद्र को चिट्ठी लिख दी।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि सचिवालय में अपर निजी सचिव के लगभग 250 पदों पर भर्ती में काफी शिकायतें मिली थी, जिसकी जांच सीबीआई से कराए जाने का निर्णय लिया गया है और पत्र सीबीआई को भेज दिया गया है।
अपात्र लोगों को दे दी गई थी नौकरी
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई को शिकायत मिली थी कि यूपीपीएससी के अज्ञात अधिकारियों ने कुछ अभ्यर्थियों की न्यूनतम अर्हता पूरी न होने के बावजूद उनकी भर्ती कर ली। इसमें सचिवालय में तैनात कई निजी सचिवों ने अपने रिश्तेदारों और नातेदारों तक को अपर निजी सचिव के पद पर नौकरी दिला दी थी।
इस मामले में जांच के दौरान सीबीआई ने यूपीपीएससी के सचिव से 19 मई को उक्त भर्ती के संबंध में जानकारी मांगी गई लेकिन आयोग के उप सचिव सत्य प्रकाश ने यह कहते हुए जानकारी देने से मना कर दिया था कि यह मामला सरकार की ओर से जांच के लिए निर्धारित की गई अवधि से बाहर का है। ऐसे में इससे संबंधित ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।
इसी के बाद सीबीआई के अपर निदेशक ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले की जांच भी सीबीआई से कराने के लिए अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया था।
सवालों के घेरे में पूरी प्रक्रिया
सचिवालय में अपर निजी सचिव के पद के लिए दिसंबर 2010 में मायावती शासनकाल भर्ती निकली थी। इस भर्ती के लिए अखिलेश सरकार में तीन चरणों में परीक्षा हुई। दो चरणों के परिणाम अखिलेश सरकार में ही आ गए जबकि अंतिम परिणाम 3 अक्तूबर 2017 को घोषित किए गए। सीबीआई को शिकायत मिली कि आयोग के ही कुछ अधिकारियों ने अपने निजी सचिवों व उनके रिश्तेदारों तक को अपर निजी सचिव की नौकरी दे दी। इसमें एक अधिकारी ने अपने निजी सचिव, निजी सचिव की पत्नी और निजी सचिव की साली को अपर निजी सचिव बना डाला। इसी तरह मुख्यमंत्री कार्यालय में पूर्व में तैनात रहे एक निजी सचिव ने भी अपने रिश्तेदारों को अपर निजी सचिव की नौकरी दिला दी।
कई बड़े चेहरे हो सकते है बेनकाब
सूत्रों का कहना है कि इस भर्ती में कई बड़े अधिकारी जो कभी पंचम तल पर तैनात रहे, उनके चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं। इसमें कई सीनियर बाबू भी हैं, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिला दी है। ऐसे में सीबीआई की जांच का आदेश होने से कई अधिकारियों व सचिवालय में तैनात बाबुओं की नींद उड़ गई है।
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