सेबी के डीजीएम को किसने और क्यों बंधक बनाया ?
रियल इस्टेट की पल्स ग्रुप की पीएसीएल कंपनी के निवेशकों का सब्र का बांध अब टूटने लगा है। इसका नमूना यहां उस समय देखने को मिला जब बड़ी संख्या में निवेशकों ने
देहरादून: रियल इस्टेट की पल्स ग्रुप की पीएसीएल कंपनी के निवेशकों का सब्र का बांध अब टूटने लगा है। इसका नमूना यहां उस समय देखने को मिला जब बड़ी संख्या में निवेशकों ने राजपुर रोड स्थित सेबी का कार्यालय घेर लिया। निवेशक न सिर्फ कार्यालय के अंदर घुस गए बल्कि डीजीएम को बंधक बनाकर सात घंटे तक कैद रखा। डीजीएम ने जब निवेशकों को एक सप्ताह में पैसे के भुगतान का आश्वासन दिया तब निवेशकों ने उन्हें रिहा किया।
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इससे पहले निवेशकों की भीड़ सेबी के दफ्तर में घुस गई और डीजीएम प्रशांत सैनी को उनके कक्ष से बाहर ले आई। इसके बाद उन्होंने एक दूसरे कक्ष में सैनी को बंधक बना लिया। सेबी के दफ्तर में दिन भर हंगामा चलता रहा शाम को करीब आठ बजे जब डीजीएम ने निवेशकों का पैसा एक सप्ताह में लौटाने का आश्वासन दिया इसके बाद निवेशक शांत हुए।
क्या कहना है निवेशकों का
निवेशकों ने बताया कि कंपनी ने 1983 में लोगों को लुभाने के लिए तमाम योजनाएं लाकर कंपनी शुरू की। 1996 में कई और योजनाएं लाकर लोगों करोड़ों लोगों से पैसा जमा कराया इस पैसे से तमाम संपत्तियां खरीदी गईं इसके बाद अचानक एक दिन कंपनी भाग गई। इसके बाद सेबी ने कंपनी के खाते सीज कर दिये। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने छह माह के भीतर कंपनी की संपत्ति बेच कर लोगों का पैसा लौटाने के निर्देश दिये। इस आदेश को भी ढाई साल का वक्त बीच चुका है लेकिन निवेशकों का पैसा नहीं लौटाया गया है।
एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य के लोगों का करीब तीन हजार करोड़ रुपया फंसा हुआ है। इस लंबे अंतराल में तमाम निवेशक ऐसे हैं जो भुखमरी के हालात में आ गए हैं। दून में कंपनी की काफी प्रापर्टी है। निवेशकों की मांग है कि कंपनी की संपत्ति बेचकर उनका पैसा क्यों नहीं लौटाया जा रहा है।