अलगाववादी नेता गिलानी को पाक का सर्वोच्च सम्मान, निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा

इस मौके पर अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान सम्मान से नवाजा गया। यह सामान लेने के लिए गिलानी मौजूद नहीं थे।

Update:2020-08-15 00:20 IST

इस्लामाबाद: भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर पूर्व हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी को पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए- पाकिस्तान से नवाजा है। पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर आज गिलानी की ओर से हुर्रियत नेताओं में यह सम्मान ग्रहण किया। माना जा रहा है पाकिस्तान की ओर से यह सम्मान गिलानी के भारत विरोधी रुख के कारण दिया गया।

हुर्रियत नेताओं ने हासिल किया सम्मान

पाकिस्तान ने शुक्रवार को अपना स्वतंत्रता दिवस कश्मीर एकजुटता दिवस के रुप में मनाया। पाकिस्तान ने अपने भारत विरोधी प्रॉपेगेंडा को और बढ़ाते हुए कश्मीरी लोगों से एकजुटता दिखाने की कोशिश की। इस मौके पर अलगाववादी नेता गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान सम्मान से नवाजा गया। यह सामान लेने के लिए गिलानी मौजूद नहीं थे और उनकी ओर से हुर्रियत नेताओं ने यह सम्मान हासिल किया। पाकिस्तानी सीनेटर मुश्ताक अहमद ने गिलानी को यह सम्मान देने का प्रस्ताव रखा था। जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया था।

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Gilaani

जम्मू कश्मीर में 1987 में हुए विधानसभा चुनाव में फारूक अब्दुल्ला की अगुवाई वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 40 और कांग्रेस को 26 सीटें मिली थीं। जिसके बाद फारूक अब्दुल्ला ने घाटी में सरकार बनाई थी। विरोधी पार्टियों के मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट को इस चुनाव में सिर्फ 4 सीटें हासिल हुई थीं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठजोड़ के विरोध में 13 जुलाई 1993 को ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई थी। हुर्रियत नेता घाटी में अलगाववादी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं।

गिलानी को इसलिए मिला सम्मान

Syed Ali Shah Geelani

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बाद में हुरिर्यत कॉन्फ्रेंस में मतभेद पैदा हो गए थे। गिलानी की दूसरे हुर्रियत नेताओं से पटरी नहीं बैठ रही थी जिस कारण वे 2003 में हुर्रियत से अलग हो गए थे। इसके बाद गिलानी ने नया गुट ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (जी) बना लिया था। इस ग्रुप को तहरीक-ए- हुर्रियत के नाम से भी जाना जाता है। दूसरे गुट ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस के मुखिया मीरवाइज उमर फारूक हैं। मीरवाइज वाले गुट को उदारवादी माना जाता है। जबकि गिलानी वाला गुट कट्टरपंथी विचारों के लिए जाना जाता है। वैसे अब गिलानी हुर्रियत कांफ्रेंस जी से भी अलग हो चुके हैं।

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घाटी में गिलानी के कट्टरपंथी विचारों को पाकिस्तान की ओर से खाद-पानी मिलता रहा है। उन पर टेरर फंडिंग के भी आरोप लग चुके हैं। माना जाता है कि पाकिस्तान की ओर से गिलानी को पहले भी मदद मिलती रही है। अब पाकिस्तान की ओर से गिलानी को घाटी में अलगाववादी विचार फैलाने का पुरस्कार दिया गया है। इसी कारण पाकिस्तान की ओर से उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा गया है।

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