Omicron Variant Ki Janch: अब 20 मिनट में होगी ओमिक्रॉन की जांच, कोरिया ने विकसित की नई तकनीक

Omicron Variant Ki Janch: कोरिया के वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन की पहचान के लिए एक अलग तरह की तकनीक विकसित की है। इस टेक्नोलॉजी से केवल 20 से 30 मिनट में ही यह पता चल जाएगा कि व्यक्ति ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित है या नहीं।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-12-13 13:42 IST

ओमिक्रॉन की जांच (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Omicron Variant Ki Janch: कोरोना वायरस के नए वेरिएं ओमिक्रॉन (Omicron Variant) को लेकर पूरी दुनिया में अलग अलग तरह के शोध जारी है। फिलहाल इस वेरिएंट को पहचानने के लिए ज्यादातर देशों में जीनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की मदद ली जा रही है। इस बीच कोरिया के वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन की पहचान के लिए एक अलग तरह की तकनीक विकसित की है। जिसे मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी (Molecular Diagnostic Technology) कहा जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी को लेकर दावा किया गया है कि इसके जरिए केवल 20 से 30 मिनट में ही यह पता चल जाएगा कि व्यक्ति ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित है या नहीं। 

मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी पर हाल ही में वैज्ञानिकों ने अध्ययन पूरा किया है। कहा जा रहा है कि अभी इसे दुनिया तक पहुंचाने में समय लग सकता है। POSTECH ने एलान करते हुए बताया कि केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर ली जंग-वूक के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने इस तकनीक को विकसित किया है। यह 20 से 30 मिनट में ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगा सकती है और इसका परिणाम ऑनलाइन जारी किया जाएगा। अभी फिलहाल कोरिया में कोरोना के स्वरूपों की पहचान के लिए फुल जिनोम सिक्वेंसिंग, टार्गेट डीएनए एनालिसिस और RT-PCR जांच का इस्तेमाल किया जा रहा है।  

कोविड-19 टेस्ट (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

कैसे काम करती है नई तकनीक?

अगर बात की जाए कि यह टेक्नोलॉजी किस तरह काम करती है तो उस बारे में वैज्ञानिकों ने बताया कि मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी को न्यूक्लिक एसिड-बाइंडिंग रिस्पॉन्स की वजह जानने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि जब कोरोना आरएनए मौजूद हो तब ही इस वेरिएंट का जल्दी से पता लग सके। प्रोफेसर ली जंग-वूक के मुताबिक, नई टेक्नोलॉजी ओमिक्रॉन का सफलतापूर्वक पता लगाती है। 

भारत में ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए है कौन सा टेस्ट?

भारत में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान करने के लिए जीनोम सिक्वेंसिग (Genome Sequencing) का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) ओमिक्रॉन को पहचान पाने के लिए काफी नहीं है। RT-PCR से केवल यह पता चलेगा कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं, इसके बाद जीनोम सिक्वेंसिंग स्टडी जरूरी हो जाती है। यह प्रक्रिया धीमी, जटिल और महंगी होती है। डॉक्टरों की मानें तो जीनोम सीक्वेंसिंग के बिना नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की पहचान बहुत मुश्किल है।

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