Crime: अपराध करने के बाद ‘नेपाल’ में ही क्यों शरण लेते हैं माफिया और अपराधी, जानिए इसके पीछे बड़ी वजह और नियम-कानून

UP Bihar Crime: आपने अक्सर देखा या सुना होगा कि अपराधी क्राइम करने के बाद नेपाल भाग जाता है। कई बड़े अपराधियों को नेपाल से दबोचा भी गया। लेकिन ऐसा क्या है कि अपराधी नेपाल को ही अपना सुरक्षित ठिकाना समझते हैं?

Update:2023-04-28 23:46 IST

Why Criminal Take Refuge in Nepal: देश में अपराध करने के बाद अपराधी बचने का सबसे पहला रास्ता विदेश भागने का अपनाते हैं। यूपी और आस-पास के राज्यों के माफिया और गुंडे अपराध करके नेपाल भाग जाते हैं। छोटे अपराधियों से लेकर बड़े-बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन भी देश में अपराध करके नेपाल में ऐश से रहते हैं। लेकिन प्रश्न ये उठता है कि आखिर अपराधी नेपाल में ही क्यों पनाह लेते हैं? क्या नेपाल सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कम है या भारत की पुलिस वहां कुछ कर नहीं सकती है? दरअसल, इसके पीछे कई कारण हैं। ऐसे भागने वाले अपराधियों के बचने के पीछे बड़े कारण, नियम कानून से लेकर पकड़ने तक पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

यूपी और बिहार के अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना

एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो अपराध की दुनिया में उत्तर प्रदेश 23वें और बिहार 24वें स्थान पर है। यहां पर हत्या, लूट, दुष्कर्म और डकैती करने वाले अपराधियों के लिए नेपाल सबसे सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। यहां के अपराधी हत्या और लूट करने के बाद पैदल ही नेपाल बॉर्डर पार कर जाते हैं। देश के अन्य राज्य के अपाधियों को भी छिपना होता है तो वह यूपी-बिहार होकर नेपाल निकल जाते हैं। नेपाल जाने के लिए किसी तरह के पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है इसलिए अपराधियों का पहला ठिकाना बन गया है।

क्या है अपराधियों को पकड़ने में बाधा

अब सवाल ये खड़ा होता है कि यदि अपराधी नेपाल में छुपते हैं तो पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं करती? दरअसल, दूसरे देश में अपराधियों को पकड़ने के लिए प्रत्यर्पण संधि जरूरी होती है। प्रत्‍यर्पण संधि, दो देशों के बीच हुआ ऐसा समझौता है, जिसके मुताबिक देश में अपराध करके दूसरे देश में छुपने वाले अपराधी को पकड़कर पहले देश को सौंपा दिया जाता है। भारत की 48 देशों के साथ प्रत्‍यर्पण संधि है। इसमें नेपाल भी शामिल है लेकिन इस संधि के बाद कुछ कानून प्रक्रिया को पूरा करना पड़ता है। नेपाल की कोइराला सरकार ने भारत के साथ अक्टूबर 1953 में प्रत्यर्पण संधि की थी। भारत-नेपाल ने 2005 में भी नई प्रत्‍यर्पण संधि पर हस्‍ताक्षर किए थे। कुछ बड़े अपराधियों से लिए ये प्रक्रिया की भी अपनायी जाती है लेकिन जब तक पूरी होती है तब तकर वह फरार हो चुके होते हैं।

अपराधियों के पकड़ने के लिए ये हैं नियम

दरअसल, दूसरे देश में किसी भी राज्य या देश की पुलिस सीधा नहीं घुस सकती है। किसी भी अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस ऐसा करती है तो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन माना जाता है। इसमें 6 महीने तक की सजा का भी प्रावधान है। भारत सरकार अगर किसी विदेश में आपराधिक मामले के आरोपी को गिरफ्तारी वारण्ट,समन, तलाशी वारण्ट भेजती है तब किसी भी वारण्ट या समन को दो प्रतिलिपि में उस देश के न्यायालय, न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट को भेजेगा। ऐसे में अनुमति या फिर भारत की पुलिस या शासन उस देश से अपेक्षा करेगा कि वह आरोपी को भारतीय न्यायालय में पेश करे।

नेपाल में क्या है क्राइम रेट

नेपाल एक से बढ़कर एक अपराधियों और लुटेरों ने पनाह ले रखी है। इस कारण नेपाल में भी अपराध की स्थिति पर असर पड़ता है। भारत की तुलना में नेपाल अपराध के स्तर पर 31वें स्थान पर है जबकि देश की 45वां स्थान है। आपराधिक स्तर को लेकर ये बीते सालों का आंकड़ा है। आंकड़ों के अनुसार नेपाल में लगभग 55.77 फीसदी अपराध है। ये भारत से 17% ज्यादा हैं। भारत का आंकड़ा 47.61 फीसदी है। ये आंकड़े नेशन मास्टर से लिए हैं। न्यूजट्रैक इनकी पुष्टि नहीं करता है।

नेपाल के साथ ये देश भी अपराधियों का ठिकाना

भारतीयों के लिए कई देश ऐसे हैं जहां पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में अपराधी इन देशों को ही अपने रहने का ठिकाना बनाते हैं। मालदीव, मॉरीशस, थाईलैंड, मकाओ, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, केन्या, म्यांमार, कतर, कंबोडिया, युगांडा, सेशेल्स, जिम्बाब्वे और ईरान ऐसे देश हैं जहां पर पासपोर्ट नहीं लगता है। ईरान, नेपाल, भूटान और श्रीलंका अपराधियों को भागने के खास ठिकाने रहते हैं।

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