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Gupt Navratri 2025 Date and Time गुप्त नवरात्रि क्या है और कब से शुरू होगी, जानते है पूजा विधि और घटस्थापना का समय

Gupt Navratri 2025 Date and Time : हर साल चार नवरात्रि आती है। माघ और आषाढ़ में आती है उसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।गुप्त नवरात्रि आषाढ़ में कब है...

Suman  Mishra
Published on: 11 Jun 2025 9:20 AM IST (Updated on: 11 Jun 2025 3:37 PM IST)
Gupt Navratri 2025 Date and Time गुप्त नवरात्रि  क्या है और कब से शुरू होगी, जानते है पूजा विधि और घटस्थापना का समय
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Ashadha Gupt Navratri 2025 Date and Time साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है जिसमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि आती है, लेकिन ज्यादातर लोग चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही मनाते है। जो नवरात्रि माघ और आषाढ़ में आती है उसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि का तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना के लिए विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है. इस नवरात्रि में माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।

गुप्त नवरात्रि का अर्थ

आषाढ़ और माघ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि नाम दिया गया है, क्योंकि इसमें गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है जिन्हें गुप्त रूप से किया जाता है इसलिए यह गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं। इसमें अघोरी तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने लिए विशेष पूजा करते है साथ ही यह मोक्ष की कामना के लिए भी यह महत्वपूर्ण मानी जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में जहां नौ शक्तियों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में दस देवियों की पूजा की जाती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि की देवी मां पार्वती मानी जाती है और गुप्त नवरात्रि की देवी मां काली हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 तिथि

इस साल आषाढ़ माह की शुरुआत गुरुवार 25 जून को शाम 04 बजे से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होगी। उदया तिथि की माने तो इसी दिन गुप्त नवरात्रि के पहले दिन का व्रत पूजा और व्रत किया जाएगा। प्रतिपदा तिथि का प्रारम्भ 25 जून को शाम 04:00 बजे होगा और इसका समापन 26 जून को दोपहर 01:24 बजे होगा ऐसे में उदया तिथि के अनुसार घटस्थापना और नवरात्रि की शुरुआत 26 जून को मानी जाएगी।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

घटस्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त बताए गए है।

घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 05:25 बजे से 06:58 बजे तब

अवधि - 01 घंटा 33 मिनट

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक

अवधि - 6 मिनट

मिथुन लग्न प्रारम्भ 26 जून 2025 को सुबह 05:25 से होगा।

मिथुन लग्न समाप्त 26 जून 2025 को सुबह 06:58 बजे होगा।

ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 04: 05 से 04: 45 बजे तक रहेगा।

विजय मुहूर्त का समय दोपहर 02:44 से 03:39 बजे तक रहेगा।

गोधूलि मुहूर्त का समय शाम 07: 21 से 07: 42 बजे तक रहेगा।

निशिता मुहूर्त का समय रात 12:04 से 12:44 बजे तक रहेगा।

माघ गुप्त नवरात्रि की तिथियां

इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रहस्यमय और शक्तिशाली रूपों की विशेष पूजा की जाती है।

प्रथम दिन – मां काली

द्वितीय दिन – मां तारा

तृतीय दिन – मां त्रिपुर सुंदरी

चतुर्थ दिन – मां भुवनेश्वरी

पंचम दिन – मां छिन्नमस्ता

षष्ठम दिन – मां त्रिपुर भैरवी

सप्तम दिन – मां धूमावती

अष्टम दिन – मां बगलामुखी

नवम दिन – मां मातंगी

दशम दिन – मां कमला

गुप्त नवरात्रि विधि

गुप्त नवरात्रि की पूजा सामान्य नवरात्रि से भिन्न होती है। इसमें शुद्धि, पवित्रता, साधना, ध्यान और नियमों का विशेष महत्व है। एक साधारण श्रद्धालु भी इन दिनों में विशेष लाभ प्राप्त कर सकता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिन घट स्थापना विधि में प्रातः स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत और साधना का संकल्प लिया जाता है। पूजा स्थान मे लाल कपड़ा बिछा कर वहां कलश स्थापना करते हैं। इस दिन घट या जिसे कलश भी कहते हैं इसकी स्थापना के लिए मिट्टी का कलश लेते हैं इसके साथ जौ, गंगाजल, नारियल, लाल वस्त्र, अक्षत, धूप दीप, आम के पत्ते, सुपारी, रोली, मौली को उपयोग में लाया जाता है। ईशान कोण में घटस्थापना करना शुभ होता है। मिट्टी के कलश में मिट्टी डालकर जौ बो दिए जाते हैंकलश के समक्ष ही माँ दुर्गा या दस महाविद्याओं की प्रतिमा या चित्र स्थापित करना चाहिए। दीपक, अगरबत्ती, फूल, चावल, दूर्वा, हल्दी, कुमकुम, पंचमेवा आदि सामग्री माता को अर्पित करते हैं।

जल से भरा कलश रखते हैं जिसे नारियल, आम के पत्ते और कलावे से सजाते हैं। पूजा के दौरान माता के नाम जाप एवं मंत्रों का जाप भी लगातार किया जाता है। इस तरह कलश स्थापना हो जाने के पश्चात देवी के पहले रूप का पूजन किया जाता है और प्रत्येक दिन से संबंधित महाविद्या के मंत्र का जाप करते हुए नौ देवियों का पूजन नित्य करते हैं।

गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र, कीलक पाठ आदि का पाठ करते हैं। गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि और नवमी तिथि के दिन होम करते हैं और साथ ही कन्याओं को भोजन करवाया जाता है।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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