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Bharat 2025 Mein Kaisa Hoga Monsoon:आर्द्रा से लेकर बाढ़ तक कैसा रहेगा बारिश का खेल? जानिए कैसा रहेगा इस बार का मानसून?

Bharat 2025 Mein Kaisa Hoga Monsoon: 2025 में भारत का मानसून कैसा रहेगा? जानिए सूर्य के नक्षत्र गोचर, मंगल की चाल के आधार पर वर्षा भविष्यवाणी। कब होगी तेज़ बारिश, कब आएगा सूखा और किन राज्यों में बन सकते हैं बाढ़ के हालात , कैसा रहेगा 2025 का मानसून – ज्योतिष की नज़र से

Suman  Mishra
Published on: 23 Jun 2025 1:57 PM IST (Updated on: 23 Jun 2025 9:44 PM IST)
Bharat 2025 Mein Kaisa Hoga Monsoon:आर्द्रा से लेकर बाढ़ तक कैसा रहेगा बारिश का खेल? जानिए कैसा रहेगा इस बार का मानसून?
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Bharat 2025 Mein Kaisa Hoga: इस बार मानसून तय समय से देर से आया है। कुछ जगहों पर मानसून ने दस्तक दे दिया है तो अभी भी देश के कई कोने अपनी तपिश बुझाने के लिए मेघ बरसने का इंतजार कर रहे है। भारत में बारिश सिर्फ मौसम नहीं, भाग्य तय करती है। जब बादल गरजते हैं तो केवल धरती नहीं, किसान की आंखें भी भर आती हैं। मौसम विभाग अपनी वैज्ञानिक गणनाओं के आधार पर पूर्वानुमान देता है, लेकिन भारतीय ज्योतिष सालों से आकाश के संकेतों से वर्षा के स्वरूप को पहचानते है। 2025 का मानसून, ग्रहों की दृष्टि से बेहद रोचक संकेत दे रहा है। इस बार मानसून मिलाजुला संकेत दे रहा है, कहीं बाढ़ तो कहीं सामान्य और कहीं सुखा के हालात बन रहें है।

सूर्य का नक्षत्र गोचर: वर्षा का पहला रहस्य

भारतीय ज्योतिष में जब सूर्य 22 जून को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब से वर्षा का असली यौगिक दौर शुरू होता है। आर्द्रा को 'रूद्र' नक्षत्र माना गया है, जो परिवर्तन, वृष्टि और तूफानों का प्रतीक होता है। यदि इस समय शुभ ग्रहों का संयोग बनता है, तो यह दर्शाता है कि मानसून सामान्य से प्रबल रहेगा।

इस बार क्या हो रहा है?

22 जून से 6 जुलाई तक सूर्य आर्द्रा में रहेंगे। साथ ही चंद्रमा और शुक्र का शुभ दृष्टि संबंध भी बन रहा है।यह योग "स्त्री-पुरुष योग" कहलाता है – जो भारी बारिश की आशंका है।जून के अंतिम सप्ताह से देश के अधिकतर हिस्सों में अच्छी और समय पर वर्षा की शुरुआत होगी।

पुनर्वसु नक्षत्र में मानसून का पहला ब्रेक

6 जुलाई से सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में रहेंगे। यह नक्षत्र बृहस्पति प्रधान और पुनरुद्धार का प्रतीक होता है, लेकिन इसका संबंध शुद्ध जलवर्षा से कम और मंद गति वाले मानसून से अधिक होता है। इस दौरानर्य-बृहस्पति का संबंध कुछ क्षेत्रों में विलंबित वर्षा का संकेत दे रहा है।उत्तर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में बादल तो होंगे पर वर्षा नहीं। 6 से 20 जुलाई तक वर्षा की गति धीमी हो सकती है, लेकिन पूर्वोत्तर भारत में कुछ सक्रिय वर्षा बनी रह सकती है।

पुष्य नक्षत्र: में मूसलाधार बारिश

20 जुलाई को जब सूर्य पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, तो वर्षा फिर से तेज़ रफ्तार पकड़ेगी। यह नक्षत्र शनि से जुड़ा है और वर्षा के लिए सकारात्मक माना जाता है। खास बात ये कि एक बार फिर वही "स्त्री-पुरुष योग" बन रहा है।सावन के पहले पखवाड़े में लगातार बारिश होने से नदी-नालों में उफान, निचले क्षेत्रों में जलभरावरहेगा। ग्रामीण इलाकों में धान और खरीफ फसलों के लिए वरदान है। 20 जुलाई से 5 अगस्त तक देशभर में मानसून दुबारा पूरा जोर पकड़ लेगा।

अगस्त-सितंबर: बाढ़ की संभावनाएं

सूर्य जैसे-जैसे अश्लेषा, मघा और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रों में प्रवेश करते हैं, वैसे-वैसे वर्षा अपने चरम रूप में पहुंचती है। ये तीनों नक्षत्र विशेष रूप से जल-प्रधान और संवेदनशील माने जाते हैं।ज्योतिष के अनुसार मंगल का इन नक्षत्रों पर असर रहेगा, जिससे वर्षा की तीव्रता और असंतुलन दोनों संभव हैं। बंगाल, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा और बाढ़ जैसे हालात की संभावना है।अगस्त और सितंबर में मानसून सर्वोच्च स्तर पर रहेगा, लेकिन इसके साथ जोखिम भी बढ़ेगा।

मंगल इस वर्ष 28 जुलाई तक सिंह राशि में रहेंगे, जो कि अग्नि तत्व की राशि है। जब मंगल अग्नितत्व राशि में होता है तो यह गर्मी, सूखा और मानसून की चाल में बाधा उत्पन्न करता है।

उत्तर भारत में मानसून देर से होगी। जुलाई के मध्य तक तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा। कुछ स्थानों पर फसलों में नमी की कमी देखने को मिलेगी। जैसे ही मंगल 28 जुलाई के बाद राशि परिवर्तन करेंगे, मानसून फिर से सक्रिय हो जाएगा।

वर्षा का चरण अवधि नक्षत्र संकेत

प्रारंभ 22 जून – 6 जुलाई आर्द्रा झमाझम वर्षा, शुभ योग

मंद गति 6 – 20 जुलाई पुनर्वसु धीमी बारिश, बादलों का भ्रम

पुनरागमन 20 जुलाई – 5 अगस्त पुष्य सावन में तेज़ बारिश, जल भराव

चरम अगस्त – सितंबर अश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी अधिकतम बारिश, बाढ़ संभावित

बाधा जून – जुलाई अंत मंगल सिंह राशि में गर्मी, नमी की कमी, देरी

2025 का मानसून एक ग्रहों की चाल पर आधारित लहरों जैसा होगा – जहां तेज़ शुरुआत, मध्यम विराम और प्रचंड चरम देखने को मिलेगा। सूर्य का नक्षत्र गोचर, मंगल की अग्निप्रवृत्ति और चंद्रमा-शुक्र की युति मिलकर इस वर्ष के मानसून को अद्भुत लेकिन चुनौतीपूर्ण बना रही हैं।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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