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Chanakya Niti:गलत व्यक्ति को दी गई सलाह, बना सकती है दुश्मन! जानिए चाणक्य ने ऐसा क्यों कहा है...

Chanakya Niti: चाणक्य नीति के आधार पर जानते है किन लोगों को सलाह नहीं देना चाहिए, जानते है...

Suman  Mishra
Published on: 16 Jun 2025 10:23 AM IST
Chanakya Niti:गलत व्यक्ति को दी गई सलाह,  बना सकती है दुश्मन! जानिए चाणक्य ने ऐसा  क्यों कहा है...
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Chanakya Nitiआचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जानते हैं, भारत के महानतम विचारकों, अर्थशास्त्रियों और राजनीति शास्त्र के ज्ञाता हैं। उनके जीवन के अनुभव और विचारधारा आज भी प्रासंगिक है, उन्होंने हर पहलू पर गहन चिंतन किया और अपनी नीति बनायी।

उनकी नीतियों का आज भी अनुसरण किया जाता है। आम तौर पर अगर हम किसी को अच्छी बात कह रहे हैं, या सही रास्ता दिखा रहे हैं, तो वह उसका स्वागत करेगा। लेकिन अपनी नीतियों से चाणक्य सावधान करते हैं, आचार्य चाणक्य की नीति से जानना चाहिए कि कब और किस को सलाह देनी चाहिए और कब नहीं.

अंहकारी को सलाह देना जानलेवा

ऐसे लोग खुद को सबसे बुद्धिमान समझते हैं और दूसरों की बात को नज़रअंदाज़ करते हैं। वे अपने अभिमान में इतने डूबे होते हैं कि किसी की सलाह को स्वीकार करना उन्हें खुद के आत्मसम्मान के खिलाफ लगता है। अगर आप उन्हें सच्चे मन से कुछ बताने की कोशिश करेंगे, तो वे आपको ही अपमानित कर सकते हैं या आपकी बात का मजाक बना सकते हैं। चाणक्य कहते हैं, घमंडी से दूर रहना ही बेहतर है क्योंकि वहां आपकी भलाई का कोई मूल्य नहीं।

जो धार्मिक नहीं उनसे बात व्यर्थ जाएगा

जो व्यक्ति अपने कर्म, नैतिकता और धर्म से विमुख हो चुका हो, उसे आप कितना भी समझाएं, फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे लोग अपने स्वार्थ, लालच और अन्याय के रास्ते पर ही चलते हैं। उन्हें यह लगता है कि वे जो कर रहे हैं, वही सही है। इसलिए उन्हें बार-बार समझाने की बजाय उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना ही समझदारी है। चाणक्य स्पष्ट कहते हैं कि ऐसे लोगों को सही राह पर लाने की कोशिश करना मूर्खता है।

बेवकूफ राजा से दूर रहने में अच्छा है

जब कोई व्यक्ति शक्ति, पद या अधिकार के नशे में चूर हो जाता है, तो वह अपने अलावा किसी और की बात सुनने को तैयार नहीं होता। अगर कोई सामान्य व्यक्ति उसे सलाह देता है, तो वह न सिर्फ उसकी उपेक्षा करता है बल्कि उसकी नीयत पर शक भी कर सकता है। चाणक्य की यह बात आज के समय में भी सटीक बैठती है – जब कोई ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति अहंकार में डूब जाए, तो उससे दूरी बनाए रखना ही भलाई है।

मूर्ख को न समझाएं

मूर्ख व्यक्ति ना तो सीखने में रुचि रखता है और ना ही अपनी गलतियों से कुछ समझता है। वह एक ही गलती बार-बार करता है और सोचता है कि वही तरीका सही है। ऐसे व्यक्ति को समझाना एक दीवार से बात करने जैसा है। चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोगों को कितना भी ज्ञान दो, वे न उसे आत्मसात करते हैं, न उसका प्रयोग करते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को सलाह देना समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी है।

जो फालतू की चर्चा करें उनसे दूर रहने में भलाई

कुछ लोग हर बात में तर्क करने को ही बुद्धिमत्ता मानते हैं। उन्हें कोई सलाह दें, तो वे बिना समझे उसका विरोध शुरू कर देते हैं। चाहे आप कितने भी अच्छे इरादे से कुछ कहें, वे उसमें कमियां निकालेंगे। ऐसे लोगों के साथ बहस करने से सिर्फ मन अशांत होता है और समय नष्ट होता है। चाणक्य स्पष्ट कहते हैं – जहां तर्क बेकार जाए, वहां मौन ही सबसे बड़ा उत्तर होता है।

बिना मांगे सलाह न दें

यदि कोई व्यक्ति अपनी समस्याओं के बावजूद कभी किसी से मदद नहीं मांगता, तो उसे आप जबरन समझाने का कोई फायदा नहीं है। कुछ लोग अपनी समस्याओं में डूबे रहते हैं, पर अहंकार या संकोच के कारण दूसरों की मदद नहीं लेना चाहते। ऐसे लोगों को जबरदस्ती कुछ कहना उन्हें बुरा लग सकता है या वे आपकी बात को हल्के में ले सकते हैं। चाणक्य कहते हैं कि सलाह वही देनी चाहिए जो स्वयं उसे पाने के लिए तैयार हो।

जलन वाले लोगों से दूर रहे

ऐसे लोग आपकी अच्छाइयों से जलते हैं और अगर आप उन्हें सलाह देंगे, तो वे उसे भी शंका की नजर से देखेंगे। उन्हें यह लगेगा कि आप उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। आपकी मदद को वे एक चाल या दिखावा समझ सकते हैं। चाणक्य कहते हैं कि ईर्ष्यालु व्यक्ति से कोई भी संवाद एक सीमा में रहकर ही करना चाहिए, क्योंकि उन्हें समझाना तो दूर, पास जाना भी नुकसानदेह हो सकता है।

आज के सामाजिक, व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन में भी हम देखते हैं कि कई बार हम बहुत भलाई के इरादे से किसी को सलाह देते हैं, लेकिन उसका असर उल्टा होता है। लोग नाराज़ हो जाते हैं, आलोचना करते हैं या हमें ही गलत ठहराते हैं। आचार्य चाणक्य की यह नीति हमें यह सिखाती है कि हर सत्य वचन हर जगह नहीं बोला जाना चाहिए। सही व्यक्ति, सही समय और सही भावना – जब यह तीनों मिल जाएं, तब ही हमारी बात का असर होता है।आचार्य चाणक्य की नीतियां हमें जीवन जीने की बुद्धिमानी सिखाती हैं। उन्होंने जिन सात प्रकार के लोगों को सलाह न देने की बात कही है, वह आज के समय में भी पूरी तरह लागू होती है। यह जानना भी एक कला है कि कब चुप रहना चाहिए और कब बोलना चाहिए। जब हम यह विवेक अपना लेते हैं, तभी हमारे शब्दों की शक्ति बनी रहती है और हम खुद भी मानसिक शांति में रहते हैं।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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