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Dhumavati Maa धूमावती मां कौन हैं ,क्यों निगल लिया था भगवान शिव को? रोज जपें मां धूमावती की 108 नामावली

Dhumavati Mata Koun Hai: धूमावती मां कौन हैं , इनकी उत्पति की कथा जानिए कैसे हुई , इनकी पूजा क्यो करती है सिर्फ विधवायें, सुहागिनों को देखने की है मनाही। साथ ही मां धूमावती की 108 नामावली

Suman  Mishra
Published on: 3 Jun 2025 2:15 PM IST
Dhumavati Maa धूमावती  मां कौन हैं ,क्यों निगल लिया था भगवान शिव को? रोज जपें मां धूमावती की 108 नामावली
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Dhumavati Mata :धूमावती माता पार्वती का ही एक स्वरूप हैं। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी को मां पार्वती के क्रोध अंग्नि से धूमावती मां का जन्म हुआ था । कहते हैं कि मां का यह स्वरूप धुएं के समान होने के कारण मातारानी का नाम धूमावती रखा गया हैं। यह नाम भगवान शिव ने दिया था।

बता दें कि मां धूमावती का इकलौता मंदिर दतिया उत्तरप्रदेश में हैं, जहां लोग जाते हैं और मान्यता है कि यहां जो आता है उस पर मां की कृपा बरसती है, खासकर शनिवार को दर्शन करने वालों पर मां की असीम अनुकंपा रहती है।

धूमावती मां का कौन है

पुराणों के अनुसार एक बार मां पार्वती को बहुत तेज भूख लगी होती है, लेकिन कैलाश पर उस समय कुछ न रहने के कारण वे अपनी क्षुधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास जाती हैं और उनसे भोजन की मांग करती हैं किंतु उस समय शंकरजी अपनी समाधि में लीन होते हैं। मां पार्वती के बार-बार निवेदन के बाद भी शंकरजी ध्यान से नहीं उठते और वे ध्यानमुद्रा में ही मग्न रहते हैं। मां पार्वती की भूख और तेज हो जाती है और वे भूख से व्याकुल हो उठती हैं, परंतु जब मां पार्वती को खाने की कोई चीज नहीं मिलती है, तब वे श्वास खींचकर शिवजी को ही निगल जाती हैं। भगवान शिव के कंठ में विष होने के कारण मां के शरीर से धुआं निकलने लगता है, उनका स्वरूप श्रृंगारविहीन तथा विकृत हो जाता है तथा मां पार्वती की भूख शांत होती है।

एक अन्य कथा के अनुसार जब सती ने पिता के यज्ञ में स्वेच्छा से स्वयं को जला कर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआँ निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ, इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं।यानी धूमावती धुएँ के रूप में सती का भौतिक स्वरूप है सती का जो कुछ बचा रहा- उदास धुआँ, इसलिए इन्हें धूमावती मां कहते है।

मां धूमावती का स्वरूप

ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष अष्टमी को माँ धूमावती जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। मां धूमावती विधवा स्वरूप में पूजी जाती हैं तथा इनका वाहन कौवा है, ये श्वेत वस्त्र धारण कि हुए, खुले केश रुप में होती हैं। धूमावती महाविद्या ही ऐसी शक्ति हैं जो व्यक्ति की दीनहीन अवस्था का कारण हैं. विधवा के आचरण वाली यह महाशक्ति दुःख दारिद्रय की स्वामिनी होते हुए भी अपने भक्तों पर कृपा करती हैं।

अत्यन्त लम्बी, मलिनवस्त्रा, रूक्षवर्णा, कान्तिहीन, चंचला, दुष्टा, बिखरे बालों वाली, विधवा, रूखी आखों वाली, शत्रु के लिये उद्वेग कारिणी, लम्बे विरल दांतों वाली, बुभुक्षिता, पसीने से आद्‍र्र, स्तन नीचे लटके हो, सूप युक्ता, हाथ फटकारती हुई, बडी नासिका, कुटिला , भयप्रदा,कृष्णवर्णा, कलहप्रिया, तथा जिसके रथ पर कौआ बैठा हो ऐसी देवी।

ज्योतिष शास्त्रानुसार मां धूमावती का संबंध केतु ग्रह तथा इनका नक्षत्र ज्येष्ठा है। इस कारण इन्हें ज्येष्ठा भी कहा जाता है। अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में केतु ग्रह श्रेष्ठ जगह पर कार्यरत हो अथवा केतु ग्रह से सहायता मिल रही हो तो व्यक्ति के जीवन में दुख और दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है। केतु ग्रह की प्रबलता से व्यक्ति को कर्जों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में धन, सुख और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।

धूमावती मां की पूजन विधि

मां धूमावती दस महाविद्याओं में अंतिम विद्या है, गुप्त नवरात्रि में इनकी पूजा होती है। धूमावती जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य आदि से मां का पूजन करना चाहिए। इस दिन मां धूमावती की कथा का श्रवण करना चाहिए। पूजा के पश्चात अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि मां धूमावती की कृपा से मनुष्‍य के समस्त पापों का नाश होता है तथा दु:ख, दारिद्रय आदि दूर होकर मनोवांछित फल प्राप्त होता है।मंत्र : रुद्राक्ष माला से 108 बार, 21 या 51 माला का इन मंत्रों का जाप करें।

ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।।

धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।

मां धूमावती का तांत्रोक्त मंत्र

धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे।

सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि:।।

धूमावती माता का मंत्र

ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:

ऐसा माना जाता है की जो धूमावती माता की पूजा और साधना सभी संकटों से मुक्ति देती हैं। अगर किसी के जीवन में किसी चीज़ का अभाव हैं।तो धूमावती माता की साधना करने से सभी आवश्यक चीजों की प्राप्ति होती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग धूमावती माता की साधना करते हैं। उनके जीवन में भूख और अन्न को लेकर कोई कमी नहीं होती हैं आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता हैं।

इस दिन धूमावती देवी के स्तोत्र का पाठ, सामूहिक जप-अनुष्ठान आदि किया जाता है। इस दिन विशेषकर काले तिल को काले वस्त्र में बांधकर मां धूमावती को चढ़ाने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।मां धूमावती के दर्शन से संतान और पति की रक्षा होती है। मां सभी कष्टों को मुक्त कर देने वाली देवी है।इस दिन सुहागिनें मां धूमावती का पूजन नहीं करती हैं, बल्कि केवल दूर से ही मां के दर्शन करती हैं।

धूमावती मां की अष्टोत्तर शतनामावली

ॐ धूमावत्यै नमः ।

ॐ धूम्रवर्णायै नमः ।

ॐ धूम्रपानपरायणायै नमः ।

ॐ धूम्राक्षमथिन्यै नमः ।

ॐ धन्यायै नमः ।

ॐ धन्यस्थाननिवासिन्यै नमः ।

ॐ अघोराचारसन्तुष्टायै नमः ।

ॐ अघोराचारमण्डितायै नमः ।

ॐ अघोरमन्त्रसम्प्रीतायै नमः ।

ॐ अघोरमन्त्रपूजितायै नमः ।10


ॐ अट्टाट्टहासनिरतायै नमः ।

ॐ मलिनाम्बरधारिण्यै नमः ।

ॐ वृद्धायै नमः ।

ॐ विरूपायै नमः ।

ॐ विधवायै नमः ।

ॐ विद्यायै नमः ।

ॐ विरलद्विजायै नमः ।

ॐ प्रवृद्धघोणायै नमः ।

ॐ कुमुख्यै नमः ।

ॐ कुटिलायै नमः ।20

ॐ कुटिलेक्षणायै नमः ।

ॐ कराल्यै नमः ।

ॐ करालास्यायै नमः ।

ॐ कङ्काल्यै नमः ।

ॐ शूर्पधारिण्यै नमः ।

ॐ काकध्वजरथारूढायै नमः ।

ॐ केवलायै नमः ।

ॐ कठिनायै नमः ।

ॐ कुह्वै नमः ।

ॐ क्षुत्पिपासार्दितायै नमः ।30

ॐ नित्यायै नमः ।

ॐ ललज्जिह्वायै नमः ।

ॐ दिगम्बर्यै नमः ।

ॐ दीर्घोदर्यै नमः ।

ॐ दीर्घरवायै नमः ।

ॐ दीर्घाङ्ग्यै नमः ।

ॐ दीर्घमस्तकायै नमः ।

ॐ विमुक्तकुन्तलायै नमः ।

ॐ कीर्त्यायै नमः ।

ॐ कैलासस्थानवासिन्यै नमः ।40

ॐ क्रूरायै नमः ।

ॐ कालस्वरूपायै नमः ।

ॐ कालचक्रप्रवर्तिन्यै नमः ।

ॐ विवर्णायै नमः ।

ॐ चञ्चलायै नमः ।

ॐ दुष्टायै नमः ।

ॐ दुष्टविध्वंसकारिण्यै नमः ।

ॐ चण्ड्यै नमः ।

ॐ चण्डस्वरूपायै नमः ।

ॐ चामुण्डायै नमः ।

ॐ चण्डनिःस्वनायै नमः ।

ॐ चण्डवेगायै नमः ।

ॐ चण्डगत्यै नमः ।

ॐ चण्डविनाशिन्यै नमः ।

ॐ मुण्डविनाशिन्यै नमः ।

ॐ चाण्डालिन्यै नमः ।

ॐ चित्ररेखायै नमः ।

ॐ चित्राङ्ग्यै नमः ।

ॐ चित्ररूपिण्यै नमः ।

ॐ कृष्णायै नमः ।60

ॐ कपर्दिन्यै नमः ।

ॐ कुल्लायै नमः ।

ॐ कृष्णरूपायै नमः ।

ॐ क्रियावत्यै नमः ।

ॐ कुम्भस्तन्यै नमः ।

ॐ महोन्मत्तायै नमः ।

ॐ मदिरापानविह्वलायै नमः ।

ॐ चतुर्भुजायै नमः ।

ॐ ललज्जिह्वायै नमः ।

ॐ शत्रुसंहारकारिण्यै नमः ।70

ॐ शवारूढायै नमः ।

ॐ शवगतायै नमः ।

ॐ श्मशानस्थानवासिन्यै नमः ।

ॐ दुराराध्यायै नमः ।

ॐ दुराचारायै नमः ।

ॐ दुर्जनप्रीतिदायिन्यै नमः ।

ॐ निर्मांसायै नमः ।

ॐ निराकारायै नमः ।

ॐ धूमहस्तायै नमः ।

ॐ वरान्वितायै नमः ।80

ॐ कलहायै नमः ।

ॐ कलिप्रीतायै नमः ।

ॐ कलिकल्मषनाशिन्यै नमः ।

ॐ महाकालस्वरूपायै नमः ।

ॐ महाकालप्रपूजितायै नमः ।

ॐ महादेवप्रियायै नमः ।

ॐ मेधायै नमः ।

ॐ महासङ्कटनाशिन्यै नमः ।

ॐ भक्तप्रियायै नमः ।

ॐ भक्तगत्यै नमः ।90

ॐ भक्तशत्रुविनाशिन्यै नमः ।

ॐ भैरव्यै नमः ।

ॐ भुवनायै नमः ।

ॐ भीमायै नमः ।

ॐ भारत्यै नमः ।

ॐ भुवनात्मिकायै नमः ।

ॐ भेरूण्डायै नमः ।

ॐ भीमनयनायै नमः ।

ॐ त्रिनेत्रायै नमः ।

ॐ बहुरूपिण्यै नमः ।100

ॐ त्रिलोकेश्यै नमः ।

ॐ त्रिकालज्ञायै नमः ।

ॐ त्रिस्वरूपायै नमः ।

ॐ त्रयीतनवे नमः ।

ॐ त्रिमूर्त्यै नमः ।

ॐ तन्व्यै नमः ।

ॐ त्रिशक्त्यै नमः ।

ॐ त्रिशूलिन्यै नमः ।108

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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