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Diwali Par Lakshmi Pujan Vidhi: दीपावली में अभी है कुछ दिन बाकी, समय रहते कर लें ये सारी तैयारी, जानिए मां लक्ष्मी पूजन की विधि

Diwali Par Lakshmi Pujan Vidhi: दीपावली की पूजा हमेशा स्थिर लग्न में करनी चाहिए। इससे लक्ष्मी स्थायी रुप से रहती है। समृद्धि हमेशा बनी रहती है। इसके लिए इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए चौकी लें, उस पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें और जल से भरा एक कलश रखें।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 26 Oct 2021 11:36 AM IST
Deepawali par Lakshmi Puja Ki Vidhi:
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Diwali Par Lakshmi Pujan Vidhi:

साल 2021 में 4 नवंबर गुरुवार को दीपावली है। दीपावली से कुछ दिन पहले से घर की साफ-सफाई कर मां लक्ष्मी के आगमन की तैयारी की जाती है। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला दीपों का उत्सव दीपावली हर धर्म हिंदू, सिक्ख, बौध व जैन धर्म में मनाया जाता है। सनातन धर्म में इस दिन लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है।

हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का उत्सव होता है। अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन करने का विधान है। कहते हैं लंका पर विजय पाकर रावण के बाद 14 वर्ष का वनवास पूरा करके श्रीरामजी दिवाली के दिन ही अयोध्या आएं थे। तो पूरी नगरी को रौशन किया गया था। यह त्योहार देश के हर कोने में धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर राजस्थान, बिहार , उत्तर प्रदेश में दीपावाली की रौनक देखते ही बनती है।


दीपावली की पूजा सामग्री

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में), केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग। सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक रुई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश लेना चाहिए।

दीपावली पर कैसे करें लक्ष्मी पूजन की तैयारी

दीपावली के दिन एक थाल में या भूमि को साफ करके उसे गंगाजल से शुद्ध करें, नवग्रह बनायें या नवग्रह यंत्र की स्थापना करें। इसके बाद एक तांबे का कलश लें, जिसमें गंगाजल, दूध, दही, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपडे से ढंक कर एक कच्चा नारियल कलावे से बांध कर रख दें। नवग्रह यंत्र बनाया गया है, वहां रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी-गणेश सरस्वती जी या अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें। अगर धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रृंगार करके फूल आदि से सजाएं। मूर्ति के दाहिने ओर एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाना चाहिए।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन विधि

दिवाली की पूजा हमेशा स्थिर लग्न में करनी चाहिए। इससे लक्ष्मी स्थायी रुप से रहती है। समृद्धि हमेशा बनी रहती है। इसके लिए इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए चौकी लें, उस पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें और जल से भरा एक कलश रखें। जल, मौली, चावल, फल, गुड़, अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें। इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें। महालक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को एक साथ करना चाहिए।

इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वर्ग से धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशमान होता है वहां मां लक्ष्मी ठहर जाती है। मां लक्ष्मी के साथ कुबेर पूजा भी की जाती है। पूजन के दौरान पहले घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता पर ध्यान दिया जाता है। पूरे घर में इसके लिए गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। रंगोली और दीपों से घर को सजाना चाहिए।

लक्ष्मी पूजन के लिए दिवाली के दिन पहले हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ रुपया-पैसा। यह सब हाथ में लेकर मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो। सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए। हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र( ऊं लक्ष्मीयै नम: व ऊं श्री गणेशाय नम : ) बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नवग्रह स्तोत्र मंत्र पढि़ए। अंत में लक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए।

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त कितने बजे है

दिवाली का शुभ मुहूर्त पूरे दिन होता है। इस दिन से पहले घर के हर कोने को अच्छे से साफ कर लिया जाता है। फिर दिवाली के दिन शाम के बाद शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं। जानते हैं...

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ -04 नवबंर 2021, सुबह 06:03 बजे से
  • अमावस्या तिथि समाप्ति- 05 नवबंर 02:44 बजे तक है।
  • लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त -शाम 06:10 बजे से रात्रि 08:06 बजे तक
  • पूजा की अवधि- 01 घंटा 54 मिनट
  • प्रदोष काल मुहूर्त -शाम 05:34 बजे से रात्रि 08:10 बजे तक
  • वृषभ लग्न- 18.10 से 20.06 तक
  • महानिशीथ काल-23.38 से 24.30 तक
  • विशेष सिंह लग्न - रात 12.42 से रात 02.59 मिनट तक

दिवाली का पंच दिवसीय पर्व

दिवाली संस्कृत शब्द दीपावली से बना है जिसका अर्थ होता है प्रकाशोत्सव। आपको बता दें कि दिवाली एक दिन का नहीं 5 दिवसीय त्योहार है जो धनतेरस से शुरू होता है और भाईदूज को खत्म होता है। इस बार –

2 नवंबर को धनतेरस

3 नवंबर को नरक चतुर्दशी

4 नवंबर को दिवाली

5 नवंबर को गोवर्धन पूजा

6 नवंबर को भाई दूज है।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

ऐसे प्रसन्न होती हैं लक्ष्मी

सबसे पहले एक बड़ा घी का दीपक मां लक्ष्मी की तस्वीर के सामने जलाएं। उसके बाद घर को तेल के दीपक से सजाएं। घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। घर के आंगन में घी का दीपक रखना चाहिए। घर के आस-पास वाले चौराहे पर भी दीपक जलाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से दरिद्रता दूर होती है। घर के आस-पास यदि कोई मंदिर है तो वहां पर भी दीपक जलाना चाहिए। दीपावली की रात्रि पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है। घर के बेडरूम में दीपक में कपूर जलाकर रखने से पति-पत्नी का संबंध और मधुर बनता है। रसोई में घी का दीपक गैस के चूल्हे के दोनों ओर जलाएं, ऐसा करने से कभी अन्न की कमी नहीं होती है। घर के द्वार पर रंगोली सजाएं और वहां दीपक जरूर जलाएं। घर की चौखट पर कुमकुम-हल्दी का टीका करके मां लक्ष्मी के लिए तेल का दीपक जलाएं।

दीपावली पर व्यापारियों को ऐसे करना चाहिए पूजा

व्यापारी वर्ग को दिवाली के दिन अपने बही खातों का पूजन करने के लिए पूजा मुहुर्त समय अवधि में नवीन बहियों व खाता पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से अथवा लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इसके बाद इनके ऊपर ''श्री गणेशाय नम:'' लिखना चाहिए। इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठें, कमलगट्टा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वस्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए। साथ ही नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए-

या कुन्देन्दुतुषारहार धवला या शुभ्र वस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभि र्देवै: सदा वन्दिता,सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।। ऊँ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम:।


इस मंत्र का जाप करके मां सरस्वती का ध्यान इस प्रकार करना चाहिए- जो अपने कर कमलों में घंटा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं। चन्द्रमा के समान जिनकी मनोहर क्रांति है। जो शुंभ-निशुंभ आदि दैत्यों का नाश करने वाली हैं। वाणी बीज जिनका स्वरूप है तथा जो सच्चिदानन्दमय विग्रह से संपन्न हैं। उन भगवती महासरस्वती का मैं ध्यान करता हूं।

ध्यान करने के बाद बही खातों का गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें। जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है। वहां पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी-गणेश, सरस्वती और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें। कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रृंगार करके फूल आदि से सजाएं। इसके ही दाहिने और एक पंचमुखी दीपक जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाना चाहिए।

दीपावली पर कुबेर पूजन विधि

इस दिन ही शाम को कुबेर पूजन करने के लिए प्रदोष काल या सायंकाल का समय सही होता है। शुभ समय में कुबेर पूजन करना लाभकारी होता है। कुबेर पूजन करने के लिए सबसे पहले तिजोरी अथवा धन रखने के संदूक पर स्वस्तिक चिन्ह बनायें और कुबेर का आह्वान करें। आह्वान के लिए यह मंत्रोच्चारण करें-

आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु।

कोशं वद्र्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।।

आह्वान करने के बाद ऊँ कुबेराय नम: इस मंत्र को 108 बार बोलते हुए तिजोरी, संदूक का गंध, पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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