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गुरु पूर्णिमा 2025 :कब है , जानिए सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और इस दिन का धार्मिक महत्व
Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा के दिन आदिगुरु वेदव्यास की जंयती होती है। इसलिए आषाढ़ माह के पूर्णिमा तिथि का शास्त्रों में बहुत महत्व मिला है।
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) 2025 कब है: आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस साल 10 जुलाई 2025 को आषाढ़ी पूर्णिमा है और इसी दिन अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले गुरुओं को सम्मान के साथ पूजा की जाती है।
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त ( Guru Purnima shubh muhurat)
इस साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई को रात 01 . 36 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 11 जुलाई रात को 02 .06 मिनट पर तिथि खत्म होगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 10 जुलाई को रात 01 . 36 मिनट से होगी
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 11 जुलाई रात को 02 .06 मिनट पर तिथि खत्म होगी
अभिजीत मुहूर्त - 12:07 PMसे 12:59 PM
अमृत काल - - 02:16 PM – 03:52 PM
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 . 10 मिनट से 04 . 50 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 .45 मिनट से 03 . 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - रात 07 .21 मिनट से 07 . 41 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात 12 . 06 मिनट से 12 . 47 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा वेदव्यास जी का जन्मदिवस
आषाढ़ के पूर्णिमा के दिन वेदों के ज्ञाता और महाकाव्य महाभारत के रचियेता वेदव्यास जी का प्राक्ट्य दिवस भी मानते है और उनकी जन्म दिवस को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाते हैं। व्यास ने 18 पुराणों को रचा थी उनको आदिगुरु माना जाता है।
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥ कबीर दास ने अपने दोहे से गुरु की महिमा का बखान किया थी।
गुरु-शिष्य की परपंरा अनादिकाल से चली आ रही है। वैसे तो हर धर्म में पथ प्रर्दशक गुरु को ऊंच स्थान मिला है, लेकिन हिंदू धर्म में भगवान से गुरु की तुलना की गई। कहते हैं कि गुरु के ज्ञान से भक्ति, मोक्ष और ज्ञान का भंडार मिलता है।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
धर्म ग्रंथों मे गुरु की परब्रह्म माना गया है जिसकी महिमा उपरोक्त श्लोक से साफ झलकती है। इसलिए इस दिन को हम सभी को गुरु की पूजा करनी चाहिए।
गुरु पूर्णिमा की विधि-महत्व
इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत होने के बाद वेदव्यास जी पूजा 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाकरकरने के साथ हम सबको अपने गुरुओं का ध्यान करना चाहिए, जिससे हमने कुछ सीखा हो। साथ ही माता-पिता के भी चरण स्पर्श और पूजन करना चाहिए। जीवन में गुरु के सीखाएं मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए और मानवता को जिंदा रखना चाहिए। धार्मिक महापुराणों और महाकाव्यों की पूजा करना चाहिए। इस दिन गंगा यमुना या किसी भी पवित्र नदी स्नान और दान का महत्व है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह संभव नहीं हो पाया है। तो आप घर पर ही गंगा की कुछ बुंदे पानी में डालकर स्नान करें।
धर्मानुसार गुरु को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, लेकिन आपके जीवन में कोई गुरु नहीं तो आप इस दिन शिव जी या ब्रह्मा जी को गुरु मान कर आपना कल्याण कर सकते है। गुरु की कृपा से ज्ञान, विवेक, सहिष्णुता सुख, संपन्नता का समावेश होता है। गुरु अंधकार से प्रकाश, अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जातक हमें ज्ञान देते है।
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