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न कोई किसी का भाग्य बिगाड़ सकता है, न बना सकता है, हर व्यक्ति अपने कर्मों का निर्माता है- प्रेमानंद जी की सच्ची बात
Premanand ji Maharaj on Nazar Dosh प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि नजर दोष, जादू टोना, तंत्र-मंत्र सिर्फ अंधविश्वास हैं। जानिए उनके प्रवचन से सच और समाधान।
Premanand ji Maharaj on Nazar Dosh हर व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता है और कर्मो के जरिये इसका निर्माण करता है। श्रीजी के भक्त प्रेमानंद जी महाराज अपने गूढ़ और आध्यात्मिक विचारों से समाज का सुधार करने की कोशिश में लगे है।इसके लिए प्रसिद्ध हैं। वे जीवन के गहरे सत्य को सहज भाषा में जनता के समक्ष रखते हैं। हाल ही में उनका एक प्रवचन वीडियो वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने आम जनमानस में फैले कुछ विश्वासों को सीधे-सीधे अंधविश्वास करार दिया है, विशेषकर नजर दोष, जादू-टोना और तंत्र-मंत्र जैसी बातों को।क्या सचमुच किसी की नजर हमारे जीवन को बिगाड़ सकती है? क्या काले धागे, नींबू-मिर्च या उल्टे जूते से अनिष्ट टाला जा सकता है?
इन सवालों का जवाब प्रेमानंद जी महाराज ने अपने एक प्रवचन में दिया, जो आजकल सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस प्रवचन में उन्होंने कुछ जनश्रुतियों को सीधे-सीधे "अंधविश्वास" की श्रेणी में रखते हुए लोगों से कहा कि इन भ्रामक मान्यताओं से बाहर निकलें और परमात्मा की शरण में आएं।
क्या है नजर दोष?
हमारे यहां बहुत से लोग ऐसे कहते है कि किसी की "बुरी नजर" या ईर्ष्या भरी दृष्टि उनके जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। लोग अपने बच्चों को काला टीका लगाते हैं, नई गाड़ी के शीशे पर राक्षस की तस्वीर चिपकाते हैं या दुकान पर नींबू-मिर्च लटकाते हैं ताकि किसी की जलन या नजर से बचा जा सके।बहुतों को लगता है कि किसी की प्रशंसा भी "नकारात्मक ऊर्जा" बन सकती है।
संत प्रेमानंद जी का जवाब इसपर - एक भक्त ने जब महाराज जी से सवाल पूछा कि क्या नजर दोष की वजह से अच्छे कार्यों में रुकावट आती है, तो उन्होंने इस भ्रम को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा-कि "अगर किसी पर प्रभु की कृपा हो, तो उस पर काल की भी नजर नहीं लगती।" महाराज जी ने बताया कि "नजर लगना, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना जैसी बातें पूरी तरह कल्पना हैं।" अगर वाकई यह सब प्रभावशाली होता, तो संसार में अच्छे लोगों को कभी सफलता न मिलती और बुरे लोग हमेशा दूसरों को नुकसान पहुंचाते रहते।
नजर दोष नहीं, हमारे कर्म तय करते हैं जीवन की दिशा
प्रेमानंद जी ने कहा कि जीवन में जो भी घटता है, वह हमारे अपने कर्मों का फल है। उन्होंने स्पष्ट किया: "कोई किसी का भाग्य नहीं बिगाड़ सकता। सुख-दुख का कारण केवल अपने कर्म हैं।"
अगर किसी ने किसी को अपशब्द कह दिया और कुछ समय बाद उसके जीवन में कोई परेशानी आई, तो यह महज संयोग हो सकता है। ऐसा नहीं कि उस व्यक्ति की बोली में कोई अलौकिक शक्ति थी।
गुरु ग्रंथ साहिब का सन्देश भी यही कहता है- महाराज जी ने प्रवचन में कहा कि "गुरु ग्रंथ साहिब" में लिखा है — ‘हुकुम ए अंदर सब कुछ, बाहर हुकुम न कोय।’ इसका अर्थ है कि ब्रह्मांड में जो कुछ भी होता है, वह ईश्वर की आज्ञा से होता है, बाहर से कोई भी अन्य शक्ति उसका निर्धारण नहीं कर सकती। क्या किसी की तारीफ या जलन से धन-संपत्ति घट सकती है?
एक प्रश्न के उत्तर में जब पूछा गया कि क्या नजर से किसी धनवान की संपत्ति घट सकती है, तो महाराज जी ने हंसकर कहा कि-
"यदि ये बातें सच होतीं, तो दुनिया के तमाम अमीर लोग सड़क पर आ जाते।" ईर्ष्या करना, जलना — ये सब इंसानी प्रवृत्तियां हैं। लेकिन इनसे किसी का भाग्य नहीं बदलता। जो बदलाव आता है, वह ईश्वर की इच्छा और हमारे कर्मों के फल के रूप में आता है।
भगवान की कृपा से टल जाता है हर अमंगल
महाराज जी ने प्रवचन में कहा कि "यदि आपके ऊपर ईश्वर की दृष्टि है, तो फिर किसी और की नजर का कोई असर नहीं पड़ सकता।" प्रभु की कृपा ही हमारी असली सुरक्षा कवच है। न कोई मंत्र, न कोई शाप, न कोई तांत्रिक विधि – यदि भगवान का नाम जीवन में है, तो अन्य कोई शक्ति आपको छू भी नहीं सकती। महाराज जी कहते हैं कि कई लोग घर की दीवारों पर डरावने चित्र लगाते हैं, उल्टे जूते लटकाते हैं, और मानते हैं कि इससे बुरी शक्तियां दूर रहेंगी।
उनका जवाब था: "अगर कोई छवि लगानी ही है तो भगवान की लगाइये, डरावने प्रतीकों से कोई कल्याण नहीं होता।" यह सब अंधविश्वास की श्रेणी में आता है और हमारे भीतर भय और असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है।
किसी भी कार्य में सफलता का मूल मंत्र: ईश्वर का नाम है, महाराज जी कहते हैं — "राधा-राधा जपते हुए घर से निकलो, कोई बाधा नहीं आयेगी।"
ईश्वर का नाम ही वह ऊर्जा है जो हमारी रक्षा करता है, न कि कोई बाहरी वस्तु या टोटका। सखियों की बलैया और काला टीका: प्रेम का संकेत, भय का नहीं, जब राधा रानी का श्रृंगार किया जाता है या बालकों को टीका लगाया जाता है, तो वह नजर दोष से बचाने के लिए नहीं, बल्कि प्रेम और भाव की अभिव्यक्ति होती है।
प्रेमानंद जी ने कहा है कि "निकुंज में किसकी नजर लग सकती है? यह सब प्रेम की क्रियाएं हैं, तांत्रिक उपाय नहीं।"बच्चे को काला टीका लगाना भी इसी स्नेह का प्रतीक है, न कि कोई दैवी उपाय।
अंधविश्वास से ऊपर उठें, प्रभु की शरण में जाएं,संत प्रेमानंद जी महाराज का संपूर्ण संदेश यही है- नजर दोष, जादू-टोना जैसी धारणाएं केवल मानसिक भ्रम हैं। जीवन में जो भी घटता है, वह हमारे कर्मों और ईश्वर की कृपा से होता है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
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