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Bihar Politics : जातीय जनगणना की मांग से पीछे नहीं हटेंगे नीतीश, दूसरे दलों से चर्चा के बाद तय करेंगे रणनीति

Bihar Politics : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार ने कहा कि हम अपने पुराने रुख पर कायम हैं कि यह कदम पूरी तरह राष्ट्रीय हित में है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 27 Sep 2021 10:22 AM GMT (Updated on: 27 Sep 2021 10:23 AM GMT)
Nitish Kumar
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Bihar Politics : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जातीय जनगणना (Jatiya Janganana) की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) की ओर से बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार ने कहा कि हम अपने पुराने रुख पर कायम हैं कि यह कदम पूरी तरह राष्ट्रीय हित में है। उन्होंने कहा कि देश में तमाम पिछड़ी जातियां विकास की दौड़ में पिछड़ती जा रही हैं। जातीय जनगणना करके हम इन जातियों को भी प्रगति के रास्ते पर ले जाने में कामयाब हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि वह इस बाबत बिहार के राजनीतिक दलों से जल्द ही चर्चा करेंगे। इस चर्चा के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी ताकि केंद्र सरकार को देश में जातीय जनगणना कराने के लिए तैयार किया जा सके। सियासी जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में नीतीश की ओर से इस बाबत केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाए जाने के आसार हैं।

अभी खारिज नहीं की गई है मांग

सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हाल में दाखिल किए गए हलफनामे के संबंध में सवाल पूछे जाने पर नीतीश कुमार ने कहा कि अभी इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह जातीय जनगणना के मुद्दे से जुड़ा हुआ नहीं था। इसलिए अभी इस मांग को पूरी तरह खारिज नहीं माना जाना चाहिए।

उन्होंने जातीय जनगणना के खिलाफ दिए जा रहे तर्कों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि बिहार ही नहीं कई अन्य राज्यों ने भी इस बाबत मांग उठाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे जल्द ही बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से इस बाबत विचार विमर्श करेंगे और उसके बाद ही जातीय जनगणना के मुद्दे पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

गले की फांस बनी जातीय जनगणना


दरअसल, जातीय जनगणना का मुद्दा अब नीतीश कुमार के भी गले की फांस बन गया है। वे खुद काफी दिनों से जातीय आधार पर मतगणना कराने की वकालत करते रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हाल में दाखिल हलफनामे में जातीय जनगणना को प्रशासनिक नजरिए से बेहद कठिन और बोझिल बताया गया है।

2011 में इस बाबत जुटाए गए आंकड़ों को भी गलत और अशुद्धियों से भरपूर बताया गया है। इस हलफनामे के बाद यह तय हो गया है कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराने के लिए तैयार नहीं है। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार भाजपा की मदद से चल रही है। ऐसे में नीतीश कुमार इस मुद्दे पर बुरी तरफ फंसते नजर आ रहे हैं।

बिहार के कई भाजपा नेताओं ने केंद्र सरकार के रुख का समर्थन करते हुए कहा है कि जातीय जनगणना की कोई जरूरत नहीं है। भाजपा ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक रूप से उलझे मुद्दों पर उसका नजरिया सहयोगी दलों से अलग भी हो सकता है।

दूसरे दल साध रहे नीतीश पर निशाना


दूसरी और बिहार के विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर अब नीतीश कुमार पर हमले शुरू कर दिए हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से सवाल किया है कि अब वे इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें। नीतीश कुमार ने पिछले दिनों 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।

इस दल में शामिल नेताओं ने जातीय जनगणना की वकालत करते हुए केंद्र सरकार से इस दिशा में कदम उठाने का अनुरोध किया था। उस समय पीएम मोदी ने बिहार के दल को इस मुद्दे पर विचार करने का आश्वासन दिया था। अब केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट होने के बाद विपक्ष ने तीखे तेवर अपना लिए हैं।

तेजस्वी ने नीतीश और भाजपा को घेरा

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार को घेरने के साथ ही भाजपा पर भी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा ने इस बाबत दो बार प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा था। उस प्रस्ताव पर भाजपा की भी सहमति थी। अब केंद्र सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि केंद्र और राज्य के भाजपा नेताओं का रुख अलग-अलग कैसे हो सकता है।

तेजस्वी ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तीन दिन का समय देने की बात कही है। उनका कहना है कि यह समय सीमा समाप्त होने के बाद विपक्षी दल बैठक करके आगे की रणनीति बनाएंगे। उन्होंने इस बाबत दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं से चर्चा शुरू भी कर दी है। यही कारण है कि अब नीतीश के लिए इस मुद्दे पर जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है।

Vidushi Mishra

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