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बिहार में 'महासंग्राम'! NDA में चिराग की 'बगावत' से हड़कंप, 72 करोड़ के 'खेल' से CM नीतीश की कुर्सी पर खतरा?

Chirag Paswan Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, टिकट बंटवारे को लेकर होमवर्क लगभग पूरा हो चुका है। एनडीए के रणनीतिकारों ने हर विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों का गहन सर्वेक्षण करवाया है।

Harsh Srivastava
Published on: 10 Jun 2025 9:27 PM IST
Chirag Paswan Bihar election 2025
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Chirag Paswan Bihar election 2025

Chirag Paswan Bihar election 2025: सियासत का अखाड़ा सज चुका है, जहाँ हर चाल, हर दांव और हर बयान के अपने गहरे मायने हैं। बिहार की धरती एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मियों का केंद्र बन चुकी है, जहाँ विधानसभा चुनाव की आहट साफ सुनाई दे रही है। राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी बिसात बिछा चुकी हैं, और जीत की मुहर लगाने के लिए हर संभव रणनीति पर काम कर रही हैं। यह सिर्फ सीटों के बँटवारे या उम्मीदवारों के चयन का खेल नहीं है, बल्कि यह जातीय समीकरणों को साधने, जनाधार को मजबूत करने और भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करने की एक बड़ी कवायद है। इस बार एनडीए खेमे में चल रही अंदरूनी हलचल और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की अप्रत्याशित घोषणा ने इस चुनावी समर को और भी दिलचस्प बना दिया है।

जातीय समीकरण और 'सिटिंग गेटिंग' फॉर्मूला

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, टिकट बंटवारे को लेकर होमवर्क लगभग पूरा हो चुका है। एनडीए के रणनीतिकारों ने हर विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों का गहन सर्वेक्षण करवाया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किस सीट पर किस जाति के उम्मीदवार को उतारा जाए, ताकि जातीय समीकरणों को प्रभावी ढंग से साधा जा सके। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से ही निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। सहयोगी दलों को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे बिना जातिगत समीकरणों को समझे उम्मीदवार खड़ा न करें।

एक और महत्वपूर्ण सहमति यह बनी है कि "सिटिंग गेटिंग" का फॉर्मूला चलेगा। यानी, जिसके पास अभी जो सीट है, उसे वही सीट मिलेगी। यह फॉर्मूला मौजूदा विधायकों को स्थिरता प्रदान करता है, लेकिन इसके कुछ अपवाद भी होंगे। सर्वेक्षण और प्रदर्शन के आधार पर कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काटा जा सकता है। खासकर, जिन विधायकों की लगातार दो सर्वेक्षणों में नकारात्मक रिपोर्ट आई है, उनके टिकट कटने की संभावना अधिक है। एनडीए में सीटों के बंटवारे पर अभी बिहार में कुछ और दौर की चर्चाएं होंगी, जिसके बाद अंतिम मुहर लगाने के लिए यह मामला दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यह दर्शाता है कि एनडीए इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता और हर पहलू पर गहन विचार कर रहा है।

चिराग पासवान का "बिगुल" और राजनीतिक दांव

इस बीच, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। उन्होंने घोषणा की है कि वे इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव उस सीट से लड़ेंगे, जिसे "लोग उनके लिए तय करेंगे"। उनकी इस घोषणा ने राज्य की राजनीति में उनकी वापसी को लेकर हफ्तों से चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है। आरा में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा, "हर कोई जानना चाहता है कि क्या मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। मैं घोषणा करता हूं कि मैं सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा। मैं अपने लिए नहीं बल्कि बिहार की जनता के लिए चुनाव लड़ूंगा। मैं यह आप पर छोड़ता हूं कि मुझे किस सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।"

चिराग पासवान की यह घोषणा सिर्फ एक उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अनारक्षित सीट से चुनाव लड़ने की उनकी योजना को उनकी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं। मेरे चुनाव लड़ने से मेरी पार्टी के लिए बेहतर स्ट्राइक रेट सुनिश्चित होगा, जिससे एनडीए को मदद मिलेगी।" केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी एनडीए को विधानसभा चुनाव में भारी अंतर से जीत दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।

चिराग का बढ़ता कद और सीट बंटवारे की चुनौतियां

चिराग पासवान की इस घोषणा को एनडीए सहयोगियों, खासकर बीजेपी और जेडी(यू) के साथ सीट बंटवारे की बातचीत से पहले अपनी पार्टी के लिए राजनीतिक लाभ हासिल करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी और जेडी(यू) दोनों ही 100-100 से अधिक सीटों पर नजर गड़ाए हुए हैं, जिससे छोटे सहयोगी दलों के लिए सीटों की संख्या सीमित हो सकती है। चिराग पासवान ने पिछले साल के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के 100 फीसदी स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए कथित तौर पर 40 सीटों की मांग की है। उनका यह कदम एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ा सकता है, क्योंकि बीजेपी और जेडी(यू) को चिराग की महत्वाकांक्षाओं को समायोजित करने में चुनौती आ सकती है।

चिराग पासवान का यह बयान कि वह सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, भले ही प्रतीकात्मक हो, लेकिन यह उनकी पार्टी की ताकत और बिहार की राजनीति में उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। यह भी संकेत देता है कि वे एनडीए में अपनी हिस्सेदारी को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं। बिहार का यह चुनावी समर अब न केवल पारंपरिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का गवाह बनेगा, बल्कि एनडीए के भीतर भी ताकत के समीकरणों में बदलाव और महत्वाकांक्षाओं के टकराव को सामने लाएगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए के घटक दल किस तरह से इन चुनौतियों से निपटते हैं और बिहार की जनता किसे अपना अगला नेतृत्व चुनती है।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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