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कोरोना काल में गोवा सरकार से सबक ले सकती हैं अन्य राज्यों की सरकारें

राज्यों को गोवा सरकार की तरह ऐसा आइसोलेशन किट तैयार कर हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमित लोगों को बांटना चाहिए।

Vijay Kumar Tiwari
Written By Vijay Kumar TiwariPublished By Dharmendra Singh
Published on: 14 April 2021 5:19 PM IST
आइसोलेशन किट
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गोवा की सरकार की तरफ से दी जा रही आइसोलेशन किट (फोटो: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी का संकट दिनों-दिन गहराता जा रहा है। देश के कई राज्यों में कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। कई राज्यों में कोरोना संक्रमित होने के बाद मरीजों को सरकार की जरूरी सुविधाएं दी जा रही है, तो वहीं कई राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना संक्रमित होने के बाद मरीजों को उनके हाल पर छोड़ दिया जा रहा है और उनको कोई पूछने वाला नहीं है।

देश के सभी राज्यों को गोवा सरकार की तरह ऐसा आइसोलेशन किट तैयार कर हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमित लोगों को बांटना चाहिए। ताकि घरों में रहकर भी लोग स्वस्थ हों और उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत न पड़े। जब गोवा जैसा छोटा राज्य यह कर सकता है तो अन्य राज्य क्यों नहीं।
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में मरीजों की जांच के बाद जो मरीज अस्पताल में नहीं जा रहे हैं और होम क्वॉरेंटाइन हैं उन्हें उनके रिपोर्ट के साथ दवा की एक पर्ची दे दी जा रही है तथा उसमें कुछ संबंधित दवाओं को भी खाने के लिए दिया जाता है। साथ ही साथ नगर निगम और नगर पालिका के लोग उस पर नजर बनाए रखते हैं। इसके लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है, जहां पर जानकारी मिलते ही गंभीर मरीजों को तत्काल एंबुलेंस के जरिए अस्पतालों में शिफ्ट किया जाता है, लेकिन लगातार बढ़ रहे मरीजों की वजह से ग्रामीण इलाकों में कुछ जगह असुविधा की शिकायतें मिल रही हैं।

कोरोना वायरस की जांच के लिए अपनी बारी का इंतजार करते लोग (फोटो: सोशल मीडिया)
हिमाचल प्रदेश में स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी बेहतर है, क्योंकि वहां पर कोरोना मरीजों की संख्या काफी कम है। जितने भी मरीज निकल रहे हैं उनसे अधिक बेड ऑलरेडी अस्पतालों में मौजूद हैं। इसलिए कोरोनावायरस का इलाज करने में सरकार को किसी भी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ रहा है। पहाड़ी इलाकों में एक दो मरीजों को थोड़ी बहुत आ रही दिक्कत तो उसको भी तत्काल सरकार दूर करने की कोशिश कर रही है।
छत्तीसगढ़ में कुछ हालात जरूर अलग तरह के हैं। वहां पर सरकारी अस्पतालों में बेड भरे पड़े हैं, लेकिन जो लोग प्राइवेट अस्पतालों में अपना इलाज या जांच कराना चाहते हैं, वहां पर सुविधा मौजूद है। साथ ही साथ उनको कुछ आवश्यक दवाएं भी दी जाती हैं, ताकि सामान्य लक्षणों का इलाज वह घर पर बैठकर कर सकें।
दक्षिण के राज्य कर्नाटक में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन वहां पर सरकार की तरफ से घर पर क्वॉरेंटाइन मरीजों को दवा से लेकर दूसरी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य बिहार में भी कोरोना मरीजों के उपचार का हाल ठीक वैसा ही है जैसा उत्तर प्रदेश के जिलों में देखा जा रहे हैं । वहां पर भी बेड फुल हैं और कहीं पर भी नए मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं मिल पा रही है। होम क्वारेंटाइन मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है, जो लोग सक्षम हैं। वह अपने पैसे खर्च करके प्राइवेट या अन्य जगहों पर अपना इलाज कर रहे हैं। सरकार के तरफ से घर में होम क्वारेंटाइन रहने वाले लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है

कोरोना की जांच के लिए लाइन में लगे लोग ( फोटो: सोशल मीडिया)
हरियाणा में भी सरकार नाइट कर्फ्यू लगा कर एक तरह से रात में पूरी तरह से बंदी जैसा माहौल पैदा कर दिया है। सड़कों मास्क के लिए चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है और जुर्माने भी लगाए जा रहे हैं। अस्पतालों में लगातार बढ़ रहे मरीजों की वजह से सुविधाएं कम होती जा रही हैं तथा कई अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के साथ-साथ जांच और रिपोर्ट में देरी की बातें सुनने में आ रही हैं। घर में होम क्वारेंटाइन लोगों को अलग से कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।
झारखंड में भी कोरोना का इलाज लोग भगवान भरोसे कर रहे हैं। सरकार के मुख्यमंत्री उपचुनाव को लेकर व्यस्त हैं, तो वहीं अस्पतालों का बड़ा बुरा हाल है। एक ओर जहां नये मरीजों को आसानी से बेड नहीं निल रहे हैं। वहीं घरों में होम क्वारेंटाइन रहने वाले मरीजों को भी कोई सुविधा अलग से नहीं दी जा रही है, उन्हें जांच के बाद अपने हाल पर छोड़ दिया जा रहे है।


Dharmendra Singh

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