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Coronavirus Vaccine: वैक्सीन की सिंगल डोज कोरोना वायरस पर सिर्फ 33 फीसदी प्रभावी

Coronavirus Vaccine: कोरोना वायरस के बी 1.617.2 वेरियंट पर एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 60 फीसदी असरदार पाई गई है।

Dharmendra Singh
Published By Dharmendra Singh
Published on: 24 May 2021 12:59 AM IST (Updated on: 24 May 2021 1:00 AM IST)
Coronavirus Vaccine: वैक्सीन की सिंगल डोज कोरोना वायरस पर सिर्फ 33 फीसदी प्रभावी
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कोरोना वायरस वैक्सीन (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Coronavirus Vaccine: कोरोना वायरस के बी 1.617.2 वेरियंट पर एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 60 फीसदी असरदार पाई गई है। यह वही वेरियंट है जो कोरोना की दूसरी लहर में भारत में फैला है। एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन भारत में कोविशील्ड नाम से चल रही है।

इंग्लैंड में कोरोना के बी 1.617.2 वेरियंट पर फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के असर की एक स्टडी की गई है। यह स्टडी 5 अप्रैल से 16 मई के बीच की गई, जिसमें पता चला है कि दोनों डोज लगने के दो हफ्ते बाद फाइजर की वैक्सीन 88 फीसदी असरदार पाई गई। जबकि यूके में पहले मिले बी 1.1.7 वेरियंट के खिलाफ यह 93 फीसदी असरदार थी।
स्टडी में पता चला है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगने के बाद बी 1.617.2 वेरियंट के खिलाफ इसका असर 60 फीसदी रहा। यूके वेरियंट के खिलाफ यह 66 फीसदी प्रभावी रही थी।

सिंगल डोज़ का असर बेहद कम

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) द्वारा की गई स्टडी में पता चला है कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका दोनों ही वैक्सीनों के सिंगल डोज़ का तीन हफ्ते बाद असर सिर्फ 33 फीसदी था। यूके वेरियंट पर यह असर 50 फीसदी था।
इस रिसर्च एनालिसिस में सभी उम्र वर्ग के लोगों का डेटा शामिल है। इसमें 1054 ऐसे लोग शामिल हैं जो बी 1.617.2 वेरियंट से संक्रमित हुए थे। यह सभी अलग अलग मूल के थे, यानी एशियन, यूरोपियन, अमेरिकन आदि सभी तरह के लोगों की स्टडी की गई। रिसर्च में 65 वर्ष से ऊपर के लोगों पर दिसंबर से की गई एनालिसिस शामिल है। वैक्सीनों की असरदारिता पर पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की रिसर्च लगातार जारी है।

कोरोना वैक्सीन (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Coronavirus: अब खोजी कुत्तों की मदद से कोरोना से जंग

Coronavirus: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है। इस कारण विभिन्न लैबों पर जांच का बोझ काफी बढ़ चुका है। ऐसे में यह खबर काफी राहत पहुंचाने वाली है कि इंसानों में इस घातक वायरस का पता लगाने में खोजी कुत्ते बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में खोजी कुत्तों की इस क्षमता के संबंध में सनसनीखेज खुलासा किया है। फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का कहना है कि कुत्तों में सूंघने की शक्ति वैसे ही बहुत ज्यादा होती है और इस संबंध में प्रशिक्षित कुत्ते और बड़ा कमाल दिखा सकते हैं। शोध के मुताबिक प्रशिक्षित कुत्ते इंसानों के पसीने की महक से कोरोना संक्रमण के संबंध में सटीक जानकारी दे सकते हैं। कुत्तों की क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए फिनलैंड के हेलसिंकी-वांता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रशिक्षित कुत्तों की तैनाती भी की जा चुकी है।

कुत्तों के नतीजे 97 फ़ीसदी सटीक

फ्रांसीसी वैज्ञानिकों के शोध में कहा गया है कि कुत्तों की मदद से कोविड स्क्रीनिंग का काम मिनट भर में किया जा सकता है जबकि रैपिड एंटीजन जांच में भी कोरोना वायरस का पता लगाने में इससे ज्यादा समय लगता है। कोरोना वायरस का पता लगाने में कुत्तों की भूमिका के संबंध में यह शोध पेरिस के नेशनल वेटरनरी स्कूल ऑफ एल्फोर्ड के शोधकर्ताओं ने किया है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि सूंघने की जबर्दस्त क्षमता के कारण कुत्ते इंसानों में कोरोना वायरस के संक्रमण का 97 फ़ीसदी तक सटीक अंदाजा लगा सकते हैं।

मरीजों का पता लगाने में पहली बार इस्तेमाल

अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता डॉमिनिक ग्रैंडजीन का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ इंसानी शरीर भी प्रतिक्रिया देता है। यह प्रतिक्रिया उसके पसीने और सलाइवा में भी दिखती है। इसे सूंघकर खोजी कुत्ते कोरोना संक्रमण का पता लगा सकते हैं। अभी तक विस्फोटक या ड्रग्स का पता लगाने में ही प्रशिक्षित कुत्तों की मदद ली जा रही है मगर कोरोना संकटकाल में पहली बार कुत्तों के सूंघने की जबर्दस्त क्षमता का उपयोग कोरोना के मरीज का पता लगाने में किया जा रहा है। ग्रैंडजीन का कहना है कि पूरी दुनिया में कोरोना के कहर के दौरान प्रशिक्षित कुत्तों के जरिए टेस्टिंग में बड़ी मदद ली जा सकती है।

सीधे संपर्क में नहीं आएंगे खोजी कुत्ते

एक अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स ने भी अपने अध्ययन में पाया है कि एक खोजी कुत्ते की मदद से एक दिन में 300 इंसानों की कोविड स्क्रीनिंग की जा सकती है। टास्क फोर्स का कहना है कि जांच के लिए कुत्ते के उस व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने की कोई जरूरत भी नहीं होगी। इसमें जांच के लिए नाक से स्वाब नमूने लेने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। खोजी कुत्तों की मदद से कम समय व संसाधन में भी कोरोना की जांच संभव हो जाएगी। इस अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से किया गया था और इसे कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने में खोजी कुत्तों के उपयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
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