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SC: स्कूलों को दे सकता है निर्देश, पॉर्न रोकने के लिए बसों में लगेगा इंटरनेट जैमर
याचिका दायर करने वाले आरपी सक्सेना ने कहा, 'स्कूल के अंदर इंटरनेट जैमर लगाना उचित नहीं होगा क्योंकि इससे स्टूडेंट्स स्कूल में कंप्यूटर का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। लेकिन स्कूल बस के ड्राइवर्स और हेल्पर्स मोबाइल पर ये सब न देख पाएं, इसके लिए बसों में जैमर लगाया जाना आवश्यक है।' सुप्रीम कोर्ट वुमेन लॉयर एसोशिएशन का कहना है कि 'पोर्न साइट्स फ्री होने ही नहीं चाहिए और जो देखने के लिए उतावले हैं उन्हें इसे देखने के लिए भारी रकम अदा करनी चाहिए।'
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर विचार करते हुए सरकार स्कूलों को यह निर्देश दे सकती है कि वो अपने बसों में इंटरनेट जैमर का प्रयोग करें। दरअसल इस याचिका में कहा गया है कि बस के कर्मचारी पॉर्नोग्राफिक मटीरियल आपस में शेयर करते हैं और उसके बाद बच्चों का यौन उत्पीड़न करते हैं।
क्या कहा याचिका ने?
याचिका दायर करने वाले आरपी सक्सेना ने कहा, 'स्कूल के अंदर इंटरनेट जैमर लगाना उचित नहीं होगा क्योंकि इससे स्टूडेंट्स स्कूल में कंप्यूटर का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। लेकिन स्कूल बस के ड्राइवर्स और हेल्पर्स मोबाइल पर ये सब न देख पाएं, इसके लिए बसों में जैमर लगाया जाना आवश्यक है।'
सुप्रीम कोर्ट वुमेन लॉयर एसोशिएशन का कहना है कि 'पोर्न साइट्स फ्री होने ही नहीं चाहिए और जो देखने के लिए उतावले हैं उन्हें इसे देखने के लिए भारी रकम अदा करनी चाहिए।'
एक और याचिकाकर्ता प्रेरणा कुमारी ने कहा, 'ड्राइवर और कंडक्टर बच्चों की मासूमियत का फायदा उठाते हैं और उन्हें पॉर्न देखने के लिए बहलाते-फुसलाते हैं। उसके बाद वो बच्चों का यौन उत्पीड़न भी करते हैं।'
रिपोर्ट के मुताबिक, करोड़ों भारतीय अपने स्मार्टफोन्स पर पॉर्न देखते हैं या कम दाम में उपलब्ध ऐसे वीडियोज से भरे मैमोरी चिप्स का प्रयोग करते हैं। कुछ इंटरनेट कंपनियों का कहना है कि सारे पॉर्न साइट्स को ब्लॉक करना असंभव है क्योंकि बहुत से साइटों का सर्वर भारत से बाहर का होता है।