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भंसाली की सपोर्ट में बोले निर्देशक राहुल रवैल: इतिहास की पुनव्र्याख्या करने का हक
फिल्म 'पद्मावती' को लेकर विवादों में घिरे फिल्मकार संजय लीला भंसाली का पक्ष लेते हुए निर्देशक राहुल रवैल ने कहा कि उन्हें (भंसाली) अपनी कल्पना के आधार पर
मुंबई: फिल्म 'पद्मावती' को लेकर विवादों में घिरे फिल्मकार संजय लीला भंसाली का पक्ष लेते हुए निर्देशक राहुल रवैल ने कहा कि उन्हें (भंसाली) अपनी कल्पना के आधार पर इतिहास की पुनव्र्याख्या करने का अधिकार है।
चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी या पद्मावती के जीवन पर बनी फिल्म के विरोध में शुक्रवार को राजस्थान में चित्तौड़गढ़ किले में पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया। श्री राजपूत करणी सेना सहित कई संगठन भंसाली पर इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाकर फिल्म के प्रदर्शन का विरोध कर रहे हैं।
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रवैल का मानना है कि विरोधियों को भंसाली के नजरिए और उनके बयान पर भरोसा करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "क्या वह ऐतिहासिक या अर्ध ऐतिहासिक फिल्म बना रहे हैं? खैर, जो भी है, उन्हें अपनी कल्पना के आधार पर इतिहास की पुनव्र्याख्या करने का अधिकार है। भंसाली ने इससे पहले शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास 'देवदास' की पुनव्र्याख्या की थी।"
रवैल ने कहा, "उन्होंने अपनी फिल्म में शरतचंद्र की पारो और चंद्रमुखी को आमने-सामने लाकर एक अहम बदलाव किया था। यह मूल उपन्यास से उलट था।"
रवैल ने दावा किया कि उन्होंने 'पद्मावती' की पटकथा पढ़ी है, उन्हें उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, "इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे देशभर में बवाल मचाया जाए। फिल्म को रिलीज होने दीजिए और दर्शकों को जानने दीजिए कि इसमें क्या है।"
रवैल का मानना है कि फिल्मकारों को दबाने का प्रयास संक्रामक रोग बन गया है।
उन्होंने कहा, "12 साल पहले जब मुझे अपनी फिल्म 'जो बोले सो निहाल' के लिए निशाना बनाया गया, तो उस समय कोई भी मेरे साथ खड़ा नहीं हुआ। आज भंसाली खुशकिस्मत हैं कि उनके पक्ष में बोलने के लिए कई लोग हैं। फिल्म बनाने के हमारे अधिकार को दबाने के विरोध में हमें एक स्वर में अपनी आवाज बुलंद करने के लिए खड़ा होना चाहिए। कल तक मैं पीड़ित था, आज भंसाली हैं। कल कोई और हो सकता है।"
निर्देशक ने कहा कि जब तक फिल्मकार एकजुट होकर खड़ा नहीं होंगे, तब तक 'गुंडागर्दी' नहीं रुकेगी।