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गांव की रामलीला से की थी एक्टिंग की शुरुआत,अब बॉलीवुड के रावण बनेंगे गुल्शन

बॉलीवुड के बैड मैन गुलशन ग्रोवर हमेशा से खुद को आज़माते आए हैं।अपनी हर फिल्म में वो अपने किरदार के साथ एक्सपेरिमेंट करते नज़र आते हैं.नेगेटिव रोल के लिए मशहूर गुलशन अब अपनी अगली फिल्म महायोद्धा राम में रावण का किरदार निभाते नज़र आएंगे।फिल्म 4 नवंबर को सिनेमाघरों में आएगी

priyankajoshi
Published on: 23 Oct 2016 8:32 AM GMT
गांव की रामलीला से की थी एक्टिंग की शुरुआत,अब बॉलीवुड के रावण बनेंगे गुल्शन
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मुंबई : बॉलीवुड के बैड मैन गुलशन ग्रोवर हमेशा से खुद को आज़माते आए हैं।अपनी हर फिल्म में वो अपने किरदार के साथ एक्सपेरिमेंट करते नज़र आते हैं.नेगेटिव रोल के लिए मशहूर गुलशन अब अपनी अगली फिल्म महायोद्धा राम में रावण का किरदार निभाते नज़र आएंगे।फिल्म 4 नवंबर को सिनेमाघरों में आएगी।हाल ही में Newstrack.com के साथ हुए इंटरव्यू में उन्होंने फिल्म से जुडी कई दिलचस्ब बातें शेयर की।

रावण बुराई का प्रतीक माना जाता है.राम की तुलना में इस किरदार को इस फिल्म में किस तरह अलग दिखाया गया है?

बहुत सारे किरदार रामायण से जरूर जुड़े हैं लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम से जो किरदार सबसे ज्यादा गहराई की से जुड़ा है वो रावण हैं.राम जिस तरह जितनी तीव्रता से जितने असरदार ढंग से अच्छाई के प्रतीक हैं उसी तरह रावण बुराई का प्रतीक है वो उस पर कायम है.फिल्मों में सीरियल्स में जो कहानियां हमने दिखायीं ये फिल्म उससे अलग है क्योंकि इससे पहले जो रावण का चरित्र निर्माण हुआ वो हमेशा से लाउड रहा है.लेकिन इस फिल्म में रावण लाउड नहीं है और साथ ही में नयी पीढ़ी से इसका जुड़ाव होगा क्योंकि फिल्म में रावण का गाना है वो रैप स्टाइल मे है.फिल्म में राम और बाकी किरदारों की जो विकास यात्रा है वो नयी पीढ़ी के हिसाब से प्रस्तुत किया गया हैं.ठीक उसी तरह रावण सिर्फ चीखता चिल्लाता नहीं है.

एक रावण के इतने सारे नाम क्यों पड़े.. क्या फिल्म में इस बारे में बताया जाएगा ?

देखिए ये थ्री डी एनिमेशन फिल्म जरूर है लेकिन ये बचकानी फिल्म नहीं है..आपने जो सवाल पूछा बड़ा ही सटीक सवाल है कि आखिर इन नामों के पीछे की कहानी क्या है.लंका पति तो जाहिर है कि वो राजा थे लंका के और रावण तो उनका असल नाम था.लेकिन दशानन इसलिए पड़ा क्योंकि उनके दस सिर थे ये भी ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन इस फिल्म में इन दसों सिरों की सोच दिखायी गयी है.(हंसते हुए) मैं स्क्रिप्ट में ये चीज देखकर हैरान रह गया..रावण के दस सिर एक वक्त पर अलग अलग क्या सोचते हैं ये अपने आप में फिल्म के बारे में दिलचस्पी बढ़ा देता है.फिल्म में दस के दस सर हैं और उनकी अपनी व्यक्तिगत राय है.उनमें से एक सर तो विष्णु जी का परम भक्त है.सोचिए(हंसते हुए) रावण का भक्त लेकिन विष्णु जी का भक्त।

आगे की स्लाइड में पढ़ें गुल्शन ने और क्या कहा ...

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ये बाकी एनिमेशन फिल्म से कैसे अलग है

महायोद्धा राम पहले तो थ्री डी में है.दूसरी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस फिल्म में मैने सिर्फ आवाज़ भर नहीं दी है बल्कि मैने इस फिल्म के लिए हाव भाव भी शूट किये हैं.नये जमाने के निर्देशकों को हर काम में परफेक्शन चाहिए तो उन्होने सिर्फ डबिंग भर से काम नहीं चलाया बल्कि फिल्म को एनिमेशन में जाने से पहले उन्होने पूरी तरह मेरे हावभाव..हंसी..चेहरे के अलग अलग खिंचाव .चलने का अंदाज़.ये सब रिकॉर्ड किया.कुल दस कैमरे मेरे हर एक्शन को कैद करने के लिए लगा दिये गये और ये सब हुआ एनिमेशन में फिल्म जाने से पहले..इस नयी तकनीक से मेरे रिकॉर्ड किये गये हर एक्शन इमोशन को एनिमेशन पर लागू किया तो जब आप ये फिल्म देख रहे होंगे तो एनिमेशन में भी आपको गुलशन ग्रोवर दिखायी सुनाई देगा।

रावण का एक पहलु उनकी विद्वत्ता भी है..क्या ये पहलु भी नजर आयेगा?

जी बिल्कुल,ये सबसे खास पहलु है रावण के किरदार का कि वो महापंडित थे..विद्वान थे..बहुत कम लोगों को पता है कि जब राम को जरूरत थी किसी अनुष्ठान की तो रावण ने उसमें पंडित की भूमिका निभा कर अनुष्ठान संपन्न कराया था.साथ में रावण कैसे सबकुछ पहले से जानते थे ये भी है.उन्होने कैसे शूर्पणखा को इस पूरी लड़ाई में मोहरा बनाया.कैसे मारीच मामा को इस्तेमाल किया.ये सारी चीजे इसमें हैं और इन सारी बातों से नयी पीढ़ी जुड़ेगी ये दावा है।

राम रावण की इस महागाथा से आपका परिचय कब हुआ..कब सुनी थी आपने ये कहानी पहली बार.और एक्टिंग से तार कब जुड़े?

ये बड़ा गजब का संयोग है कि आप ये सवाल पूछ रहे हैं और हम बात रामायण की कर रहे हैं..अभिनय से पहला रिश्ता रामलीला से ही हुआ. दिल्ली के बाहरी इलाके में त्रिनगर है जहां मैं पला बढ़ा.वहां रामलीला बहुत होती थी.मेरे स्वर्गीय पिताजी त्रिनगर की रामलीला के मुख्य संयोजक थे और वो रामलीला का नाट्य रूपांतरण लिखते भी थे.तो उनकी रामलीला थी तो उसमें मुझे शुरु शुरु में वानर सेना में एक्टिंग का मौका मिला क्योंकि उन दिनो जो लोग भी रामलीला में परदे के पीछे काम करते थे उनके बच्चों और संबंधियों को ये मौका मिलता था कि वो रामलीला में कोई रोल कर लें तो हमें कहा जाता था कि मां से कोई चुन्नी मांगकर ले आईये और वो हमें बांध दी जाती थी और हम वानर बन जाते थे.

वहां से अभिनय शुरु हुआ तो स्कूल में आते आते ये शौक बढ़ने लगा जो बढ़कर दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में जुनून बना और फिर दिल्ली के प्रोफेशनल थियेटर्स में काम करना शुरु कर दिया.लिटिल थियेटर नाम हुआ करता था उस थियेटर ग्रुप का.फिर मुंबई आया तो यहां भी एक्टिंग की बाकायदा ट्रेनिंग की और उस वक्त मेरे क्लासमेट थे अनिल कपूर फिर छोटे मोटे रोल्स से बड़े बड़े किरदारों की ये यात्रा आज भी जारी है।एक दिलचस्प बात ये कि उसी एक्टिंग स्कूल में मैं दस साल तक बतौर टीचर भी काम किया.तो ये यात्रा बचपन से चली आ रही है और तब रावण देखा था आज रावण का किरदार अदा कर रहा हूं तो कई किरदारों की किस्मत भी आपसे जुड़ जाती है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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