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Garbh Nirodhak Goliyon Ka Badhta Khatra: क्या आप भी बार-बार ले रही हैं गर्भ निरोधक गोलियां? तो रुक जाइये! सेहत को हो सकता है भारी नुकसान
Garbh Nirodhak Goliyon Ka Badhta Khatra: क्या आप भी बार-बार गर्भ निरोधक गोलियां ले रहीं हैं? तो सावधान हो जाइये क्योंकि विश्व स्वास्थ संगठन की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ये कैसे आपको नुकसान पहुँचा सकती है।
Garbh Nirodhak Goliyon Ka Badhta Khatra (Image Credit-Social Media)
Garbh Nirodhak Goliyon Ka Badhta Khatra: भारत में अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का देशभर में इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य पर इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। आज देशभर में ऐसी कई महिलाएं हैं, जो जागरूकता (awareness) की कमी के कारण गर्भनिरोधक गोलियों (contraceptive pills) का गलत तरीके से उपयोग कर रही हैं। आज ये विषय देशभर की महिलाओं के लिए गंभीर हो गया है। आज इस लेख आपको बताएंगे कि गर्भनिरोधक गोलियों इस प्रकार महिलाओं की सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं और इसका समाधान क्या हो सकता है ?
रेगुलर कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (Regular contraceptive pills)
गर्भनिरोधक गोलियाँ एक प्रकार का गर्भनिरोधक है जो प्रतिदिन लेने पर गर्भावस्था (pregnancy) को रोकने में 99% असरदार हैं। गोली में हार्मोन होते हैं जो मासिक धर्म को नियंत्रित करते हैं, पीएमएस के लक्षणों को कम करते हैं। लखनऊ के क्वीन मैरी अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ और हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. अंजू अग्रवाल के मुताबिक, रेगुलर कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (जैसे माला-एन या अन्य संयोजन पिल्स) का लेने के लिए यदि डॉक्टर की सलाह से और नियमित रूप से किया जाए तो ये न केवल प्रेगनेंसी को रोकने में असरदार होती है बल्कि मासिक धर्म चक्र को भी नियमित (Regular) करती है।
( SOURCE: GAON CONNECTION )
ये फायदे हैं इन गोलियों के:
- अनचाहे गर्भ से रक्षा
- पीरियड्स को नियमित बनाये रखना
- आयरन की कमी को पूरा करता है (कई पिल्स में आयरन भी शामिल होता है)
- अंडाशय और गर्भाशय के कैंसर से बचाव
आई-पिल: ज्यादा इस्तेमाल है बेहद खतरनाक
आई-पिल (i-pill) को लेकर लोगों में एक बड़ा भ्रम बना हुआ है कि इसे रेगुलर पिल की तरह लिया जा सकता है। लेकिन लखनऊ की डॉ. अंजू के मुताबिक, आई-पिल एक आपातकालीन गर्भनिरोधक (emergency contraception) है जिसे केवल असुरक्षित यौन संबंध के बाद या गर्भनिरोधक के फेल होने की स्थिति में ही लिया जाना चाहिए।
आई-पिल के हो सकते हैं ये नुकसान:
- हार्मोन का असंतुलित बना रहना
- पीरियड्स में अनियमितता के कारण दिक्कत
- गर्भधारण की क्षमता में समस्या
- डिप्रेशन, मूड स्विंग्स और मानसिक तनाव पैदा होना
भारत में गर्भनिरोधक उपयोग के आँकड़े
साल 2019 से 2021 राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के मुताबिक, भारत में करीब 66.7% विवाहित महिलाएं किसी न किसी प्रकार के गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती हैं और इनमें से मात्र 6.5% महिलाएं ही मौखिक गर्भनिरोधक गोलियों का नियमित इस्तेमाल किया है। शहरी क्षेत्रों में इसकी जागरूकता ज्यादा है लेकिन ग्रामीण भारत में आपातकालीन पिल्स का गलत तरीके से उपयोग अधिक बढ़ गया है। इसके अलावा लगभग 22% महिलाएं अब भी पारंपरिक तरीकों (जैसे कैलेंडर विधि) पर निर्भर हैं।
भारत में I-pill का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं का आकड़ा
भारत में I-पिल का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं पर अभी तक कोई ठोस संख्या सामने नहीं आयी है लेकिन साल 2019 से 2021 में आधे से ज्यादा भारतीय महिलाओं को आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों (ECP) के बारे में जानकारी नहीं थी और 1% से भी कम ने कभी ईसीपी का उपयोग किया था। हालांकि, यह संख्या साल 2005 से 2006 के बाद से बढ़ी है। साल 2020 में सिक्किम राज्य में प्रति 10,000 असंयोजित जोड़ों पर 744 उपयोगकर्ताओं के साथ मौखिक गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा थी।
भारत में I-pill की मार्केट
भारत में I-pill (आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली) की मार्केट स्थिर है, विशेषतौर पर ऑनलाइन फार्मेसी में। स्थानीय फार्मेसियों में यह 75-90 में मिल जाती है, जबकि ऑनलाइन स्टोर इसे 80-110 में, कभी-कभी छूट के साथ उपलब्ध कराते हैं। I-pill की कीमत ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर 80-110 के बीच ही आसानी से उपलब्ध होती है। I-pill सिप्ला द्वारा बनाया गया एक ब्रांड है, जिसे बाद में पिरामल ने खरीद लिया था।
क्या हो सकते हैं गर्भनिरोधक के अन्य विकल्प?
डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, पिल्स के अलावा भी कई अन्य सुरक्षित और प्रभावी गर्भनिरोधक विकल्प हैं जैसी कि
- 'कॉपर टी' (IUD) जो की 5 से 10 साल तक प्रभावी होता है और 99% प्रभावी है।
- 'डिपो-प्रोवेरा इंजेक्शन' जिसे हर 3 महीने में लगाया जाता है और ये 94% प्रभावी होता है।
- 'कंडोम' (condom) जो की यौन रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है और इसका प्रभाव 85% होता है।
- 'नसबंदी' (Sterilization) एक स्थायी तरीका है जिसे अपनाया जा सकता है और ये भी 99% प्रभावी होता है।
- 'गर्भनिरोधक इम्प्लांट' (contraceptive implant) जो की 3 से 5 साल तक लगभग 99.5% तक प्रभावी होता है।
( SOURCE: GAON CONNECTION )
अबॉर्शन के नियमों में बदलाव है ज़रूरी
गर्भपात के नियमों में बदलाव बेहद आवश्यक है ताकि महिलाओं की सेहत और प्रजनन प्रक्रिया सुरक्षित रह सके। असुरक्षित गर्भपात से महिलाओं के जीवन को खतरा होता है और नियमों में परिवर्तन से सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपलब्ध हो सकती हैं। नियमों में बदलाव से महिलाओं को अपनी प्रजनन क्षमता पर नियंत्रण रखने और अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने का अधिकार मिलता है। इसपर भारत सरकार ने हाल ही में अबॉर्शन के नियमों में संशोधन किया है। अब 24 सप्ताह (6 महीने) तक की गर्भावस्था को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) एक्ट के तहत समाप्त किया जा सकता है।
किन परिस्थितियों में अबॉर्शन कानूनी है?
- यदि भ्रूण में कोई गंभीर दोष हो
- यदि महिला को गर्भवती रहना सेहत के लिए खतरे से भरा हो
- बलात्कार के मामलों में
- अगर गर्भनिरोधक फेलियर के कारण प्रेगनेंसी हो जाए
महिलाओं का अबॉर्शन कराना सुरक्षित है या नहीं?
महिला का गर्भावस्था के हर हफ़्ते उनके गर्भपात का खतरा कम होता जाता है। लगभग 15% गर्भधारण गर्भपात में समाप्त हो जाते हैं। दूसरी तिमाही (13 से 19 सप्ताह) में गर्भपात का ख़तरा 1% से 5% के बीच रह जाता है। डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, यदि अबॉर्शन समय रहते और किसी योग्य डॉक्टर की देखरेख में किया जाए, तो यह पूरी तरह सुरक्षित होता है। लेकिन भारत में अभी भी 50% से अधिक महिलायें अबॉर्शन अनाधिकृत लोगों द्वारा कराती हैं, जिससे जोखिम की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
- WHO के मुताबिक, भारत में हर साल तकरीबन 1.6 करोड़ महिलाओं का अबॉर्शन होता है।
- इनमें से लगभग 80 लाख अबॉर्शन लापरवाही से किए जाते हैं।
- मातृ मृत्यु दर (MMR) में 8% मौतें असुरक्षित अबॉर्शन के कारण होती हैं।
महिलाओं में जागरूकता की कमी है
भारत में महिलाओं को यौन स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक के बारे में खुलकर जानकारी प्राप्त नहीं होती जिसके कारण उनके स्वास्थ्य के खिलवाड़ किया जाता है। स्कूलों में भी यौन शिक्षा आज भी एक टैबू बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों आज भी में आई-पिल को "चमत्कारी गोली" की तरह बेचा जाता है।
सरकार की पहल:
- ‘मिशन परिवार विकास’ के तहत गर्भनिरोधक साधनों के वितरण को बढ़ावा देना चाहिए।
- स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त कॉपर-टी और पिल्स उपलब्ध कराना चाहिए।
- आशा कार्यकर्ताओं के जरिये ग्रामीण महिलाओं को यौन स्वास्थ्य के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह क्यों है बहुत जरूरी?
हर महिला के शरीर की बनावट, क्षमता, मेडिकल हिस्ट्री और हार्मोन प्रोफाइल अलग होती है। ऐसे में गर्भनिरोधक का चयन करने से पहले डॉक्टर की सलाह बेहद आवश्यक होती है। बिना कसी डॉक्टर के सलाह के बिना कोई भी पिल्स लेना शरीर में हार्मोनल गड़बड़ी और लंबे समय में बांझपन जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
सुरक्षित भविष्य के लिए सही जानकारी आवश्यक
गर्भनिरोधक पिल्स महिलाओं को अपनी जिंदगी में आज़ादी और नियंत्रण देती हैं लेकिन इसका उपयोग समझदारी और डॉक्टर की सलाह पर ही होना चाहिए। आई-पिल जैसे आपातकालीन विकल्प को नियमित इस्तेमाल की तरह समझना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। अब समय है कि महिलाएं अपनी सेहत पर ध्यान देते हुए जागरूक बनें और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करें। यौन स्वास्थ्य भी उतना ही आवश्यक है जितना अन्य कोई स्वास्थ्य विषय। अगर आप भी गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग कर रही हैं, तो एक बा अवश्य ही डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि सेहत के लिए सही जानकारी ही सुरक्षित जीवन की कुंजी है।
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