महिलाओं में क्यो बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा? ये उम्र है सबसे खतरनाक

Heart Attacks in Women: महिलाओं में भी हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं, खासकर 45 से 55 साल की उम्र में जब वे मोनोपॉज से गुजरती हैं।

Ragini Sinha
Published on: 11 Jun 2025 10:15 AM IST
Heart Attacks in Women
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Heart Attacks in Women (social media)

Heart Attacks in Women: पहले हार्ट अटैक को सिर्फ पुरुषों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हाल के सालों में महिलाओं में भी हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं, खासकर 45 से 55 साल की उम्र में जब वे मोनोपॉज से गुजरती हैं इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाती है, जो दिल को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

एस्ट्रोजन की कमी से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, ब्लड प्रेशर ऊपर जाता है और धमनियों में सूजन आती है। यही कारण है कि इस उम्र की महिलाओं में दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा हो जाता है।


एस्ट्रोजन का दिल से क्या है संबंध?

एस्ट्रोजन एक प्रमुख महिला हार्मोन है, जो न सिर्फ प्रजनन से जुड़ा है, बल्कि हार्ट की सेहत को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। यह हार्मोन शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे दिल को नुकसान पहुंचाने वाली चर्बी कम होती है। एस्ट्रोजन ब्लड वेसेल्स यानी रक्त धमनियों को लचीला और स्वस्थ बनाए रखता है, जिससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। यह शरीर में सूजन को भी कम करता है, जिससे धमनियों में प्लाक जमने और ब्लॉकेज बनने का खतरा घटता है, लेकिन जब महिलाएं मोनोपॉज के दौर में पहुंचती हैं, यानी 45 से 55 की उम्र में, तो शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा धीरे-धीरे कम होने लगती है। इसके कारण दिल की सुरक्षा घटती है और हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

मोनोपॉज के बाद बढ़ता है इन बीमारियों का खतरा

  • एथेरोस्क्लेरोसिस: धमनियों में प्लाक जमने से वे सख्त हो जाती हैं और ब्लड फ्लो कम हो जाता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर: ब्लड वेसेल्स की लचीलापन घटने से बीपी बढ़ जाता है।
  • कोलेस्ट्रॉल असंतुलन: शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और गुड कोलेस्ट्रॉल घटता है।
  • मोटापा: खासकर पेट के आसपास चर्बी बढ़ती है, जो दिल के लिए नुकसानदेह है।
  • डायबिटीज का खतरा: इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता घटने लगती है।
  • तनाव और नींद की कमी: ये दोनों भी दिल की सेहत को प्रभावित करते हैं।

महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण

महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग और कम स्पष्ट हो सकते हैं, जिस कारण उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। कई बार ये लक्षण इतने सामान्य लगते हैं कि महिलाएं उन्हें थकान या गैस की परेशानी समझकर टाल देती हैं। सबसे आम लक्षणों में लगातार थकान शामिल है, जो बिना किसी भारी काम के भी महसूस हो सकती है। सांस फूलना, खासकर हल्की मेहनत में भी, हार्ट की दिक्कत का संकेत हो सकता है। कुछ महिलाओं को मतली या उल्टी की शिकायत होती है। सीने में हल्का दर्द या दबाव, जो तेज नहीं होता, लेकिन असहज कर सकता है। इसके अलावा, पीठ, जबड़े या गले में दर्द भी महसूस हो सकता है, जिसे आमतौर पर लोग हार्ट से नहीं जोड़ते। ऐसे लक्षणों को हल्के में न लें। समय पर पहचान और इलाज से जान बचाई जा सकती है।

हार्ट हेल्थ का ऐसे रखें ख्याल

दिल को स्वस्थ रखने के लिए कुछ आसान, लेकिन जरूरी आदतें अपनाना बेहद जरूरी है। सबसे पहले, हर साल एक बार हार्ट की जांच जरूर कराएं ताकि किसी भी समस्या की पहचान समय पर हो सके। ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का समय-समय पर टेस्ट कराना चाहिए क्योंकि ये हार्ट अटैक के बड़े कारण होते हैं। संतुलित आहार लें जिसमें ताजे फल, हरी सब्जियां, होल ग्रेन्स और ओमेगा-3 से भरपूर चीजें शामिल हों। रोजाना 30 मिनट की वॉक या योग करने से हार्ट मजबूत होता है। साथ ही तनाव कम करें, पर्याप्त नींद लें और ध्यान या मेडिटेशन करें। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं क्योंकि ये दिल के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। वजन नियंत्रित रखें, खासतौर पर पेट के आसपास की चर्बी से बचें क्योंकि यह दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है। अगर आपको थकान, सांस फूलना या सीने में दर्द जैसा कोई लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।


मोनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में जो बदलाव आते हैं, वे हार्ट की सेहत को गहरा प्रभावित करते हैं। इस उम्र में महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए और अपने दिल की नियमित जांच करवाते रहनी चाहिए। लाइफस्टाइल में थोड़ा-सा बदलाव करके और समय पर डॉक्टर की सलाह लेकर हार्ट डिजीज के खतरे को कम किया जा सकता है। यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

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