क्या आपका दिल भी खतरे में है? भारत में हर एक कार्डियोलॉजिस्ट पर 2.5 लाख हृदय रोगी, ये रिपोर्ट पढ़कर चौंक जाएंगे!

Heart Attack In India: हार्ट अटैक का खतरा केवल बढ़ती उम्र के लोगों पर नहीं बल्कि ये 15 से 20 साल के उम्र के लोगों में भी तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में सीके बिरला हॉस्पिटल द्वारा जारी की गई रिपोर्ट "एवरी बीट काउंट्स" के मुताबिक, भारत में हृदय रोग से होने वाली मौतें दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है।

Newstrack          -         Network
Published on: 9 May 2025 6:29 PM IST
Heart Attack In India
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Heart Attack In India (photo- social media)

Heart Attack In India: क्या हृदय रोग मात्र उम्र बढ़ने पर होने वाली बीमारी है? क्या ये खतरा केवल उन्ही लोगों पर मंडरा रहा है जिनकी उम्र 40 से अधिक है ? यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको यह रिपोर्ट अवश्य पढ़नी चाहिए। हार्ट अटैक का खतरा केवल बढ़ती उम्र के लोगों पर नहीं बल्कि ये 15 से 20 साल के उम्र के लोगों में भी तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में सीके बिरला हॉस्पिटल द्वारा जारी की गई रिपोर्ट "एवरी बीट काउंट्स" (Every Beat Counts) के मुताबिक, भारत में हृदय रोग से होने वाली मौतें दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है। भारत में हृदय रोगों से मृत्यु दर प्रति एक लाख जनसंख्या पर 272 है, जबकि वैश्विक औसत 235 है। यह अंतर न केवल चिंता का विषय है, बल्कि भारत के स्वास्थ्य ढांचे की पोल भी खोलता है।

भारत में हार्ट अटैक से मौतें: चौंकाने वाले आँकड़े

साल 2023 के आँकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल लगभग 28 लाख लोगों की मौत हृदय संबंधी बीमारियों से हुई हैं। इनमें से तकरीबन कुल 50% मौतें हार्ट अटैक (Cardiac Arrest या Myocardial Infarction) के कारण हुई हैं। अब यह आंकड़ा प्रति दिन लगभग 7,700 के करीब पहुंच रहा है यानी हर मिनट लगभग 5 भारतीय हार्ट अटैक (heart attack) के कारण जान गंवा रहे हैं।

हार्ट अटैक पर WHO की रिपोर्ट


दुनिया भर में हार्ट अटैक के मामले जिस तरह से तेजी से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए WHO ने भी इस मामले को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, विश्व भर में हर साल लगभग 1.79 करोड़ लोग हृदय संबंधी बीमारियों के कारण मरते हैं, जिनमें से लगभग कुल 85% मामलों में हार्ट अटैक या स्ट्रोक बड़ा कारण हैं। यह आंकड़ा विश्व की कुल मौतों का लगभग 32% है।

हृदय को मिलेगा आराम, तो बचेगी जान

सीके बिरला हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मृदुल मेहरोत्रा का इस मामले पर कहना है, जैसे हम समय-समय पर अपनी गाड़ी की सर्विस कराते हैं, वैसे ही शरीर की भी जांच समय-समय पर अवश्य करानी चाहिए। दिल जब धड़कता है, तो उसमें ‘लब-डब’ की आवाज़ होती है, और इन दोनों धड़कनों के बीच का समय दिल को आराम होता है। अगर दिल को यह आराम नहीं मिलेगा, तो मांसपेशियों पर जोर पडेगा जिस कारण मायोकारडाइटिस (myocarditis) यानि ह्रदय की मांसपेशी में सूजन हो सकती हैं। इसके अलावा तनाव, नींद ना पूरी होना, धूम्रपान, खराब खानपान और व्यायाम ना करना ये सभी लक्षण दिल की बीमारियों को बढ़ाते हैं।

(SOURCE: Gaon Connection की रिपोर्ट)

भारत में डॉक्टरों की भारी कमी

जिस रफ़्तार से भारत में हार्ट अटैक की समस्या बढ़ रही है उसी रफ़्तार से भारत में हृदय रोग सम्बंधित डॉक्टरों की कमी होती जा रही है। “एवरी बीट काउंट्स” रिपोर्ट का एक हैरान कर देने वाला तथ्य सामने आया है जिसमे साफ़ बताया गया है कि भारत में हर 2.5 लाख हृदय रोगियों के लिए केवल एक कार्डियोलॉजिस्ट मौजूद है। इसके विपरीत अमेरिका में यह अनुपात लगभग 1:7,300 है। इस वक्त भारत की 1.4 अरब आबादी को देखते हुए यह असंतुलन बेहद गंभीर चिंता का विषय बन गयी है।


भारत में तकरीबन 420 कार्डियक सेंटर्स हैं जो हार्ट सर्जरी जैसी गंभीर प्रक्रिया कर सकते हैं और ये ज़्यादातर शहरी इलाकों में हैं। इसी कारण भारत में दिल का दौरा पड़ने से लगभग 50% मौतें घर पर ही हो जाती हैं, क्योंकि समय रहते इलाज नहीं मिल पाता। वहीं 10 में से केवल एक ही व्यक्ति समय पर उचित इलाज तक पहुँच पाता है।

क्या हैं हार्ट अटैक के लक्षण?

एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई बार हार्ट अटैक के लक्षण पेट में गैस या एलर्जी जैसे लगते हैं। लेकिन यदि छाती में दबाव, सांस फूलना, हाथों या जबड़े में दर्द, पसीना आना, चक्कर आना जैसे लक्षण हों तो तुरंत जांच करानी चाहिए। इसके अलावा सामान्य ईसीजी (ECG) करवाना बेहद आवश्यक है। इससे समय रहते यह पता चल सकता है कि दिल सही से काम कर रहा है या नहीं। साल में एक बार ईसीजी करवाना एक तरह की स्क्रीनिंग है, जो हार्ट अटैक के खतरे को पहले ही पहचान सकती है।

ये हैं दिल के सबसे बड़े दुश्मन

आज देश के हर कोने-कोने में आपको कोलेस्ट्रॉल की दिक्कत से जूझने वाले लोग मिल जायेंगे। लोग अक्सर इस समस्या की चर्चा करते हैं, लेकिन इससे भी बड़ी समस्या और खतरनाक होते हैं ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides)। ये आपके शरीर जमा होने वाले फैट्स होते हैं जो रक्तवाहिनियों में जमकर ब्लड फ्लो को बाधित करते हैं जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। आप लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (lipid profile test) से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की जांच के माध्यम से इस खतरे का पता कर सकते हैं। यदि कोलेस्ट्रॉल का लेवल ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह पर दवा और खानपान में बदलाव करके इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।

हार्ट अटैक की स्थिति में क्या करें?

यदि किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ जाए तो ये निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:

1. भीड़ हटाएँ – सबसे पहले ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ाने के लिए मरीज के आसपास की भीड़ हटाएं।

2. पैर ऊपर उठाएं – ब्लड फ्लो बढ़ने के लिए मरीज़ का पैर ऊपर की तरफ उठायें ताकि ब्रेन तक ब्लड फ्लो बना रहे।

3. ज़रूरत पड़ने पर CPR दें – यदि मरीज बेहोश हो गया है तो कार्डियो पल्मोनरी रेसिटेशन (CPR) दें। इसके लिए एयरवे क्लियर करें,प्रॉपर तरीके से सांस दें

और छाती को दोनों हाथों से जोर से दबाएं

4. एस्पिरिन दें – यदि मरीज होश में आ जाए तो तुरंत पानी में घोलकर एस्पिरिन दें, इससे खून का थक्का पतला हो सकता है।

5. एम्बुलेंस बुलाएँ – हार्ट अटैक आने पर देरी न करें, तुरंत किसी भी नज़दीकी अस्पताल ले जाएँ।

महिलाओं और बच्चों पर प्रभाव


देशभर में दिल की बीमारियाँ केवल पुरुषों तक सीमित नहीं हैं बल्कि इसका शिकार महिलाएं भी आय दिन हो रही हैं। महिलाओं में अक्सर एनीमिया की दिक्कत होती रहती है, खासकर पीरियड्स के दौरान हार्ट रेट को बढ़ा देता है। इस दौरान महिलाओं को अवश्य ही व्यायाम या कोई भी शारीरिक गतिविधि करने से बचना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 10% शिशु मृत्यु का कारण भी हृदय से संबंधित रोग हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्रीनिंग की सुविधाएँ न होने से यह स्थिति गंभीर हो जाती है। हालाँकि गर्भावस्था के दौरान फीटल इकोकार्डियोग्राफी (फीटल इकोकार्डियोग्राफी) और जन्म के तुरंत बाद नवजात पल्स ऑक्सीमेट्री (pulse oximetry) जैसी तकनीकें मौजूद हैं, लेकिन इनका व्यापक उपयोग अभी भारत में नहीं हो रहा है। बता दे, पल्स ऑक्सीमेट्री टेस्ट ऐसी तकनीक है जिससे 95% से अधिक सटीकता से नवजात में जन्मजात हृदय रोगों का पता लगाया जा सकता है।

इन तरीकों को अपनाकर करें दिल की देखभाल:

1. नियमित जांच – साल में एक बार ईसीजी (ECG) और लिपिड प्रोफाइल (lipid profile) अवश्य कराएं।

2. स्वस्थ खानपान – अधिक तली-भुनी चीजें ना खाएं, ट्रांस फैट, और अधिक नमक खाने से बचें।

3. व्यायाम – रोजाना 30 मिनट की ब्रिस्क वॉक या व्यायाम करें।

4. तनाव से रहें दूर – रोजाना मेडिटेशन और अच्छी नींद जरूरी है जिससे आप तनावपूर्ण स्थिति से बच सकते हैं।

5. आज ही छोड़ें धूम्रपान और शराब – धूम्रपान और शराब की आदतें आपके हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाते हैं, इन्हें आज ही छोड़ें।

जीवन में ये बदलाव हैं ज़रूरी

आजकल आय दिन हार्ट अटैक किसी भी उम्र के लोगों में दिखाई दे रहा है। कभी समाचार पर तो कभी सोशल मीडिया पर। कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक का खतरा देश में तेजी से बढ़ा है। इसके खतरे को कम करने के लिए सबसे पहले आपको अपने रोज़मर्रा की जिंदगी सुधारनी होगी। आपका रहन-सहन, खान-पान सभी चीज़ों पर सतर्कता बेहद ज़रूरी है। भारत जैसे विशाल देश में जहाँ करोड़ों लोग दिल से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हैं, वहाँ पर हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, समय पर जांच और सही इलाज की बेहद आवश्यकता है। यदि सरकार और आम जनता दोनों मिलकर सही दिशा में प्रयास करें तो हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या में काफी कमी लाई जा सकती है।

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