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बच्चों को भी जकड़ रहा है गठिया, जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
Juvenile idiopathic arthritis in Children : माना जाता है कि गठिया सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी है, लेकिन अब यह बीमारी बच्चों को भी अपनी चपेट में ले सकती है।
Juvenile idiopathic arthritis in Children (social media)
Juvenile idiopathic arthritis in Children: जब हम गठिया की बात करते हैं, तो अक्सर यह माना जाता है कि यह सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी है, लेकिन अब यह बीमारी बच्चों को भी अपनी चपेट में ले सकती है। बच्चों में होने वाले गठिया को जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस कहा जाता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का डिफेंस सिस्टम गलती से अपने ही स्वस्थ जोड़ों पर हमला करने लगता है। इससे जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न और चलने-फिरने में परेशानी होती है।
बच्चों में गठिया होने के मुख्य कारण
- आनुवंशिक कारण: अगर परिवार में किसी को ऑटोइम्यून बीमारी जैसे रुमेटीइड अर्थराइटिस है, तो बच्चों में भी यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। अनुवांशिक प्रवृत्ति एक बड़ा कारण हो सकता है।
- इम्यून सिस्टम का असंतुलन: कुछ बच्चों की डिफेंस सिस्टम बाहरी वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने की बजाय खुद के टिश्यू पर ही हमला करने लगती है। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द होने लगता है।
- शारीरिक चोटें: खेलकूद के दौरान लगी चोट या पुरानी जोड़ों की चोट भी कुछ बच्चों में गठिया को जन्म दे सकती है, खासकर अगर सही समय पर इलाज न किया जाए।
- मोटापा या अधिक वजन: यदि बच्चे का वजन ज्यादा है, तो जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है। इससे जोड़ों की सतह घिसने लगती है और गठिया का खतरा बढ़ जाता है।
- वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण : कुछ मामलों में संक्रमण के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली असंतुलित हो जाती है और गठिया जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बच्चों में गठिया के लक्षण
- सुबह उठते समय जोड़ों में अकड़न
- चलने या दौड़ने में कठिनाई
- हाथ, घुटने या टखनों में सूजन
- जोड़ों को हिलाने पर दर्द
- बुखार और थकान
- शरीर में कमजोरी और चिड़चिड़ापन
अगर आपको ये लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
बच्चों में गठिया से बचाव कैसे करें?
अगर बच्चे को बार-बार जोड़ों में दर्द, सूजन या अकड़न हो रही हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। समय रहते इलाज शुरू करने से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। बच्चों को कैल्शियम, विटामिन D, ओमेगा-3 और प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार दें, जैसे दूध, अंडा, मछली और हरी सब्जियां। रोजाना हल्के व्यायाम जैसे स्ट्रेचिंग या योग से जोड़ों की ताकत बनी रहती है, लेकिन दर्द होने पर एक्सरसाइज न कराएं। सुबह की हल्की धूप में 15–20 मिनट बिताना भी फायदेमंद होता है क्योंकि इससे शरीर को विटामिन D मिलता है। बच्चों का वजन कंट्रोल रखें और जंक फूड से बचाएं। साथ ही, उन्हें इमोशनली तरकी से समझाएं कि वे अकेले नहीं हैं। घर का प्यार और समर्थन उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।
बच्चों में गठिया अब दुर्लभ नहीं रहा, लेकिन अच्छी बात यह है कि यदि समय रहते इसके लक्षणों को पहचाना जाए और सही जीवनशैली अपनाई जाए, तो इससे काफी हद तक राहत मिल सकती है। सही खानपान, नियमित व्यायाम और डॉक्टर की सलाह से बच्चे स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।
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