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The truth behind viral diet trends: क्या है आप भी फॉलो कर रहे हैं वायरल ट्रेंडिंग डाइट.. हो जाएं सतर्क ! यहां जाने भारत की स्वास्थ्य स्थिति का कड़वा सच
The truth behind viral diet trends: सोशल मीडिया कभी इंटरमिटेंट फास्टिंग, कभी वीगन डाइट तो कभी प्रोटीन पाउडर से बॉडी बनाने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन क्या यह ट्रेंड्स वास्तव में हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं? और भारत जैसे विविध आहार (varied diet) संस्कृतियों वाले देश में इनका कितना प्रभाव पड़ता है?
The truth behind viral diet trends (photo: social media)
The truth behind viral diet trends: आज के एडवांस डिजिटल जमाने में जहां हर तरफ सोशल मीडिया और फिटनेस इंफ्लुएंसर्स का बोलबाला है, वहां हर दिन नया डाइट ट्रेंड वायरल होना आम बात हो गयी है। सोशल मीडिया कभी इंटरमिटेंट फास्टिंग, कभी वीगन डाइट तो कभी प्रोटीन पाउडर से बॉडी बनाने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन क्या यह ट्रेंड्स वास्तव में हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं? और भारत जैसे विविध आहार (varied diet) संस्कृतियों वाले देश में इनका कितना प्रभाव पड़ता है? आज आपको इस लेख में भारत के स्वास्थ्य डेटा के आधार पर इन डाइट्स की सच्चाई सामने लाएंगे।
क्या सच में असरदार है इंटरमिटेंट फास्टिंग
इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान का पैटर्न है, जिसमें खाने और उपवास के समय के बीच परिवर्तन किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, आप निर्धारित समय के लिए खाना खाते हैं और बाकी समय उपवास करते हैं। लेकिन हमारा शरीर अगर लंबे समय तक भूखा रहेगा तो उसकी प्रतिक्रिया अवश्य होगी। भारत की पारंपरिक जीवनशैली में समय के अनुसार भोजन का चलन रहा है। सुबह सूरज निकलने के बाद खाना और शाम को सूर्यास्त से पहले रात का खाना। यही बात आज का विज्ञान भी बताता है कि शरीर को एक स्थिर ‘बायोलॉजिकल क्लॉक’ की आवश्यकता होती है।
क्या भारत में पड़ा है इसका प्रभाव
ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) के मुताबिक, साल 2024 में भारत में लगभग 20% युवाओं ने किसी न किसी रूप में फास्टिंग डाइट ट्राई किया है। लेकिन इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इनमें से लगभग 35% को गैस्ट्रिक डिसऑर्डर, एसिडिटी और अल्सर जैसी समस्याएं भी हुईं। 16, 18 या 24 घंटे तक न खाना, शरीर के एंजाइम और गैस्ट्रिक जूस के लगातार बनने की प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित करता है, जिससे पेप्टिक अल्सर, गैस्ट्राइटिस और IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
क्या है प्रोटीन पाउडर का सच
भारत में पिछले कुछ वर्षों में जिम और फिटनेस कल्चर तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही आज प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल बहुत ही आम हो गया है। एक डाइट रिपोर्ट के मुताबिक, अगर आप रोज़ के खाने से प्रोटीन ले सकते हैं तो बाहरी स्रोतों की आवश्यकता नहीं है। ये पाउडर अकसर सस्ते सोर्सेस से बनाकर तैयार किये जाते हैं, जिनमें स्टेरॉइड्स, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स और कई तरह के मिलावट शामिल होते हैं।
NIN (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन) के मुताबिक:
- भारतीय पुरुषों को हर दिन करीब 60 ग्राम प्रोटीन की ज़रूरत होती है।
- महिलाओं को करीब 50 ग्राम की ज़रूरत होती है।
- वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 40% लोगों में प्रोटीन की भारी कमी पाई गई।
- साल 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बिकने वाले 60% प्रोटीन सप्लीमेंट्स में निर्धारित मात्रा से ज्यादा शुगर और अशुद्ध तत्व पाए गए थे।
इसलिए, अगर आप दाल, अंडा, दूध, मूंगफली, पनीर और बीन्स जैसी चीज़ें सही मात्रा में खाते हैं, तो आपके शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होगी और इसका शरीर पर सकारात्मक असर भी होगा।
क्या है वीगन डाइट
वीगन डाइट का सीधा अर्थ है कि कोई भी जिव-जंतु (एनिमल) प्रोडक्ट न खाना। वीगन डाइट में दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली इनमे से कुछ भी नहीं आता। कई लोग इसे इथिकल और पर्यावरण के लिहाज से सही मानते हैं, लेकिन वीगन डाइट लंबे समय तक अपनाने से शरीर में कुछ विटामिन्स और मिनरल्स की भारी कमी हो जाती है विशेषकर विटामिन B12, आयरन, और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स आदि।
भारत में वीगन डाइट और पोषण की स्थिति:
- साल 2023 NIN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विटामिन B12 की कमी भारत में व्यापक है जिसमें करीब 47% शहरी और 70% ग्रामीण आबादी में इसकी भारी कमी पाई गयी है।
- आयरन की कमी के कारण भारत में तकरीबन 50% महिलाएं एनीमिया से जूझ रही हैं।
- वीगन डाइट लोगों को जीवनभर सप्लीमेंट्स पर जीने की आदत पड़वा देता है।
विटामिन D को क्यों कहते है ‘सनशाइन विटामिन’
विटामिन D हमारे शरीर के लिए एक ऐसा पोषक तत्व है जिसे हमारा शरीर बनाता है। यह एक वसा में घुलनशील विटामिन है, जो लंबे वक़्त से शरीर को कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित करने और बनाए रखने में सहायता करता है, जो की विटामिन D हड्डियों के निर्माण के लिए बेहद आवश्यक हैं। विटामिन D हमारे शरीर में सूरज की रोशनी के संपर्क से उत्पन्न होता है। लेकिन आजकल शहरीकरण, प्रदूषण, घरों में अधिक रहने और सनस्क्रीन के ज्यादा इस्तेमाल के कारण भारत की ज्यादातर आबादी इसकी कमी से जूझ रही है।
भारत में विटामिन D की स्थिति
साल 2024 AIIMS की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की तकरीबन 70-90% आबादी में विटामिन D की कमी सामने आयी है। विटामिन D की यह कमी हड्डियों के कमजोर होने, थकान, और इम्यून सिस्टम की कमजोरी जैसी दिक्कतों की बड़ी वजह बनती है। इसके लिए आपको अपने डाइट प्लान में मछली, अंडा, फोर्टिफाइड दूध और सुबह के समय थोड़ी देर धूप अवश्य लेना चाहिए।क्योंकि ये विटामिन D के बेहतरीन स्रोत हैं। हर किसी के शरीर की बनावट, क्षमता, मजबूती अलग होती है। जो डाइट एक को सूट करे, वह दूसरे को नुकसान पहुंचा सकती है। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में एक ही डाइट फार्मूला सभी पर लागू नहीं हो सकता। इसीलिए-
खुद स्वस्थ्य रखने के लिए करें ये 5 काम:
1. समय पर खाना खाएं
2. हर दिन सूरज की किरणों में 20 मिनट अवश्य रहें
3. प्राकृतिक स्रोतों से प्रोटीन और विटामिन लें
4. सोशल मीडिया ट्रेंड्स पर पूरी तरह भरोसा न करें
5. अपने स्वास्थय के बारे में जानें और उसी अनुसार डाइट चुनें
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