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दिल्ली में अडाणी को 400 करोड़ में मिला 1000 करोड़ का बंगला, जानें इसकी खासियत

अडाणी समूह को दिल्ली के पॉश इलाके लुटियंस में 1,000 करोड़ रुपये का घर केवल 400 करोड़ में मिल गया है। 3.4 एकड़ में फैले इस आलीशान बंगले का बिल्ट-अप एरिया 25,000 स्क्वायर फीट है। जिसमें सात बेडरूम, 6 डाइनिंग रूम, एक स्टडी रूम और 7,000 स्क्वायर फीट में स्टाफ क्वार्टर बने हुए हैं।

suman
Published on: 22 Feb 2020 3:34 PM GMT
दिल्ली में अडाणी को 400 करोड़ में मिला 1000 करोड़ का बंगला, जानें इसकी खासियत
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नई दिल्ली: अडाणी समूह को दिल्ली के पॉश इलाके लुटियंस में 1,000 करोड़ रुपये का घर केवल 400 करोड़ में मिल गया है। 3.4 एकड़ में फैले इस आलीशान बंगले का बिल्ट-अप एरिया 25,000 स्क्वायर फीट है। जिसमें सात बेडरूम, 6 डाइनिंग रूम, एक स्टडी रूम और 7,000 स्क्वायर फीट में स्टाफ क्वार्टर बने हुए हैं।

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यह बंगला भगवान दास रोड पर है, जिसकी बोली लगाने में गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी प्रॉपर्टी प्राइवेट लिमिटेड ने बाजी मार ली है। बता दें कि ये बंगला आदित्य एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड का था, जिसकी नीलामी प्रक्रिया पिछले साल शुरू हुई थी। पहले आदित्य एस्टेट्स ने इस बंगले की कीमत 1000 करोड़ रुपये आंकी थी, लेकिन 14 फरवरी के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल के डाक्यूमेंट्स से अनुसार बंगले की कीमत सिर्फ 265 करोड़ रुपये निकली है।

देखा जाए तो अडानी प्रॉपर्टीज की ओर से यही रकम भी चुकानी है, लेकिन इसके अलावा भी उन्हें कुछ पैसे चुकाने हैं, जिसकी वजह से ये कीमत 400 करोड़ रुपये हो गई है। अडाणी प्रॉपर्टीज की तरफ से 135 करोड़ रुपये कन्वर्जन चार्ज दिया जाना है और साथ ही 5 करोड़ रुपये गारंटी के तौर पर जमा करने हैं।

ऐसा रहा इतिहास

इस बंगले का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा हुआ है। पहले इस बंगले में विदेश विभाग का ऑफिस चला करता था। इसी बंगले में उसके स्टाफ के रहने की व्यवस्था भी थी। 1921 में इसे यूनाइटेड प्रोविन्सेज लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य लाला सुखबीर सिन्हा ने खरीद लिया। उसके बाद 1985 में इसे आदित्य एस्टेट्स ने खरीद लिया।

पिछले ही साल 26 फरवरी को आईसीआईसीआई बैंक यूके ने कर्ज की रिकवरी के लिए आदित्य एस्टेट्स के खिलाफ दिवालिया करने की अर्जी दायर की थी, जिसकी प्रक्रिया के तहत अब ये बंगला 400 करोड़ रुपये में बिक गया है।

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अडाणी के अलावा इस बंगले के लिए हैवेल्स इंडिया के अनिल राय गुप्ता, डालमियां सीमेंट (भारत) लिमिटेड, इंफोसिस कोफाउंडर नारायण मूर्ति और वीना इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेट (VIPL) भीबोली लगाने वालों में शामिल थे। हालांकि, अडाणी प्रॉपर्टीज सबको हराते हुए आगे निकल गई।

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