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बोफोर्स घोटाला: CBI ने दोबारा शुरू की जांच तो कई कांग्रेस नेताओं के होश होंगे फाख्ता!
बोफोर्स तोप घोटाले केस में याचिकाकर्ता एडवोकेट अजय अग्रवाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से दोबारा नए सिरे से केस की जांच शुरू करने की मांग की है।
नई दिल्लीः बोफोर्स तोप घोटाले केस में याचिकाकर्ता एडवोकेट अजय अग्रवाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से दोबारा नए सिरे से केस की जांच शुरू करने की मांग की है। इससे अब 1986 में हुए इस चर्चित घोटाले से गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अजय अग्रवाल के मुताबिक, बोफोर्स केस से संबंधित तीस हजारी कोर्ट से जुड़े तमाम डॉक्यूमेंट्स उनके पास हैं। अगर सीबीआई केस की दोबारा जांच करती है तो वह हर जरूरी डॉक्यूमेंट्स और एविडेंस भी मुहैया कराने को सहमत हैं। अजय अग्रवाल के अनुसार, इस घोटाले में राजीव गांधी, क्वात्रोची, विन चड्ढा और हिंदुजा ब्रदर्स और सेना के सीनियर अफसरों की संलिप्तता के कई एविडेंस हैं। कांग्रेस सरकार ने 1986 से 2014 तक इस केस को बंद कराने की हर संभव कोशिश की। इस तरह का कृत्य सम्पूर्ण राष्ट्र के साथ अपराध है।
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क्या है आरोप ?
एडवोकेट अजय अग्रवाल का कहना है कि यूपीए सरकार में सोनिया गांधी ने सीबीआई पर दबाव डलवाकर मामले को दबाने की कोशिश की। इस लिहाज से अब सीबीआई को फिर से फाइलें खोलकर केस से जुड़े सभी दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। बता दें कि पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) ने डिफेंस मिनिस्ट्री को जुलाई के लास्ट वीक में हुई मीटिंग में बोफोर्स सौदे की मिसिंग फाइलों को खोजने का निर्देश दिया था।
इस केस का स्टेटस तलब करने पर डिफेंस मिनिस्ट्री ने पीएसी को आधी-अधूरी रिपोर्ट दी। जिस पर पीएसी ने डिफेंस मिनिस्ट्री पर नाराजगी जाहिर की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे अजय अग्रवाल ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को एक लेटर लिखा।
क्या लिखा है लेटर में ?
-लेटर में कहा गया है की देशहित में इस केस का जल्द निपटारा जरूरी है।
-सच सामने आना बेहद आवश्यक है।
-दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
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अजय अग्रवाल के सवाल
फ्रैंच गन कंपनी सोफमा की तोपें खरीदने को जब जब सेना के अधिकारियों ने हरी झंडी दे दी थी इसके बावजूद बोफोर्स कंपनी से ही डील क्यों की गई। सोफमा गन्स की रेंज 29 किमी थी जबकि बोफोर्स तोपों की रेंज 21 किमी फिर भी बोफोर्स तोपें क्यों खरीदी गईं। सोफमा कंपनी ने अपनी टेक्नोलॉजी भी भारत को देकर यहां फैक्ट्री लगाने की बात कही थी फिर भी बोफोर्स से ही तोपें क्यों खरीदी गईं। यही नहीं, सोफमा ने तोप के साथ बारूद भी देने को कहा था फिर भी सिर्फ तोप देने वाली कंपनी यानी बोफोर्स से ही डील की गई।
सोनिया गांधी पर अटकी तलवार
एडवोकेट अजय अग्रवाल के मुताबिक, जांच एजेंसी ने बोफोर्स डील में घूसखोरी की बात सामने आऩे पर साल 2003 में इतालवी कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोच्ची के लंदन के दो अकाउंट्स को जो कि बीएसआई एजी बैंक लंदन में चल रहे थे, को फ्रीज करवा दिया था। इसमें से एक अकाउंट क्वात्रोच्ची की पत्नी मारिया का भी था। इसी बीच यह खबर आई कि 11-12 जनवरी की आधी रात को क्वात्रोच्ची और उसकी पत्नी मारिया के अकाउंट्स भारत सरकार की ओर से डिफ्रीज कराए जा रहे हैं। जिसके बाद अजय अग्रवाल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित बैंक अकाउंट्स की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। अकाउंट्स डिफ्रीज होते ही क्वात्रोची ने रिश्वत के 42 करोड़ निकालकर ठिकाने लगा दिए।
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अजय अग्रवाल के मुताबिक, 31 मार्च 2005 को दिल्ली हाईकोर्ट के हिंदुजा ब्रदर्स पर आरोप खारिज करने को लेकर दिए फैसले के खिलाफ यूपीए सरकार ने सीबीआई को स्पेशल लिटिगेशन पिटीशन (एसएलपी) की अनुमति नहीं दी। अग्रवाल ने अमेरिकी एजेंसी सीआईए की 1988 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बोफोर्स सौदेबाजी में घूस का पैसा दलाल के जरिए भारत सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों तक पहुंचा।
बड़ा सवाल ?
एडवोकेट अजय अग्रवाल के मुताबिक, क्वात्रोची ने लंदन के बैंक अकाउंट्स से किसको और कहां पैसा भेजा गया, इसकी जांच जरूरी है। यूपीए सरकार ने दलाल क्वात्रोची के अकाउंट्स पर लगी रोक क्यों हटवा दी।
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क्वात्रोची की हो चुकी है मौत
-एडवोकेट अग्रवाल के मुताबिक, इस मामले में उनकी रिट सुप्रीम कोर्ट में 18 अक्टूबर 2005 को एक्सेप्ट हुई।
-जनवरी 2006 में खबर आती है कि केंद्र की ओर से एडिशनल सालिसिटर जनरल को लंदन भेजकर क्वात्रोची के अकाउंट्स खाते डिफ्रीज करा दिए गए।
-उसे पैसे निकालने की भी परमीशन दे दी गई।
-साल 2009 में रेडकार्नर नोटिस वापस ले लिया गया।
-साल 2011 में क्वात्रोची के खिलाफ केस भी वापस ले लिया जाता है।
-साल 2013 में क्वात्रोची की मौत हो गई थी।