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लोकपाल विधेयक पास होने के बाद 4 सालों में क्या कुछ हुआ, पढ़ें ये रिपोर्ट

सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान (एनसीपीआरआई) की सदस्य अंजलि भारद्वाज कि तरफ से दायर आरटीआई से पता चला है कि लोकपाल चयन समिति की पहली बैठक मोदी सरकार के सत्ता में आने के 45 महीनों बाद मार्च, 2018 में हुई थी। इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

Aditya Mishra
Published on: 22 Dec 2018 4:25 PM IST
लोकपाल विधेयक पास होने के बाद 4 सालों में क्या कुछ हुआ, पढ़ें ये रिपोर्ट
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नई दिल्ली: भ्रष्टाचार से तंग आ चुके आम लोगों को लोकपाल के रूप में एक ऐसा कारगर हथियार मिल गया है जिसका इस्तेमाल भ्रष्ट अफसरों और नेताओं को बेनकाब करने के लिए किया जा सकता है। लोकपाल कानून की खास बात ये है कि इसमें एक छोटे से कर्मचारी से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक जांच के घेरे में होंगे।

यदि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ ठोस सबूत हो तो लोकपाल के पास सीधा शिकायत की जा सकती है। अगर लोकपाल को लगता है कि शिकायत में दम है तो वह उसे सीबीआई और सीबीसी के पास जांच के लिए भेज सकती है। यहां आपको बता दे कि लोकपाल विधेयक को 2013 में ही पास भी कर दिया गया था। तो आइये जानते है लोकपाल विधेयक पास होने के बाद तब से लेकर आज तक का पूरा घटनाक्रम:-

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4 सालों में सर्च कमेटी की नहीं हुई एक भी मीटिंग

-आरटीआई को लेकर काम करने वाले सतर्क नागरिक संगठन और सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान (एनसीपीआरआई) की सदस्य अंजलि भारद्वाज कि तरफ से दायर आरटीआई से पता चला है कि लोकपाल चयन समिति की पहली बैठक मोदी सरकार के सत्ता में आने के 45 महीनों बाद मार्च, 2018 में हुई थी। इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

-द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक लोकपाल सर्च कमेटी की अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है। जबकि चयन समिति द्वारा बीते 27 सितंबर 2018 को ही सर्च कमेटी का गठन कर लिया गया था। इस कमेटी में कुल आठ सदस्य हैं।

-कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के अनुसार मोदी सरकार में लोकपाल चयन समिति की कुल छह बैठक हुई है। दो बैठक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुई थी।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक लोकपाल चयन समिति की आखिरी बैठक बीते 19 सितंबर 2018 को हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और वकील मुकुल रोहतगी मौजूद थे।

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लोकपाल कानून की ये हैं खासियतें

1-केंद्रीय स्तर पर एक लोकपाल होगा और हर राज्य में एक-एक लोकायुक्त।

2. लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होंगे।

3. लोकपाल के आधे सदस्य एससी, एसटी, ओबीसी, महिला और अल्पसंख्यक समुदाय के होंगे।

4. लोकपाल का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, एक जज, राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रमुख न्यायविद की कमेटी करेगी।

5. कुछ शर्तो के साथ प्रधानमंत्री भी लोकपाल के दायरे में होंगे।

6. जो एजेंसियां मामले की जांच करेगी उसकी निगरानी के साथ-साथ निर्देश देने का भी अधिकार भी लोकपाल के पास होगा।

7. जांच में शामिल अधिकारियों का तबादला लोकपाल की अनुमति से ही संभव।

8. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति करेगी।

9. लोकपाल कानून में ईमानदार नौकरशाहों को संरक्षण दिया गया है।

10. इसमें भ्रष्ट तरीके से कमाई गई संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी है।

11. विदेश से एक साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा दान पाने वाली संस्थाओं को जांच के दायरे में रखा गया है।

12. इसमें गलत शिकायत करने वाले को सजा और अर्थदंड का भी प्रावधान है।

13. लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में हर श्रेणी के सरकारी कर्मचारी आएंगे।

14. सीबीआइ में अभियोजन निदेशक की नियुक्ति सीवीसी की सिफारिश पर होगी।

15. प्रारंभिक जांच और मुकदमा पूरा करने के लिए स्पष्ट समयसीमा तय है। मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रावधान है।

लोकपाल कानून के पांच बड़े फायदे

1. महंगाई पर लगाम लगेगी।

2. पूरा धन लोककल्याणकारी कार्यो में खर्च होगा।

3. लोगों का फाइलों में नहीं अटकेगा काम।

4. देश की छवि अच्छी होगी जिससे विदेश निवेश बढ़ेगा।

5. शासन-प्रशासन में पारदर्शिता आएगी।

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Aditya Mishra

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