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मोदी के 'सिंदूर' से दहला पाकिस्तान! PMO में All Party Delegation का 'महा-मिलन', 33 देशों में PAK को किया था बेइज्जत
All-Party Delegation meet PM Modi: यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अगले महीने मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है और तमाम विपक्षी दल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इसका बदला लेने के लिए 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी.
All-Party Delegation meet PM Modi
All-Party Delegation meet PM Modi: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आतंकवाद पर भारत का रुख दुनिया के सामने रखने के लिए अलग-अलग देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा गया था. जिन सात सांसदों ने डेलिगेशन का नेतृत्व किया, उनमें कांग्रेस से शशि थरूर, बीजेपी से रविशंकर प्रसाद, जदयू से संजय कुमार झा, बीजेपी से बैजयंत पांडा, डीएमके से कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी-एसपी से सुप्रिया सुले और शिंदे शिवसेना से श्रीकांत शिंदे शामिल थे. सर्वदलीय डेलिगेशन ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने बेनकाब किया.
पहलगाम हमले का बदला के लिए ऑपरेशन सिंदूर
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अगले महीने मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है और तमाम विपक्षी दल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इसका बदला लेने के लिए 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी. पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी जबकि कई लोग घायल हुए थे. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया था. इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे.
भारत की कूटनीति का एक नया अध्याय मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास (7, लोक कल्याण मार्ग) पर लिखा गया, जहाँ एक अभूतपूर्व सर्वदलीय डेलिगेशन ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। यह मुलाकात सिर्फ एक सामान्य बैठक नहीं थी, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के खिलाफ भारत के अडिग रुख को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखने की एक बड़ी कूटनीतिक जीत का समापन थी। इस डेलिगेशन ने दुनिया के 33 देशों का दौरा कर पाकिस्तान के आतंकपरस्त चेहरे को बेनकाब किया और भारत के पक्ष को पुरजोर तरीके से सामने रखा। यह दिखाता है कि जब देश की सुरक्षा और संप्रभुता की बात आती है, तो राजनीतिक मतभेद भुलाकर पूरा देश एक साथ खड़ा हो सकता है।
वैश्विक मंच पर पाकिस्तान का पर्दाफाश
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने आतंकवाद पर अपने दृढ़ रुख को दुनिया के सामने रखने के लिए एक अद्वितीय रणनीति अपनाई। एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को विभिन्न देशों में भेजा गया, जिसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करना और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का औचित्य समझाना था। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से शशि थरूर, बीजेपी से रविशंकर प्रसाद, जदयू से संजय कुमार झा, बीजेपी से बैजयंत पांडा, डीएमके से कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी-एसपी से सुप्रिया सुले और शिंदे शिवसेना से श्रीकांत शिंदे जैसे प्रमुख नेता शामिल थे। इन सांसदों ने अपनी-अपनी पार्टियों के राजनीतिक मतभेदों को परे रखकर, भारत के राष्ट्रीय हित में एक साथ काम किया।
इन सभी सदस्यों ने प्रधानमंत्री मोदी को अपनी-अपनी बैठकों और अनुभवों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह साझा किया कि कैसे उन्होंने विभिन्न देशों के नेताओं, राजनयिकों और थिंक टैंक के समक्ष पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर किया। इस डेलिगेशन की अथक मेहनत ने सुनिश्चित किया कि पाकिस्तान के आतंकपरस्त एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जा सके, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगे। यह भारत की कूटनीतिक शक्ति का एक बड़ा प्रदर्शन था, जिसने यह दिखाया कि जब देश की बात आती है तो राजनीतिक दल एकजुट होकर कितनी मजबूती से अपनी बात रख सकते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले का करारा जवाब
यह महत्वपूर्ण मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अगले महीने मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है, और तमाम विपक्षी दल 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत द्वारा पहलगाम में हुए 22 अप्रैल के आतंकी हमले का एक करारा जवाब था। इस क्रूर हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई अन्य घायल हुए थे। इस दर्दनाक घटना के बाद, भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों को तबाह करना था।
इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने अभूतपूर्व शौर्य का प्रदर्शन करते हुए 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया और उनके ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न करने के भारत के संकल्प का एक स्पष्ट संदेश था। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल देश के भीतर एक मजबूत संदेश दिया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में पीछे नहीं हटेगा।
कूटनीति और राष्ट्रीय एकता का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस सर्वदलीय डेलिगेशन की बैठक ने एक बार फिर राष्ट्रीय एकता का महत्व साबित किया है। यह दर्शाता है कि आंतरिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, जब देश की संप्रभुता और सुरक्षा का प्रश्न आता है, तो भारतीय राजनीतिक वर्ग एकजुट हो सकता है। इस कूटनीतिक प्रयास ने न केवल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने में मदद की, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के वैश्विक रुख को भी मजबूत किया। विपक्षी दलों द्वारा विशेष संसद सत्र की मांग यह भी दर्शाती है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' और उसके बाद की कूटनीतिक सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी गंभीरता से लिया जा रहा है। यह सत्र, यदि बुलाया जाता है, तो संभवतः इस अभियान की सफलता और भविष्य की आतंकवाद विरोधी रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा का मंच बनेगा।
कुल मिलाकर, यह घटनाक्रम भारत की 'आक्रामक कूटनीति' का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ सैन्य शक्ति को कूटनीतिक कौशल के साथ जोड़कर राष्ट्रीय हितों को साधने का प्रयास किया गया। यह बताता है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि वह proactively (सक्रिय रूप से) अपनी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने और वैश्विक मंच पर अपनी बात मजबूती से रखने में सक्षम है। यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख और आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई में मिली सफलता को दर्शाता है।
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