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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई राहुल गांधी को कड़ी फटकार, सेना का कथित अपमान करने के मामले में राहत देने से किया इंकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को भारतीय सेना पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सीमित है और सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान इसके दायरे में नहीं आते। राहुल गांधी की याचिका खारिज हुई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारतीय सेना पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर फटकार लगाई है। अदालत की एकल पीठ ने कहा कि हालांकि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। यह अधिकार अनुचित नहीं है और कुछ उचित प्रतिबंधों के अधीन है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सेना के प्रति अपमानजनक बयान इस संवैधानिक संरक्षण के दायरे में नहीं आते।
जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब राहुल गांधी ने लखनऊ की अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। यह समन 2022 की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर जारी किया गया था।
राहुल गांधी की ओर से लखनऊ कोर्ट में पेश न हो पाने के कारण एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें उनके खिलाफ वारंट जारी करने और उन्हें अदालत में पेश होने को लेकर आग्रह किया गया था। अदालत ने उन्हें पांचवां अवसर देते हुए आदेश दिया है कि वे 23 जून 2025 को बतौर अभियुक्त उपस्थित हों। इसी तारीख को अब अगली सुनवाई होगी। इस मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने राहुल गांधी को 24 मार्च को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने अब खारिज कर दिया है।
BRO के पूर्व निदेशक ने किया है मुकदमा
यह शिकायत वकील विवेक तिवारी ने शिकायत सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से की गई थी। उदय शंकर श्रीवास्तव का पद सेना में कर्नल रैंक के समकक्ष माना जाता है।
नेता विपक्ष को नहीं मिली राहत
अदालत ने कहा कि भले ही शिकायतकर्ता सीधे तौर पर घटना से प्रभावित न हो लेकिन सीआरपीसी की धारा 199(1) के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति को किसी बयान या अपराध से मानसिक, सामाजिक या पेशेवर क्षति पहुंची है। तो उसे 'पीड़ित' की श्रेणी में रखा जा सकता है। चूंकि शिकायतकर्ता सेना से गहरे जुड़ाव और सम्मान का भाव रखते हैं। उन्होंने खुद को इस टिप्पणी से व्यक्तिगत रूप से आहत बताया है। इसलिए उन्हें शिकायत करने का अधिकार प्राप्त है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि समन की वैधता को शुरुआती स्तर पर चुनौती देना अनुचित है। क्योंकि इस बारे में अंतिम निर्णय ट्रायल कोर्ट द्वारा तथ्यों के परीक्षण के बाद ही लिया जा सकता है। इस आधार पर राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी गई।
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