TRENDING TAGS :
तमिलनाडु में अमित शाह का जलवा! स्टालिन सरकार पर बोला जबरदस्त हमला, दे डाली सीधी चुनौती
Amit Shah Tamil Nadu Visit: अमित शाह का यह दौरा एक साधारण राजनीतिक दौरा नहीं था। यह संदेश देने का मौका था—डीएमके की सत्ता अब खतरे में है, और भाजपा तमिलनाडु में कोई 'बाहरी पार्टी' नहीं, बल्कि एक 'गंभीर दावेदार' है।
Amit Shah Tamil Nadu Visit
Amit Shah Tamil Nadu Visit: जब दक्षिण की धरती पर उत्तर का एक नेता उतरे, मंदिर में शीश नवाए और फिर राजनीतिक मोर्चा खोल दे, तो समझ लीजिए चुनावी रणभेरी बज चुकी है। तमिलनाडु, जो दशकों से द्रविड़ राजनीति की छांव में पला-बढ़ा, अब भारतीय जनता पार्टी के लिए अगला बड़ा लक्ष्य बन चुका है। दिल्ली की सत्ता से चलकर मदुरै के मीनाक्षी अम्मन मंदिर तक पहुंचा ‘संकल्प यात्रा’ का यह नया पड़ाव, सिर्फ एक धार्मिक दर्शन नहीं, बल्कि राजनीतिक क्रांति की तैयारी है। और इसकी अगुवाई कर रहे हैं खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। अमित शाह का यह दौरा एक साधारण राजनीतिक दौरा नहीं था। यह संदेश देने का मौका था—डीएमके की सत्ता अब खतरे में है, और भाजपा तमिलनाडु में कोई 'बाहरी पार्टी' नहीं, बल्कि एक 'गंभीर दावेदार' है। मीनाक्षी मंदिर में माथा टेकने के बाद शाह जिस आत्मविश्वास से बोले, उसने डीएमके खेमे में चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
“मैं नहीं, तमिलनाडु की जनता हराएगी स्टालिन को”
शाह ने अपने भाषण में ना सिर्फ स्टालिन सरकार को निशाने पर लिया, बल्कि अपने चिर-परिचित आक्रामक अंदाज़ में जनता की नब्ज भी टटोल दी। उन्होंने कहा, “एमके स्टालिन कहते हैं कि अमित शाह डीएमके को नहीं हरा सकते। वह सही कह रहे हैं। मैं नहीं, बल्कि तमिलनाडु की जनता आपको हराएगी।” ये शब्द केवल तंज नहीं थे, बल्कि भाजपा के आत्मविश्वास का ऐलान थे कि वह अब राज्य के राजनीतिक खेल में पूरी ताकत से उतरने को तैयार है। शाह ने स्पष्ट किया कि 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और AIADMK का गठबंधन एनडीए के रूप में सत्ता में वापसी करेगा। यह घोषणा दक्षिण भारत की राजनीति में नई धुरी बनने की कोशिश की शुरुआत मानी जा रही है। खास बात ये रही कि उन्होंने पश्चिम बंगाल का भी उल्लेख किया, यह जताते हुए कि 'दक्षिण और पूर्व' दोनों पर अब भाजपा की नजर है।
स्टालिन सरकार पर भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप
अमित शाह ने अपने पूरे संबोधन में भ्रष्टाचार के मुद्दे को केंद्र में रखा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की जनता डीएमके की भ्रष्टाचार-प्रेमी सरकार से तंग आ चुकी है। उनके अनुसार, राज्य की जनता अब बदलाव चाहती है और भाजपा को एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में देख रही है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब डीएमके पर पहले से ही कई घोटालों और फिजूलखर्ची के आरोप लग चुके हैं। शाह का यह हमला सीधे मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के गढ़ पर था। और दिलचस्प बात यह है कि भाजपा अब ‘बाहरी’ होने के आरोप से ऊपर उठकर स्थानीय मुद्दों और तमिल अस्मिता को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
महिला सशक्तिकरण और ‘मां’ का एजेंडा
शाह ने अपने भाषण में मोदी सरकार की 11 साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए खासतौर पर महिला सशक्तिकरण की बात की। उन्होंने कहा, “सशक्त महिलाएं आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं।” उज्ज्वला योजना, ट्रिपल तलाक पर रोक, नारी शक्ति वंदन अधिनियम और सशस्त्र बलों में महिलाओं की भर्ती जैसे कदमों को उन्होंने क्रांतिकारी बताया। यह बयान तमिलनाडु की महिला मतदाता वर्ग को साधने की कोशिश है, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। शाह ने यह भी कहा कि भाजपा राज्य में सामाजिक न्याय और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का वादा करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शाह की इस लाइन को आगे बढ़ाते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि एनडीए सरकार ने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को नई परिभाषा दी है। स्वच्छ भारत, मुद्रा योजना और पीएम आवास योजना जैसे कार्यक्रमों को महिलाओं को केंद्र में रखकर डिज़ाइन किया गया है।
मंदिरों से मिशन तक: आस्था और रणनीति का संगम
अमित शाह का मीनाक्षी अम्मन मंदिर में पूजा करना एक राजनीतिक संदेश भी था। भाजपा अब दक्षिण भारत में अपनी पहचान सिर्फ एक ‘हिंदुत्व आधारित पार्टी’ के रूप में नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना की वाहक के रूप में पेश कर रही है। मीनाक्षी मंदिर, जो तमिलनाडु की आस्था का केंद्र है, वहां जाकर शाह ने साफ कर दिया कि भाजपा अब धार्मिक-सांस्कृतिक मैदान में भी पूरी तैयारी से कूदी है। यह रणनीति पहले कर्नाटक में देखी गई थी, जहां भाजपा ने लिंगायत समुदाय और मंदिरों के संरक्षण का मुद्दा उठाया था। अब यही फॉर्मूला तमिलनाडु में मीनाक्षी मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
बूथ स्तर तक पहुंचेगा 'कमल'
भाजपा का असली चुनावी अभियान शाह की इस यात्रा के बाद ही शुरू होता है। पार्टी अब राज्य में बूथ स्तर पर संगठन को मज़बूत करने पर ध्यान दे रही है। शाह की कोर कमेटी मीटिंग में भी यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि भाजपा का हर कार्यकर्ता मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की उपलब्धियों को लेकर गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचेगा। यानी, यह चुनाव सिर्फ डीएमके के खिलाफ नहीं, बल्कि ‘मॉडल बनाम मॉडल’ की लड़ाई होगी—मोदी मॉडल बनाम स्टालिन मॉडल। और शाह का दावा है कि तमिलनाडु की जनता इस बार बदलाव के मूड में है।
AIADMK की वापसी या BJP की शुरुआत?
शाह का यह दौरा एक और संकेत देता है कि भाजपा अब AIADMK को केवल एक सहयोगी नहीं, बल्कि चुनावी सीढ़ी के रूप में देख रही है। जयललिता की अनुपस्थिति में AIADMK का जनाधार बिखर चुका है, जिसे भाजपा नए सिरे से एकजुट करने की कोशिश कर रही है। यह गठबंधन डीएमके के मजबूत संगठन और परंपरागत मतदाताओं के सामने कितनी टक्कर दे पाएगा, यह तो 2026 के चुनाव में ही साफ होगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार भाजपा तमिलनाडु में सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि सत्ता पाने आई है।
क्या तमिलनाडु अब बदलेगा राजनीतिक रंग?
तमिलनाडु की राजनीति लंबे समय से द्रविड़ दलों की बपौती रही है। भाजपा को यहां अब तक केवल प्रतीकात्मक समर्थन मिलता रहा। लेकिन शाह के इस दौरे ने यह साफ कर दिया है कि भाजपा अब प्रतीकों की राजनीति नहीं, बल्कि सत्ता की रणनीति बना रही है। 2026 के विधानसभा चुनाव भले अभी दो साल दूर हों, लेकिन चुनावी संग्राम की नींव मदुरै में पड़ चुकी है। अब देखना ये होगा कि क्या ‘कमल’ वाकई तमिल राजनीति की कड़ी मिट्टी में खिल पाएगा, या फिर एक बार फिर द्रविड़ विचारधारा ही भारी पड़ेगी। पर एक बात तो तय है अमित शाह के इस तमिलनाडु मिशन ने स्टालिन सरकार की नींद ज़रूर उड़ा दी है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge