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नोटबंदी के बाद बैंककर्मियों की कार्यक्षमता कसौटी पर, ठप्प हुई लोन सेवा

आजादी के 70 साल बाद देश में पूरी बैंकिंग व्यवस्था पर मुसीबतों का ऐसा पहाड़ टूटा कि नई पीढ़ी के बैंक कर्मियों के सर पर मुसीबत आ गई है। छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में बैंक प्रबंधक निशाने पर हैं। एक ओर उन्हें कई-कई घंटे लाइनों में लगे लोगों के हंगामें का तनाव झेलना पड़ रहा है तो दूसरी ओर हर रोज उन बैंक ब्रांचों के जरिए लाखों-रोड़ों का कारोबार करने वाले अपने बहुमूल्य ग्राहकों को समुचित सेवा देने से मुंह मोड़ने का दंश झेलना पड़ रहा है।

priyankajoshi
Published on: 4 Dec 2016 3:27 PM IST
नोटबंदी के बाद बैंककर्मियों की कार्यक्षमता कसौटी पर, ठप्प हुई लोन सेवा
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यू .के लखेरा

नई दिल्ली : नोटबंदी ने बैंकिंग कार्यप्रणाली और ग्राहकों की सुविधाओं को ध्वस्त कर दिया है।लोगों को छोटे मोटे लोन बांटना जो बैंकों की आय का सबसे बड़ा जरिया है वो सब कई महीनों के लिए ठप्प पड़ गया है।

आजादी के 70 साल बाद देश में पूरी बैंकिंग व्यवस्था पर मुसीबतों का ऐसा पहाड़ टूटा कि नई पीढ़ी के बैंक कर्मियों के सर पर मुसीबत आ गई है। छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में बैंक प्रबंधक निशाने पर हैं। एक ओर उन्हें कई-कई घंटे लाइनों में लगे लोगों के हंगामें का तनाव झेलना पड़ रहा है तो दूसरी ओर हर रोज उन बैंक ब्रांचों के जरिए लाखों-रोड़ों का कारोबार करने वाले अपने बहुमूल्य ग्राहकों को समुचित सेवा देने से मुंह मोड़ने का दंश झेलना पड़ रहा है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें बैंक से जुड़ी कुछ और बाते...

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बैंक अधिकारियों को हो रही परेशानी

अधिकतर बैंकों में बैंक अधिकारियों को स्टाफ को शांत व अनुशासन में रखना मुश्किल हो रहा है। एक बड़े बैंक के वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि बैंकिंग प्रतिस्पर्धा के दौर में ग्राहकों की सेवा की सर्वोच्च गुणवत्ता व विश्वसनीयता का मुद्दा बैंकिंग प्रशिक्षण का सबसे बड़ा हिस्सा होता है लेकिन नोटबंदी के बाद जो हालात पैदा हुए हैं, उससे ग्राहकों की सुविधाओं का मजाक बन गया है।

बकौल उनके लोगों की छोटी-बड़ी बचतों के अलावा उन्हें हैसियत के अनुसार ज़्यादा से ज़्यादा लोन लेने के लिए प्रेरित करने, बैकों में करंट एकाउंट वाले ग्राहकों की संख्या बढ़ाने और उन्हें डेबिट-क्रेडिट कार्ड के लिए प्रेरित करने का सबसे बड़ा लक्ष्य है।

देश भर में करीब 4400 करेंसी चेस्ट काम करती हैं, जिनके जरिये बैंक पैसा जमा करते हैं तथा जरूरत का दैनिक लेन-देन का पैसा निकालते हैं। ऐसे हालात में जबकि बैंकों में नोटों की सप्लाई बहुत कम है, तो उन्हें ग्राहकों की नकदी की मांग पूरी करने के लिए नकदी की आमद वाले व्यापारियों से मिन्नतें करके आंशिक तौर पर काम चलाना पड़ रहा है।

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बैंकों ने रोकी लोन सेवा

कई बड़े निजी लोन जो बैंकों ने स्वीकृत कर दिए थे उन्हें इस आधार पर रोक दिया गया है क्योंकि लोग लोन का पैसा मांगने बैंकों का चक्कर लगाने लगेंगे।

देश में बैंकिंग कर्मचारियों को सबसे बड़ी समस्या केंद्र सरकार व रिजर्व बैंक द्वारा आए दिन बैंकों को नए-नए नियम से बांधने व भ्रम की स्थिति पैदा करने से हुई है।देश की तीन प्रमुख बैंक यूनियनों के अलावा कई दूसरे बैंक संघों ने मोदी सरकार को आगाह कर दिया है कि बैंकों के बाहर कतारें और एटीएम व्यवस्था ज्यादातर क्षेत्रों में ठप होने से और आफत बढ़ेगी।

ऐसी दशा में ऐसे ग्राहकों को हालात सामान्य होने के बाद बैंक के साथ बांधे रखना मुश्किल हो गया है। बैंकों में कर्मचारियों पर दिन-रात के काम का बोझ बढ़ा है। नोट गिनने, असली व नकली नोटों की परख करने और सुरक्षा के साथ अगले दिन वक्त पर बैंक खोलने के तनाव ने सबसे ज्यादा मुसीबत खड़ी की है। एक बैंक अधिकारी ने माना कि इस पूरी प्रकिया में बैंकों के गार्ड से लेकर डाईवर, क्लर्क और कैश विभाग के मैनेजरों के लिए एक-एक दिन काटना मुश्किल हो गया है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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