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मिशन हिमाचल: अमित शाह पालमपुर से फूकेंगे '60 प्लस' का मंत्र
Ved Prakash singh
शिमला: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विजय रथ को हिमाचल फतह करवाने का मिशन लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पालमपुर में दो दिवसीय दौरे पर हैं। मोदी के शिमला दौरे के बाद संगठन और नेताओं के पेंच कसने के लिहाज से यह दौरा बहुत अहम है।
पार्टी से जुड़े नेताओं की मानें तो अमित शाह का यह दौरा बीजेपी को '60 प्लस' मिशन के साथ मैदान में उतारेगी। बीजेपी के इस सपने को संबल दे रहा है पिछली लोकसभा का आंकड़ा और यूपी तथा उत्तराखंड में मिली शानदार जीत।
2014 का परिणाम दोहराने की कोशिश
हिमाचल प्रदेश में 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए राज्य की सभी चारों सीटों पर कमल खिलाया था। अगर विधानसभा वार नज़र डालें, तो बीजेपी 68 सीटों वाले विधानसभा में 59 सीट पर आगे थी। इसलिए अमित शाह हर हाल में चाहेंगे कि वो अपने लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को और बेहतर बना सकें।
यूपी में सफल रही थी रणनीति
बताते चलें, कि हिमाचल की राज्य इकाई ने हाल ही में '50 प्लस' का नारा दिया था, जिसे अब अमित शाह बदलकर '60 प्लस' करना चाहते हैं। ऐसा वह यूपी में भी कर चुके हैं। गौरतलब है कि जब केशव मौर्या को बीजेपी का अध्यक्ष बनाकर यूपी भेजा गया था तो उन्होंने कहा था कि हम '265 प्लस' का लक्ष्य लेकर आए हैं। लेकिन जैसे ही चुनाव नजदीक आए बीजेपी ने अपना नारा '300 प्लस' कर दिया। शाह की रणनीति की बदौलत उसे नामुमकिन से लगाने वाले लक्ष्य को हासिल भी कर लिया।
लक्ष्य मुश्किल लेकिन नामुमकिन नहीं
लोकसभा चुनाव में मिली जीत को अमित शाह और बीजेपी यूपी-उत्तराखंड में कायम रख पाने में कामयाब रहे। इसलिए हिमाचल के लिए उनका '60 प्लस' का नारा मुश्किल तो लग रहा है, लेकिन नामुमकिन नहीं। बताते चलें कि यूपी में लोकसभा चुनाव में 73 सीटें जीतने वाली बीजेपी 338 विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही थी। इसी तरह 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वह प्रदर्शन कायम रखा और 325 सीटों पर कब्जा किया। जबकि वह 2012 के विधानसभा चुनाव में 15 प्रतिशत वोटों के साथ 44 सीटों पर सिमट गई थी। ऐसा ही प्रदर्शन बीजेपी का उत्तराखंड में भी रहा, जहां उसने 70 में 57 सीटों पर कब्जा किया।
कागड़ा में है सरकार की चाबी
अमित शाह कांगड़ा जिले में दो दिवसीय बैठक का आयोजन कर रहे हैं। उस विधानसभा सीट को सत्ता की चाबी कहा जाता है। 1990 से 2003 तक यह सीट जिसके पास रही, प्रदेश में उसी ने सरकार बनाई। हालांकि, 2007 में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संजय चौधरी ने जीती, जबकि 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी पवन काजल ने इस सीट पर कब्जा किया। 1982 से अब तक हुए आठ आम चुनाव में बीजेपी यहां चार बार जीत चुकी है जबकि कांगेस 2 बार इस सीट पर कब्ज़ा कर पाई है।
क्यों अहम है आने वाला विधानसभा चुनाव
हिमाचल प्रदेश सहित देशभर में होने वाले विधानसभा चुनावों को अब 2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। मोदी के 'चाणक्य' अमित शाह सही मायने में अब एक तीर से दो शिकार कर रहे हैं आगामी लोकसभा आम चुनाव में अगर बीजेपी को पुराना इतिहास दोहराना है तो उसे सभी राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करना पड़ेगा। यह बात मोदी और अमित शाह बखूबी समझते हैं। यहां तक की देश के किसी भी चुनाव में मिलने वाली जीत का सेहरा अगर मोदी के सिर सज रहा है, तो हार का कालिख भी मोदी की लोकप्रियता पर ही लगेगी।
भारत की पहली ई-असेम्बली है पालमपुर
पालमपुर भारत वर्ष की पहली ई- असेम्बली है। 22 नवम्बर 2016 को विधानसभा स्पीकर ब्रिजबिहारी लाल बुटेल ने देश की पहली ई-असेम्बली का उद्घाटन किया था। बताते चलें, कि बीजेपी के नेता और पीएम नरेंद्र मोदी का एक बड़ा मिशन है डिजिटल इंडिया जिसके लिए ये महत्वपूर्ण है।