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BJP का पलटवार,घेरे में राहुल गांधी! '"महाराष्ट्र में 'फिक्सिंग' या राहुल की 'फ्रस्टेशन'? नड्डा ने कांग्रेस का दिखाया काला सच

RahuI Gandhi fixing allegation: भारत की सियासत में एक बार फिर 'चुनाव' बहस का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। लेकिन इस बार मसला सिर्फ वोटों का नहीं, बल्कि चुनाव की पवित्रता पर उठते सवालों का है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, बयानबाजी की आग तेज होती जा रही है।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Jun 2025 5:51 PM IST
RahuI Gandhi fixing allegation
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RahuI Gandhi fixing allegation

RahuI Gandhi fixing allegation: भारत की सियासत में एक बार फिर 'चुनाव' बहस का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। लेकिन इस बार मसला सिर्फ वोटों का नहीं, बल्कि चुनाव की पवित्रता पर उठते सवालों का है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, बयानबाजी की आग तेज होती जा रही है। पर इस बार चिंगारी ऐसी जगह से उठी है जहां से अक्सर सियासत की लपटें उठती रही हैं राहुल गांधी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में महाराष्ट्र चुनाव को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि पूरे चुनावी सिस्टम में ‘फिक्सिंग’ हो रही है, जिसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है। राहुल गांधी के इस बयान ने न सिर्फ महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया है, बल्कि केंद्र की सत्ता में बैठी बीजेपी को एक बार फिर अपने सबसे तीखे प्रतिद्वंद्वी पर हमला करने का मौका भी दे दिया है।

नाटक नहीं, सच्चाई चाहिए: बीजेपी का पलटवार

राहुल गांधी के इन आरोपों का जवाब सबसे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिया। उन्होंने राहुल गांधी के पूरे बयान को ‘हताशा की स्क्रिप्ट’ करार देते हुए कहा कि “लोकतंत्र को नाटक की नहीं, सच्चाई की जरूरत है।” जेपी नड्डा ने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेता अपनी लगातार हो रही चुनावी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और जनता की स्पष्ट राय को ‘फिक्सिंग’ का नाम देकर लोकतांत्रिक संस्थाओं की छवि खराब कर रहे हैं। जेपी नड्डा का कहना था कि यह कोई पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी हार के बाद ऐसे आरोप लगा रहे हों। “हर चुनाव के बाद, बिना सबूत, बिना तथ्यों के, वो चुनाव आयोग से लेकर ईवीएम तक को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। जब हारते हैं तो सिस्टम दोषी, जब जीतते हैं तो सब ठीक।”

फडणवीस का करारा जवाब: ‘तथ्य पढ़िए राहुल जी’

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधा। नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी केवल हवा में तीर चलाते हैं। जब तक वो जमीन पर नहीं उतरेंगे, लोगों से नहीं जुड़ेंगे और सच्चाई को नहीं समझेंगे, तब तक कांग्रेस जीत का सपना देखती रहेगी।” फडणवीस ने राहुल के बयान को “झूठ की नई किस्त” बताया और कहा कि अगर सचमुच कोई साजिश या गड़बड़ी होती, तो क्या कांग्रेस की जीत कभी संभव होती? उन्होंने राहुल गांधी पर यह भी आरोप लगाया कि उन्हें पहले से यह अंदेशा है कि बिहार जैसे राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर है, इसलिए अब वो महाराष्ट्र का सहारा लेकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

धर्मेंद्र प्रधान की खरी-खरी: ‘फिक्सिंग’ के असली उस्ताद तो खुद कांग्रेसी हैं

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “नेता प्रतिपक्ष का काम है विपक्ष की भूमिका निभाना, लेकिन वह हर बार चुनाव हारने के बाद देश के लोकतंत्र को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं। यह केवल हताशा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर अविश्वास का खतनाक संकेत है।” प्रधान ने इतिहास की याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस ने ही अपने फायदे के लिए चुनाव आयोग को 'पॉलिटिकल टूल' की तरह इस्तेमाल किया था। “टीएन शेषन और एमएस गिल जैसे दो पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों को कांग्रेस में शामिल कर उन्हें राज्यसभा और मंत्रालयों में जगह दी गई। क्या यह लोकतंत्र की मर्यादा का उल्लंघन नहीं था?” उन्होंने कहा कि यह वही कांग्रेस है जिसने हार के डर से देश पर आपातकाल थोप दिया था। “आज जब जनता उन्हें बार-बार नकार रही है, तब राहुल गांधी देश को फिर से वही 1975 वाला अधिनायकवाद दिखाना चाहते हैं।”

कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है?

राहुल गांधी का यह बयान भले ही महाराष्ट्र चुनाव की ‘बिसात’ पर रखा गया हो, लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने उसके जवाब में ‘इतिहास से लेकर वर्तमान’ तक की सारी परतें खोल डालीं, उससे कांग्रेस की स्थिति और असहज होती दिख रही है। जनता में यह सवाल भी उठ रहा है कि बार-बार चुनाव हारने के बाद अगर हर बार ‘सिस्टम को दोष देना’ ही रणनीति है, तो फिर कांग्रेस अपनी हार की असली वजह कब स्वीकार करेगी?

क्या राहुल गांधी के आरोप से कोई असर होगा?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राहुल गांधी की यह रणनीति "पीड़ित कार्ड" खेलने की कोशिश है। इससे वो अपने समर्थकों में यह संदेश देना चाहते हैं कि "हम हार नहीं रहे, बल्कि हरवाए जा रहे हैं"। लेकिन यह दांव तभी असर करेगा जब इसके साथ ठोस सबूत होंगे। केवल भावनात्मक भाषणों और सोशल मीडिया पोस्ट से भारतीय मतदाता अब प्रभावित नहीं होता, खासकर तब जब उसने बार-बार इन्हीं चुनावी संस्थानों पर विश्वास जताया हो।

लोकतंत्र को चाहिए सजगता, साजिश नहीं

महाराष्ट्र चुनाव की जंग अब सिर्फ विकास बनाम भ्रष्टाचार या हिंदुत्व बनाम धर्मनिरपेक्षता जैसी बहसों तक सीमित नहीं रही। अब यह ‘लोकतंत्र बनाम फिक्सिंग के आरोप’ की दिशा में मुड़ चुकी है। राहुल गांधी के बयान ने भले कांग्रेस समर्थकों को कुछ क्षणिक राहत दी हो, लेकिन बीजेपी ने जिस आक्रामक अंदाज में पलटवार किया है, वह यह संकेत देता है कि इस बार की लड़ाई सिर्फ सीटों की नहीं, बल्कि साख की भी है। राहुल गांधी यदि वाकई किसी साजिश का खुलासा करना चाहते हैं, तो उन्हें सिर्फ बयानबाजी से ऊपर उठकर ठोस सबूतों के साथ आना होगा। वरना, जैसे जेपी नड्डा ने कहा "लोकतंत्र को नाटक की नहीं, सच्चाई की जरूरत है!"

भारत की सियासत में एक बार फिर 'चुनाव' बहस का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। लेकिन इस बार मसला सिर्फ वोटों का नहीं, बल्कि चुनाव की पवित्रता पर उठते सवालों का है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, बयानबाजी की आग तेज होती जा रही है। पर इस बार चिंगारी ऐसी जगह से उठी है जहां से अक्सर सियासत की लपटें उठती रही हैं राहुल गांधी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में महाराष्ट्र चुनाव को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि पूरे चुनावी सिस्टम में ‘फिक्सिंग’ हो रही है, जिसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है। राहुल गांधी के इस बयान ने न सिर्फ महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया है, बल्कि केंद्र की सत्ता में बैठी बीजेपी को एक बार फिर अपने सबसे तीखे प्रतिद्वंद्वी पर हमला करने का मौका भी दे दिया है।

नाटक नहीं, सच्चाई चाहिए: बीजेपी का पलटवार

राहुल गांधी के इन आरोपों का जवाब सबसे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिया। उन्होंने राहुल गांधी के पूरे बयान को ‘हताशा की स्क्रिप्ट’ करार देते हुए कहा कि “लोकतंत्र को नाटक की नहीं, सच्चाई की जरूरत है।” जेपी नड्डा ने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेता अपनी लगातार हो रही चुनावी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और जनता की स्पष्ट राय को ‘फिक्सिंग’ का नाम देकर लोकतांत्रिक संस्थाओं की छवि खराब कर रहे हैं। जेपी नड्डा का कहना था कि यह कोई पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी हार के बाद ऐसे आरोप लगा रहे हों। “हर चुनाव के बाद, बिना सबूत, बिना तथ्यों के, वो चुनाव आयोग से लेकर ईवीएम तक को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। जब हारते हैं तो सिस्टम दोषी, जब जीतते हैं तो सब ठीक।”

फडणवीस का करारा जवाब: ‘तथ्य पढ़िए राहुल जी’

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधा। नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी केवल हवा में तीर चलाते हैं। जब तक वो जमीन पर नहीं उतरेंगे, लोगों से नहीं जुड़ेंगे और सच्चाई को नहीं समझेंगे, तब तक कांग्रेस जीत का सपना देखती रहेगी।” फडणवीस ने राहुल के बयान को “झूठ की नई किस्त” बताया और कहा कि अगर सचमुच कोई साजिश या गड़बड़ी होती, तो क्या कांग्रेस की जीत कभी संभव होती? उन्होंने राहुल गांधी पर यह भी आरोप लगाया कि उन्हें पहले से यह अंदेशा है कि बिहार जैसे राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर है, इसलिए अब वो महाराष्ट्र का सहारा लेकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

धर्मेंद्र प्रधान की खरी-खरी: ‘फिक्सिंग’ के असली उस्ताद तो खुद कांग्रेसी हैं

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “नेता प्रतिपक्ष का काम है विपक्ष की भूमिका निभाना, लेकिन वह हर बार चुनाव हारने के बाद देश के लोकतंत्र को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं। यह केवल हताशा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर अविश्वास का खतनाक संकेत है।” प्रधान ने इतिहास की याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस ने ही अपने फायदे के लिए चुनाव आयोग को 'पॉलिटिकल टूल' की तरह इस्तेमाल किया था। “टीएन शेषन और एमएस गिल जैसे दो पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों को कांग्रेस में शामिल कर उन्हें राज्यसभा और मंत्रालयों में जगह दी गई। क्या यह लोकतंत्र की मर्यादा का उल्लंघन नहीं था?” उन्होंने कहा कि यह वही कांग्रेस है जिसने हार के डर से देश पर आपातकाल थोप दिया था। “आज जब जनता उन्हें बार-बार नकार रही है, तब राहुल गांधी देश को फिर से वही 1975 वाला अधिनायकवाद दिखाना चाहते हैं।”

कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है?

राहुल गांधी का यह बयान भले ही महाराष्ट्र चुनाव की ‘बिसात’ पर रखा गया हो, लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने उसके जवाब में ‘इतिहास से लेकर वर्तमान’ तक की सारी परतें खोल डालीं, उससे कांग्रेस की स्थिति और असहज होती दिख रही है। जनता में यह सवाल भी उठ रहा है कि बार-बार चुनाव हारने के बाद अगर हर बार ‘सिस्टम को दोष देना’ ही रणनीति है, तो फिर कांग्रेस अपनी हार की असली वजह कब स्वीकार करेगी?

क्या राहुल गांधी के आरोप से कोई असर होगा?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राहुल गांधी की यह रणनीति "पीड़ित कार्ड" खेलने की कोशिश है। इससे वो अपने समर्थकों में यह संदेश देना चाहते हैं कि "हम हार नहीं रहे, बल्कि हरवाए जा रहे हैं"। लेकिन यह दांव तभी असर करेगा जब इसके साथ ठोस सबूत होंगे। केवल भावनात्मक भाषणों और सोशल मीडिया पोस्ट से भारतीय मतदाता अब प्रभावित नहीं होता, खासकर तब जब उसने बार-बार इन्हीं चुनावी संस्थानों पर विश्वास जताया हो।

लोकतंत्र को चाहिए सजगता, साजिश नहीं

महाराष्ट्र चुनाव की जंग अब सिर्फ विकास बनाम भ्रष्टाचार या हिंदुत्व बनाम धर्मनिरपेक्षता जैसी बहसों तक सीमित नहीं रही। अब यह ‘लोकतंत्र बनाम फिक्सिंग के आरोप’ की दिशा में मुड़ चुकी है। राहुल गांधी के बयान ने भले कांग्रेस समर्थकों को कुछ क्षणिक राहत दी हो, लेकिन बीजेपी ने जिस आक्रामक अंदाज में पलटवार किया है, वह यह संकेत देता है कि इस बार की लड़ाई सिर्फ सीटों की नहीं, बल्कि साख की भी है। राहुल गांधी यदि वाकई किसी साजिश का खुलासा करना चाहते हैं, तो उन्हें सिर्फ बयानबाजी से ऊपर उठकर ठोस सबूतों के साथ आना होगा। वरना, जैसे जेपी नड्डा ने कहा "लोकतंत्र को नाटक की नहीं, सच्चाई की जरूरत है!"

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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