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Blackout In Amritsar: 54 साल में पहली बार रातों-रात ब्लैकआउट हुआ स्वर्ण मंदिर! भारत-पाक तनाव के बीच ऐसा क्या हुआ?
Blackout In Amritsar: 54 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि स्वर्ण मंदिर अंधकार में डूब गया। दरअसल 7 मई की रात भारत पाकिस्तान के संघर्ष के दौरान ब्लैकआउट किया गया।
Blackout In Amritsar (Image Credit-Social Media)
Blackout In Amritsar: 7 मई की रात अमृतसर की हवा में कुछ अजीब सा था। शहर की रौशनियाँ धीरे-धीरे बुझने लगीं और कुछ ही पलों में स्वर्ण मंदिर अंधकार में डूब गया। श्रद्धालु सन्न रह गए, निगाहें एक-दूसरे से सवाल कर रही थीं — क्या हुआ है? क्या कोई खतरा है? 54 सालों बाद पहली बार फिर से इतिहास खुद को दोहराने लगा था... लेकिन इस बार वजह कुछ और थी।
भारत-पाक संघर्ष के दौरान सरकार कड़ी निगरानी और सुरक्षा के लिए वो हर संभव प्रयास कर रही जिससे देश के किसी भी नागरिक को एक खरोच ना आये। हाल ही में अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर (हरिमंदिर साहिब) में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा एक मॉक ड्रिल (Mock Drill) अभ्यास किया गया। इस अभ्यास के तहत पूरे परिसर में ब्लैकआउट (बिजली बंद) कर दिया गया था, जिससे कि आपातकालीन परिस्थितियों (emergency termination) में सुरक्षा तैयारियों की सही तरीके से जांच की जा सके। यह अभ्यास 7 मई, 2025 की रात 10:30 से 11:00 बजे के बीच हुई, जब भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल के तहत ब्लैकआउट लागू किया गया।
मॉक ड्रिल क्या होती है
मॉक ड्रिल एक प्रकार का पूर्व नियोजित अभ्यास (pre-planned practice) होता है, जिसमें किसी आपात स्थिति (emergency situation) जैसे आतंकी हमला, आग लगना, बम विस्फोट की योजना या अन्य खतरे की कल्पना कर के सुरक्षाकर्मियों और आपातकालीन सेवाओं की प्रतिक्रिया की जाँच की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वास्तविक स्थिति में सुरक्षा बल त्वरित और समन्वित (quick and coordinated) तरीके से कार्य कर सकें।
स्वर्ण मंदिर में क्यों हुई मॉक ड्रिल
स्वर्ण मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह एक अत्यधिक संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल स्थल भी है। यहाँ पर देश-विदेश से प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते रहते हैं। इससे पहले भी यह स्थल आतंकवादी घटनाओं का निशाना बन चुका है जैसे कि ऑपरेशन ब्लू स्टार (operation blue star)। जो साल 1984 में 1 जून से 6 जून के बीच भारतीय सशस्त्र बलों ने चलाया था। ऑपरेशन ब्लू स्टार का उद्देश्य सिख धर्म के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में उस वक़्त डेरा डाले हुए जरनैल सिंह भिंडरांवाले और अन्य उग्रवादी सिखों को हटाना थ। इसी वहज से NSG (National Security Guard), पंजाब पुलिस, CRPF (Central Reserve Police Force) और अन्य एजेंसियां समय-समय पर मॉक ड्रिल अभ्यास करती हैं।
इस बार के मॉक ड्रिल अभ्यास में ब्लैकआउट करके यह पता किया गया कि बिजली गुल होने की स्थिति में सुरक्षा बल किस तरह से रात के अंधेरे में ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। इस अभ्यास में स्नाइपर्स, नाइट विजन कैमरे और ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया।
स्वर्ण मंदिर का इतिहास, महत्व और विशेषताएँ:
स्थापना और प्रारंभिक विकास- अमृतसर में स्वर्ण मंदिर, जो हरिमंदिर साहिब या दरबार साहिब के नाम से भी मशहूर है। यह मंदिर सिख धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है। 1577 में गुरु राम दास जी (सिखों के चौथे गुरु) ने इस मंदिर की नींव रखी थी, जिन्होंने अमृत सरोवर (पवित्र जलकुंड) की खुदाई शुरू की। इस मंदिर का निर्माण गुरु अर्जन देव जी (पाँचवें गुरु) ने 1604 में पूरा किया। उसी साल उन्होंने आदि ग्रंथ (अब गुरु ग्रंथ साहिब) को मंदिर में स्थापित किया, जिससे यह सिखों का सबसे पवित्र और आध्यात्मिक केंद्र बन गया ।
स्थापत्य और वास्तुकला का संगम - स्वर्ण मंदिर की वास्तुकला सिख, मुगल और राजपूत शैलियों का बेहद खूबसूरत संगम है। यह मंदिर एक कृत्रिम सरोवर (artificial lake) के बीच स्थित है, जो शांति से परिपूर्ण, आध्यात्मिक भाव और ध्यान के लिए आदर्श स्थान के रूप में जाना जाता है। मंदिर की चारों दिशाओं में प्रवेशद्वार हैं, जो सिख धर्म में समानता और सभी के लिए खुले विचारों का प्रतीक हैं।
ऐतिहासिक संघर्ष और मंदिर का पुनर्निर्माण- स्वर्ण मंदिर ने अपने इतिहास में कई बार दुश्मनों का निशाना बना है। 18वीं शताब्दी में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली ने मंदिर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था, बाद में सिख समुदाय ने मंदिर का पुनर्निर्मित किया। 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर को संगमरमर और तांबे से सजवाया और 1830 में इसपर सोने की चादर डाली जिसके बाद इस मंदिर को "स्वर्ण मंदिर" (Golden Temple) के नाम से जाना जाने लगा।
सामाजिक और धार्मिक महत्व - आज स्वर्ण मंदिर न सिर्फ सिखों के लिए बल्कि सभी धर्मों के लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ एक धार्मिक स्थान है। यहाँ स्थित लंगर (सामूहिक रसोई) में हर दिन हजारों लोगों को नि:शुल्क भोजन कराया जाता है, जो सिख धर्म में सेवा और समानता के सिद्धांतों का सन्देश देता है।
2025 का ब्लैकआउट
7 मई, 2025 को, भारत सरकार ने नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल के तहत देशभर में ब्लैकआउट का आह्वान किया। इस अभ्यास का उद्देश्य संभावित हवाई हमलों के दौरान नागरिकों और आवश्यक स्थलों की कड़ी से कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करना था। स्वर्ण मंदिर परिसर में भी इस आदेश का पालन करते हुए एक निश्चित समय के लिए ब्लैकआउट (बिजली बंद) किया गया था।
हालांकि, धार्मिक मर्यादा का पालन करते हुए सिख आचार संहिता 'रहत मर्यादा' के मुताबिक, जहाँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब का 'प्रकाश' (स्थापना) किया गया था, उन स्थानों पर मॉक ड्रिल अभ्यास के दौरान मंद रोशनी रखी गई। इसके अलावा, जहाँ अखंड पाठ (निरंतर पाठ) किया जा रहा था उन स्थानों को पहले से ही ढक दिया गया था, जिससे बाहर से किसी भी प्रकार रोशनी ना दिखे।
ये थी इतिहास की पुनरावृत्ति
स्वर्ण मंदिर, अपनी आस्था, आध्यात्मिकता, सेवा और समानता के सिद्धांतों के साथ आज भी न सिर्फ सिख समुदाय बल्कि पूरे देशभर के लोगों के लिए प्रेरणा का प्रतीक है। स्वर्ण मंदिर का ब्लैकआउट मात्र एक सुरक्षा अभ्यास नहीं था बल्कि यह इतिहास की पुनरावृत्ति भी थी। इससे पहले साल 1965 और 1971 में युद्ध के दौरान मंदिर की बिजली बंद की गई थी। आज यह घटना हमें याद दिलाती है कि कैसे धार्मिक स्थलों को भी समय-समय पर देश की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करने पड़ते हैं। स्वर्ण मंदिर में मॉक ड्रिल का उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारी को पुनः जांचना और मजबूत करना होता है। यह अभ्यास जनता में डर पैदा करने के लिए नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा की कड़ी जांच के लिए किया जाता है।
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