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बोगीबील ब्रिज: चीन के 11 पुल के बराबर भारत का ये एक पुल, खासियतें जानकर कहेंगे 'WOW'
बोगीबील एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल-रोड ब्रिज है। पुल का जीवनकाल 120 साल बताया गया है। पुल को बनाने में 30 लाख सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल किया गया। इतनी सीमेंट से 41 ओलिंपिक स्वीमिंग पूल बनाए जा सकते हैं।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के सबसे बड़े रेल-रोड ब्रिज बोगीबील का उद्घाटन किया। यह पुल असम के डिब्रूगढ़ में बनाया गया है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट को जोड़ेगा। पुल की लंबाई 4.94 किमी है। 1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने पुल का शिलान्यास किया था।
हालांकि, 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसका निर्माण शुरू किया। पुल के पूरा होने में 5920 करोड़ रुपए की लागत आई। इस पुल से पहली मालगाड़ी 3 दिसंबर को गुजरी। बोगीबील पुल को अरुणाचल से सटी चीनसीमा तक विकास परियोजना के तहत बनाया गया है। यहां हम आपको इस ब्रिज से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं।
डिब्रूगढ़ से धेमाजी को जोड़ेगा
बोगीबील पुल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना बताया जा रहा है। यह असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल के धेमाजी जिले को जोड़ेगा। इससे असम से अरुणाचल प्रदेश जाने में लगने वाला वक्त 10 घंटे कम हो जाएगा। पुल बनने से डिब्रूगढ़-धेमाजी के बीच की दूरी 500 किमी से घटकर 100 किमी रह जाएगी।
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सबसे बड़ी दिक्कत बारिश
नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ प्रणब ज्योति सरमा के मुताबिक- "ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल बनाना चुनौतीपूर्ण था। इस इलाके में बारिश ज्यादा होती है। सीस्मिक जोन में होने के चलते यहां भूकंप का खतरा भी होता है। पुल कई लिहाज से खास है।''
सेना के टैंक भी निकल सकेंगे
रेलवे द्वारा निर्मित इस डबल-डेकर पुल से ट्रेन और गाड़ियां दोनों गुजर सकेंगी। ऊपरी तल पर तीन लेन की सड़क बनाई गई है। नीचे वाले तल (लोअर डेक) पर दो ट्रैक बनाए गए हैं। पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि इससे मिलिट्री टैंक भी निकल सकेंगे।
35400 मीट्रिक टन इस्पात
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगिबील सड़क और रेल पुल के निर्माण के लिए लगभग 35400 मीट्रिक टन इस्पात की आपूर्ति की है। इस्पाुत की यह मात्रा इस पुल के लिए आपूर्ति की जाने वाली इस्पाैत की कुल मात्रा के 50 प्रतिशत से अधिक है।
120 साल तक कुछ नहीं बिगड़ेगा
सेल ने इस 4.94 किमी. लंबे इस पुल के लिए टीएमटी रिबारों, प्लेट्स और स्ट्रक्चरल की भी आपूर्ति की है, जो पुल के ढांचे में मिश्रित वेल्डेड स्टील ट्रस गर्डर्स हैं। इससे पहले, सेल ने भारत के सबसे लंबे पुल ढोला-सादियाब्रिज के निर्माण के लिए 90 प्रतिशत इस्पा त की आपूर्ति की थी। ब्रह्मपुत्र नदी पर बना यह पुल 4.9 किमी लंबा है जो एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल और सड़क पुल है। इसकी सेवा अवधि 120 वर्ष है।
कितना खर्च आया?
4.94 किलोमीटर लंबे इस ब्रिज को बनाने पर कुल 5,900 करोड़ रुपए खर्च आया। इसके शुरू होने से असम और अरुणाचल के बीच सफर 4 घंटे कम हो जाएगा। इतना ही नहीं दिल्ली से असम के डिब्रूगढ़ तक लगने वाला वक्त भी 3 घंटे कम हो जाएगा।
डबल डेकर ब्रिज
यह डबल डेकर ब्रिज है और दुनिया में इस तरह के पुल काफी कम हैं। ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाला यह चौथा ब्रिज है। इसके निचले हिस्से में दो रेलवे लाइन हैं।
इंजीनियरों का सेना और देश को तोहफा
इस ब्रिज का सबसे बड़ा फायदा तो चीन सीमा पर तैनात हमारी सेना को होगा। अरुणाचल से चीन की 4 हजार किलोमीटर लंबी सीमा लगी हुई है। इस ब्रिज के तैयार होने से सेना अपने टैंक तक आसानी से तैनाती के लिए ले जा सकेगी। इतना ही नहीं रसद और दूसरे सैन्य सामानों के परिवहन में होने वाली दिक्कतें कम होंगी। हवाई मार्ग पर होने वाला खर्च बच सकेगा।
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ब्रिज की डिजाइन में परिवर्तन
जब इस ब्रिज का निर्माण कार्य आरंभ हुआ था तब जरूरतें और तकनीक दूसरे तरह की थीं। बदलते वक्त को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसके डिजाइन और इसमें इस्तेमाल होने वाले मटैरियल को ज्यादा बेहतर और भविष्य की जरूरतों के हिसाब से बनाया।
तीन गुना बढ़ गई कीमत
पुल के डिजाइन और कुछ दूसरी चीजों में लगातार हुए परिवर्तन की वजह से इसकी लागत तीन गुना बढ़ गई। 1997 में जब इसकी रूपरेखा तैयार की गई थी तब अनुमानित लागत 1,767 करोड़ रुपए थी। आज यह बढ़कर 5,900 करोड़ रुपए हो गई है।
ये है इस पुल की खासियतें
-पुल के निर्माण में 80 हजार टन स्टील प्लेटों का इस्तेमाल हुआ। देश का पहला फुल्ली वेल्डेड पुल जिसमें यूरोपियन मानकों का पालन हुआ है।
-हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन ने मैग्नेटिक पार्टिकल टेस्टिंग, ड्राई पेनिट्रेशन टेस्टिंग तथा अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग जैसी आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल किया।
-बीम बनाने के लिए इटली से विशेष मशीन मंगाई गई। चीन के 11 पुल के बराबर है। बीम को पिलर पर चढ़ाने के लिए 1000 टन के हाइड्रॉलिक और स्ट्रैंड जैक का इस्तेमाल किया गया। पुल के 120 साल चलने की आशा है।
-बोगीबील एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल-रोड ब्रिज है। पुल का जीवनकाल 120 साल बताया गया है। पुल को बनाने में 30 लाख सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल किया गया। इतनी सीमेंट से 41 ओलिंपिक स्वीमिंग पूल बनाए जा सकते हैं। वहीं, पुल को बनाने में 12 हजार 250 मीटर लोहे (माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से दोगुने) का इस्तेमाल किया गया।
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