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Gomti Riverfront Scam: गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आलोक रंजन और दीपक सिंघल पर सीबीआई का शिकंजा, जानें पूरा मामला

Gomti Riverfront Scam: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले ( Gomti riverfront scam) में अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा मामले की जांच तेज कर दी गई है।

Jugul Kishor
Published on: 2 May 2023 4:30 PM IST (Updated on: 2 May 2023 4:36 PM IST)
Gomti Riverfront Scam: गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आलोक रंजन और दीपक सिंघल पर सीबीआई का शिकंजा, जानें पूरा मामला
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Gomti Riverfront Scam ( Social Media)

Gomti Riverfront Scam: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले ( Gomti riverfront scam) में अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा मामले की जांच तेज कर दी गई है। पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, दीपक सिंघल पर सीबीआई शिकंजा कसने जा रही है। सीबीआई ने दोनों पूर्व मुख्य सचिवों से पूछताछ के लिए अनुमति मांगी है। सीबीआई ने जांच को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पूर्व मुख्य सचिवों से पूछताछ की अनुमति मांगी है।

30 नवंबर 2017 को दर्ज हुई थी पहली एफआईआर

बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार में गोमती रिवर फ्रंट का काम हुआ था। उस समय आलोक रंजन मुख्य सचिव और दीपक सिंघल प्रमुख सचिव के पद पर तैनात थे। इन दोनों अधिकारियों पर गोमती रिवर फ्रंट में गड़बड़ी करने का आरोप है। यह पूरा घोटाला 1428 करोड़ रुपयों का बताया जा रहा है। 2017 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद योगी आदित्याथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, इसके बाद गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच शुरू हुई। इस पूरे मामले में सीबीआई ने 30 नवंबर 2017 को पहली एफआईआर दर्ज की थी।

घोटाले अधिकारियों की भूमिका के बारे में होगी पूछताछ

सीबीआई अब इस पूरे मामले में यह पता लगाना चाहती है कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, दीपक सिंघल की क्या भूमिका है। इन दोनों अधिकारियों ने शर्तों में बदलाव के लिए कोई आदेश तो नहीं दिया। इसके अलावा यह भी पता लगाया जाएगा, कि उस समय सिंचाई मंत्री रहे शिवपाल यादव की इस पूरे घोटाले में क्या भूमिका है। क्योंकि सीबीआई अब पूरी जांच की रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है। सीबीआई का कहना है कि दोनों अफसरों से बिना पूछताछ किए जांच पूरी नहीं हो सकती है।

गोमती रिवर फ्रंट में धन की जमकर हुई बंदरबांट

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गोमती रिवर फ्रंट सुंदरीकरण योजना में जमकर पैसों की बंदरबांट हुई। करीब 500 करोड़ की इस परियोजना को पहले बढ़ाकर 1000 करोड़ और फिर इसे 1427 करोड़ रुपए किया गया। अधिकारियों ने 2017 से पहले ही 1427.84 करोड़ रुपयों को खर्च कर दिया गया। लेकिन काम कोई नहीं दिखाई दिया। इंजीनियरों ने जिसको चाहा उसको ठेका दिया और टेंडर प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया गया।

सीबीआई ने एलडीए की अधिकारियो से 8 घंटे की पूछताछ

सीबीआई ने सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल बिल्डर की ओर से कब्जाई गई जमीन की भी जांच शुरू कर दी है। सोमवार (1 मई) को सीबीआई ने एलडीए के तीन अधिकारियों से लगभग 8 घंटे पूछताछ की। सीबीआई ने एलडीए से अंसल बिल्डर की टाउनशिप के लाइसेंस और नक्शों से संबंधित सभी दस्तावेज भी कब्जे में ले लिए हैं। बीते दिनों हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग की भूमि आवंटन मामले की प्रार्ंभिक जांच के आदेश दिए थे। क्योंकि अंसल एपीआई ने सिंचाई विभाग के नहर की जमीन कब्जा कर प्लाटिंग कर दी है। लोगों को प्लाट आवंटित करने के साथ ही कुछ में पार्क तो कुछ में सड़क भी बना दी है।

क्या है गोमती रिवरफ्रंट घोटाला?

रिवरफ्रंट घोटाला समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ था। गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के लिए समाजवादी पार्टी की सरकार ने साल 2014-15 में 1513 करोड़ रुपये स्वीकृति दी थी। इसके बाद समाजवादी पार्टी की सरकार में ही 1427 करोड़ रुपए जारी कर दिया गया था। स्वीकृत बजट का 95 फ़ीसदी राशि जारी होने के बावजूद भी 60% से कम काम हो पाया था। न्यायिक जांच में भ्रष्टाचार सामने आया। परियोजना के लिए आवंटित की गई राशि राशि को इंजीनियरों और अधिकारियों ने जमकर लूटा था।



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Jugul Kishor

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