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लोकसभा चुनाव में दक्षिण में बीजेपी का खेल खराब कर सकते हैं चन्द्रबाबू नायडु
भारत के दक्षिण राज्यों से बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही है। तमिलनाडु में रजनीकांत और कमलहासन के राजनीति में उतरने ओर अपनी पार्टी बनाने की घोषणा के बाद एआईडीएमके के साथ उसकी तामलेल की कोशिशें गड़बड़ा गई है। वहीँ महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद अब एनडीए का एक और घटक दल तेलगु देशम पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ सकती है।
लखनऊ: भारत के दक्षिण राज्यों से बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही है। तमिलनाडु में रजनीकांत और कमलहासन के राजनीति में उतरने ओर अपनी पार्टी बनाने की घोषणा के बाद एआईडीएमके के साथ उसकी तामलेल की कोशिशें गड़बड़ा गई है। वहीँ महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद अब एनडीए का एक और घटक दल तेलगु देशम पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ सकती है।
बजट पर टीडीपी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे आंध्र प्रदेश की जनता के साथ धोखा बताया है और साथ ही बजट को जनविरोधी और कारोबारियों के लिए हितकारी करार दिया है। टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष सहायता देने पर केंद्र के ढीले रुख से भी बुरी तरह नाराज है।
आंध्र प्रदेश के सीएम और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू इस बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं और उन्होंने 4 फरवरी रविवार को पार्टी सांसदों को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए भी बुलाया है। पार्टी के पास लोकसभा में 16 सांसद और राज्यसभा में 6 सांसद हैं।
राजनीतिक हलकों में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा रहा है कि नायडू अन्य राजनीतिक विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं। पार्टी जनता से भी इस बारे में राय ले रही है कि उसे 2019 तक बीजेपी के साथ रहना चाहिए या फिर अलग होकर चुनाव लड़ना चाहिए।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को आंध्र में दो प्रतिशत वोट मिले थे जो अगले चुनाव में बढ़कर 6 प्रतिशत तक जा सकता है। ऐसे में पार्टी को अलग होने से पहले होने वाले इस नुकसान की भरपाई के लिए योजना बनानी होगी।
चन्द्रबाबू ,बीजेपी की जगन रेड्डी से बढ रही नजदीकियों से भी नाराज हैं । पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि नायडू नाराज हैं और उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर अपनी आपत्ति दर्ज भी कराई थी, लेकिन उसका ज्यादा असर पड़ा नहीं, अब अगर पीएम दखल दें तो मुद्दा सुलझ सकता है।
टीडीपी के एक अन्य नेता ने कहा कि अब कुछ ही विकल्प बचे हैं, उनमें से एक है कि हम बीजेपी को बताएं कि अगर हमारी मांग नहीं मानी जाती हैं तो टी़डीपी कैबिनेट से अपने मंत्रियों को वापस बुला लेगी। बताया जा रहा है कि नायडू राज्य के लिए उचित आर्थिक मदद और तेलंगाना के गठन के बाद लंबित पड़ी योजनाओं की मंजूरी में देरी से नाराज हैं। हैदराबाद के तेलंगाना में जाने के बाद आंध्र राजस्व की भारी दिक्कतों से जूझ रहा है।
केंद्र सरकार में टीडीपी कोटे से एक मंत्री ने कहा कि 8 अगस्त 2016 की मध्य रात्रि को चर्चा के बाद केंद्र ने आंध प्रदेश को विशेष पैकेज देने पर सहमति जताई थी, जिसके बाद टी़डीपी अलग राज्य की मांग को वापस लेने के लिए भी तैयार हो गई थी, लेकिन तब से राज्य को पैकेज का एक पैसा भी नहीं मिला है। टीडीपी का कहना है कि विशाखापत्तनम को जोनल रेलवे बनाने, कडप्पा स्टील प्लांट को मंजूरी जैसी कई अन्य ऐसी मांग हैं जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
टीडीपी पिछले कुछ महीनों से लगातार अपनी सहयोगी बीजेपी को निशाना बना रही है। इस बीच वाईएसआर कांग्रेस के चीफ वाई एस जगन मोहन रेड्डी भी इस मौके को भुनाने में जुटे हैं। जगन पहले ही जाहिर कर चुके हैं कि अगर केंद्र आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दे तो वो एनडीए में शामिल होने के लिए तैयार हैं। उनकी बीजेपी से नजदीकी लगातार बढ रही है लेकिन उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
टीडीपी के अनुसार बीजेपी अगर वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को तैयार हो जाती है तो नायडू के पास अन्य योजना है । इसके तहत टीडीपी छोटे लेकिन प्रचलित दल जन सेना के साथ गठबंधन कर सकती है, जो कि बीजेपी की जगह टीडीपी के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होगा।
गठबंधन में दरार बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं है। दक्षिण में अपनी पहुंच बढ़ाने की जुगत में लगी बीजेपी तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र में स्थानीय सहयोगियों के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। दूसरा अगर बीजेपी इस वक्त टीडीपी का साथ छोड़ वाईएसआर कांग्रेस से हाथ मिलाती है तो इससे गलत संदेश जा सकता है, क्योंकि वाईएसआर प्रमुख जगन पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं।
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