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मनी लांड्रिंग के बाद अब NRI से 23 करोड़ की ठगी के मामले में फंसे हिमांचल प्रदेश के CM
मनी लांड्रिंग मामले में फंसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एक नया मामला उठने के बाद मुश्किल में फंस गए हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अरुण धूमल
शिमला: मनी लांड्रिंग मामले में फंसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एक नया मामला उठने के बाद मुश्किल में फंस गए हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अरुण धूमल ने उनके खिलाफ एक और सनसनीखेज मामला उठाया है।
उन्होंने सीएम पर सोलन के कंडाघाट में साढ़े तीन करोड़ की जमीन का धोखे से 23 करोड़ में सौदा करने का आरोप लगाया है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि कंडाघाट में मेडिकल कॉलेज खोलने के नाम पर एक एनआरआई से करोड़ों की ठगी की गई है।
ठगी का शिकार व्यक्ति फ्लोरिडा का
हमीरपुर में एक पत्रकार वार्ता में धूमल ने आरोप लगाया कि जिस व्यक्ति के खिलाफ फरीदाबाद थाना में केस दर्ज हुआ है, उसने शिकायतकर्ता को मुख्यमंत्री के साथ अच्छे संबंधों का हवाला दिया है। वैसे यह मामला दो साल पुराना है।
धूमल के मुताबिक फ्लोरिडा के रहने वाले सुरेंद्र सिंह बेदी ने धोखाधड़ी के मामले की सोलन और फरीदाबाद पुलिस में शिकायत करनी चाही, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते यह मामला दोनों जगहों पर दर्ज नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में अर्जी देकर वर्ष 2016 में मामला दर्ज करवाया।
फ्लोरिडा के एनआरआई से हुई धोखाधड़ी में जिस जमीन का सौदा 3.5 करोड़ में हो चुका था, उस जमीन को धारा 118 के अंतर्गत अनुमति दिलाने के बदले और मुख्यमंत्री से संबंधों के नाते इस एनआरआई को 23 करोड़ का बताकर धोखा दिया गया।
मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग
धूमल ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी की संलिप्तता पूरी तरह स्पष्ट है। उन्होंने प्रधानमंत्री से मामले की सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने के बाद भी वीरभद्र सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ रहे हैं। इस बाबत कांग्रेस हाईकमान भी कुछ नहीं बोल रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के हाल के आदेश से साबित होता है कि वीरभद्र पर आरोप सही हैं। अदालत की ओर से जांच एजेंसियों को गिरफ्तारी की छूट दे दी गयी है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले सीबीआई ने प्रदेश के एक अधिकारी पर भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी की एफआईआर दर्ज की है। इसमें स्पष्ट है कि रिश्वत का पैसा मुख्यमंत्री के ओएसडी रघुवंशी को दिया जाना था।