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इंडिया में कमर्शियल सरोगेसी पर लगा बैन, कैबिनेट ने पास किया ड्राफ्ट बिल
नई दिल्ली: कैबिनेट ने बुधवार को सरोगेसी बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दी है। इसके लागू हो जाने के बाद भारत में कमर्शियल सरोगेसी पूरी तरह से बैन हो जाएगी। इस बात की जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने कहा, ''आजकल सरोगेसी एक व्यापार बन गया है। प्रसव पीड़ा से बचने के लिए कई औरतें सरोगेसी का सहारा ले रही हैं। भारत में यह फैशन सा बन गया है।
कैबिनेट के सरोगेसी ड्राफ्ट बिल को पास करने के बाद सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही सरोगेसी का अधिकार होगा। दंपति शादी के पांच साल बाद ही संतान सुख हासिल करने के लिए सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं।
सरोगेसी बिल पर और क्या बोलीं सुषमा ?
-सरोगेट मदर बनने के लिए महिला का शादीशुदा और एक स्वस्थ बच्चे की मां बनना जरूरी होगा।
-एक महिला अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही बार सरोगेट मदर बन सकती है।
-सरोगेसी क्लीनिक्स का रजिस्टर्ड होना जरूरी होगा। ऐसा न होने पर सजा और जुर्माना लगेगा।
-एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 2000 कमर्शियल क्लीनिक चल रहे हैं।
-कमर्शियल सरोगेसी को पूर्ण रूप से बैन करने के लिए यह बिल लाया गया है।
-स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में नेशनल सरोगेसी बोर्ड बनाया जाएगा।
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'कमर्शियल सरोगेसी के जरिए गरीब महिलाओं का शोषण'
-कमर्शियल सरोगेसी के जरिए गरीब महिलाओं को पैसा देकर खरीदा जा रहा है और उनका शोषण हो रहा है।
-सरोगेट चाइल्ड के लिए दंपति में से किसी एक का मेडिकल अनफिट होने का सर्टिफिकेट जरूरी होगा।
-कानूनी रूप से विवाहित दंपतियों को ही सरोगेसी का अधिकार होगा। वहीं, ऐसे दंपति जिनके अपने बच्चे हैं वो सरोगेसी का सहारा नहीं ले सकते।
-अगर किसी दंपति ने बच्चा गोद ले रखा है, तब भी उसे सरोगेसी का अधिकार नहीं होगा।
शाहरुख पर निशाना
सुषमा स्वराज ने इशारों में शाहरुख खान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पत्नी दर्द नहीं सह सकती इसलिए सेलीब्रिटीज सेरोगेसी का सहारा ले रहे हैं। पत्नी है, दो बच्चे पहले थे, एक बेटा और एक बेटी। फिर भी सरोगेसी का सहारा लिया।
सरोगेट चाइल्ड को होंगे सारे अधिकार
-सरोगेट चाइल्ड को सभी अधिकार होंगे जो बॉयोलॉजिकल चाइल्ड के पास होते हैं।
-बॉयोलॉजिकल चाइल्ड्स की ही तरह पालन-पोषण, शिक्षा, प्रॉपर्टी में हिस्सा, पासपोर्ट पर माता-पिता का नाम होगा।
-सरोगेसी का अधिकार एनआरआई और ओसीआई होल्डर के पास नहीं होगा।
-सिंगल पैरेंट्स, होमोसेक्सुअल कपल और लिव-इन में रहने वालों को भी इसकी इजाजत नहीं होगी।
बहुत बड़ा है भारत में इसका कारोबार
यूएन की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई, 2012 में भारत में सरोगेसी का बिजनेस 400 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा का था और यह कमाई भारत के अंदर और बाहर करीब तीन हजार से ज्यादा बने फर्टिलिटी क्लीनिक्स से होती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है सरोगेसी का कारोबार कितने बड़े पैमाने पर चल रहा है।
आउटसोर्सिंग दि वॉम्ब: रेस, क्लास एंड गेस्टेशनल सरोगेसी इन ए ग्लोबल मार्केट के ऑर्थर फ्रांस विंडडेंस टि्वन के मुताबिक, सरोगेसी की ग्लोबल डिमांड है। 160 मिलियन यूरोपियन सिटिजन्स संतान सुख पाने के लिए सरोगेसी का सहारा लेते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें सरोगेट मदर अपने देश में नहीं मिलती है। वहीं, भारत और थाईलैंड में सरोगेट मदर कुछ पैसे खर्च करके आसानी से मिल जाती हैं।
कई विदेशी एंजेसियां भारत में खोजती हैं सरोगेट मदर
साल 2012 में सरोगेसी से जुड़ा एक अध्यादेश पास किया गया था। इसके मुताबिक, सिंगल पेरेंट्स और सेम सेक्स वाले कपल्स को सरोगेसी का अधिकार नहीं होगा। इस पर बैन लगाया गया था, लेकिन इसके बावजूद भारत में और बाहर सरोगेट इंडस्ट्री पर कोई असर नहीं पड़ा। कई विदेशी सरोगेसी एजेंसी सरोगेट मदर के लिए भारत से संपर्क करती रहीं।
क्या होती है सरोगेसी?
सरोगेसी नि:संतान लोगों के लिए एक बेहतरीन चिकित्सा विकल्प है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब किसी स्त्री को या तो गर्भाशय का संक्रमण हो या फिर वह किसी अन्य कारण (जिसमें बांझपन भी शामिल है) से गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं होती है। जो महिला किसी और दंपति के बच्चे को अपनी कोख से जन्म देने को तैयार हो जाती है उसे ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है।
दो तरह की होती है सरोगेसी
सरोगेसी दो प्रकार की होती है- एक ट्रेडिशनल सरोगेसी और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी। ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को एक अन्य महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इसमें जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है, जबकि जेस्टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के अंडाणु और शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसमें बच्चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है।
भारत में सरोगेसी पर पाबंदी लगाने वाला कोई कानून नहीं है, जबकि ब्रिटेन और कुछ दूसरे देशों में सरोगेट मदर को मां का दर्जा मिलता है। फ्रांस, नीदरलैंड्स, नॉर्वे में कमर्शियल सरोगेसी की इजाजत नहीं है।