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दिल्ली हाईकोर्ट में दाइची फोर्टिस प्रमोटर मामले की सुनवाई 15 नवम्बर को

Shivakant Shukla
Published on: 13 Nov 2018 12:31 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट में दाइची फोर्टिस प्रमोटर मामले की सुनवाई 15 नवम्बर को
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नई दिल्ली: 2016 और 2018 के बीच फोर्टिस कंपनी के हेल्थकेयर का आकलन करने के लिए कि कंपनी के प्रभारी कौन था। इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय ने फोर्टिस के निदेशक मंडल से विवरण मांगा है। अदालत 15 नवंबर को इस मामले में तर्क सुनेगी। दाइची ने आरोप लगाया है कि सिंह और उनकी होल्डिंग कंपनी अदालत में अपने उपक्रमों का उल्लंघन कर रही है।

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बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने रैनबैक्सी लैबोरेटरीज लिमिटेड के पूर्व प्रवर्तक मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह पर उनके बैंक खातों के देश-विदेश में इस्तेमाल करने के साथ ही किसी भी तरह की संपत्ति की खरीद-बिक्री करने पर रोक लगा दी थी। दोनों भाई जापानी दवा कंपनी दाइची सांक्यो को पेमेंट करने के मामले में हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेश में कहा था कि वह बताएं कि दाइची को पेमेंट किस तरह करेंगे। दाइची को इस केस में एक मध्यस्थता कोर्ट से विजय मिली है।

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कोर्ट के मुताबिक दाइची को 3,500 करोड़ रुपये मिलने हैं और इसके अनुपालन के लिए उसने हाईकोर्ट का रुख किया है। जस्टिस राजीव शकधर ने इस मामले में सिंह बंधु के बयान दर्ज किए हैं। साथ ही उन्हें 7.59 करोड़ रुपये के पेंटिंग तोहफे की डीड, सिंगापुर के अपार्टमेंट के दस्तावेज और अन्य बैंक खातों की जानकारी जमा कराने के भी निर्देश दे चुके हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट दाइची सांक्यो की उस याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें उसने सिंगापुर न्यायाधिकरण के फैसले के क्रियान्वयन की अपील की है। इस मामले में न्यायाधिकरण ने 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा था। दाइची के वकील ने कहा कि मालविंदर ने अदालत के 19 फरवरी के उस फैसले की अवमानना की है, जिसमें दोनों भाइयों को संपत्तियों की बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

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अदालत ने कहा था कि दोनों भाइयों ने इस मामले के दौरान जिन संपत्तियों का खुलासा किया है उसकी बिक्री वे नहीं कर सकते। अदालत ने दोनों भाइयों और 12 अन्य पर अपने शेयरों या किसी अन्य चल अचल संपत्ति के स्थानांतरण पर रोक लगाई थी। आदेश के उल्लंघन पर संज्ञान लेते हुए न्यायाधीश ने कहा कि निश्चित रूप से यह अदालती निर्देशों के उल्लंघन का मामला है। ऐसे में मालविंदर को निर्देश दिया जाता है कि वह शेयरों की बिक्री से हासिल राशि अदालत की रजिस्ट्री के पास जमा कराएं।

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