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ज्ञानीजनों! दिल्ली के रास्तों को इंसानों से खाली कर दीजिए, हवा गुजरना चाहती है

Rishi
Published on: 10 Nov 2017 7:59 PM IST
ज्ञानीजनों! दिल्ली के रास्तों को इंसानों से खाली कर दीजिए, हवा गुजरना चाहती है
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दिल्ली और धुंध पिछले कुछ दिनों में इतना चर्चा में है कि कई निर्देशक इसपर फिलिम की तैयारी करने लगे हैं। सोशल प्लेटफार्म पर ज्ञानीजन अपना सारा ज्ञान उड़ेल दे रहे हैं। जिसे देखों ज्ञानदत्त बना दिल्ली की धुंध का ठीकरा पराली के सिर फोड़ पर्यावरणीय बुद्धिजीवियों की तरह एक्ट करने में लगा है। लेकिन मम्मी कसम बताए दे रहे हैं, कि ऐसा करने वाले वे ज्यादा हैं जिनके सामने अगर पराली रख दी जाए तो वे इस बला को पहचान भी नहीं पाएंगे।

मान्यवर अरविंद केजरीवाल पानी उड़ेल इतिश्री कर स्वनामधन्य हो चुके हैं। विरोधियों के पास भी कुछ खास नहीं है कहने को। अधकचरे ज्ञान के साथ लगे पड़े हैं कुर-कुर कर्र-कर्र करने में। लेकिन मालिक इस जानलेवा धुंध को डिकोड करने के लिए थोड़ा ऊपर उठकर सोचना पड़ेगा। जो फिलहाल दिल्ली के बस की बात नहीं है।

ज्ञानीजनों! पहले तो ये जान लीजिए कि दिल्ली कोई शहर नहीं है बल्कि ऐसा प्रदेश है, जहां जनता ही पहाड़ है, जनता ही वनस्पति है और जनता ही जीव-जंतु है। यहां मानव निर्मित उंचे पहाड़ भी हैं जो हमेशा सुलगते रहते हैं, उनकी बात भी करो भैया कहे किसानों पर चढ़ रहे हो।

अब मुंबई को देख लीजिए जगह कम थी। इसलिए वो ऊंची होती गई। लेकिन दिल्ली के पास एनसीआर था तो हलवाई की पत्नी की तरह पसरती चली गई। इसलिए वो मिक्स और मेस दोनों हो चुकी है। दिल्ली में जो भी मिला उसने दिल्ली का सिर्फ दोहन किया।

अब देखिए ना यमुना मैया इतनी मैली हो चुकी हैं कि अगर उनका पानी दिल्ली पर उड़ेल दिया जाए तो बेचारे दिल्ली वाले 101 बीमारीयों के शिकार हो जाएंगे। धुंध को कम करने के लिए हेलीकॉप्टरों से पानी बरसाया जाता है इससे धुंध हट जाती है। लेकिन हम ऊपर बता चुके हैं कि यमुना मैया चाह कर भी मदद नहीं कर सकती। वो बेचारी तो खुदे अपनी मुक्ति का मार्ग तलाश रही हैं।

बुरा मत मानिए! लेकिन दिल्ली को लोगों ने एक विकृति बना दिया है जो बीते सत्तर सालों में निर्मित हुई है। दिल्ली देश की राजधानी है। राजधानी के हिसाब से यहां जो होना था सरकार ने वह भी बना दिया और जो नहीं होना चाहिए था वह भी बना दिया। दिल्ली को लोगों ने अपनी महबूबा बना दिया लेकिन बदले में ये नहीं देखा कि उनकी महबूबा चाहती क्या है।

इस समय यमुना पर अनगिनत पुल बने हुए हैं। फ्लाईओवर यहां शायद एशिया में सर्वाधिक हैं। मेट्रो यहां तीनों लोकों में चल रही है। अब दिल्ली का दम फूल चुका है। वह दम तोड़ने के लिए कारण खोज रही है।

सरकार को सार्वजनिक परिवहन पर बहुत काम करना होगा। राष्ट्रीय स्तर और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों, इकाइयों को अन्य राज्यों में स्थानांतरित करना होगा। धुआं छोड़ने वाले कारखानों, बिजली संयंत्रों को भी बाहर भेजना पड़ेगा, निर्माण कार्यों को रेगुलेट करना होगा। कुल मिलाकर दिल्ली को चरणबद्ध तरीके से खाली करवाना होगा। तभी दिल्ली का कुछ भला हो सकता है। वर्ना दिल्ली धुंध को यूं ही निमंत्रण देती रहेगी। मालिक बुरा लगे तो लगे लेकिन दिल्ली के रास्तों को इंसानों से खाली कर दीजिए, हवा गुजरना चाहती है।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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