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अब मिंटो में होगा दुश्मन का सफाया! भारत ने दुश्मनों के लिए खोला मौत का दरवाजा, बना रहा अटैक का घातक प्लान? पाकिस्तान-चीन की हुई बोलती बंद

India ET-LDCM missile: यह मिसाइल सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि पाकिस्तान और चीन जैसे भारत विरोधी देशों के लिए आसमान से बरसने वाली कयामत का अलार्म है। इसकी गति, क्षमता और रेंज ऐसी है कि युद्ध की सूरत में ये दुश्मन की सोच से पहले ही उसे तबाह कर देगी।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Jun 2025 9:41 PM IST (Updated on: 7 Jun 2025 9:53 PM IST)
India ET-LDHCM missile
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India ET-LDHCM missile

India ET-LDCM missile: जब कोई देश अपनी सरहदों से दूर बैठे दुश्मनों के दिलों में डर पैदा करने की काबिलियत हासिल कर ले, तो वह महज सैन्य शक्ति नहीं, एक रणनीतिक चेतावनी बन जाता है। भारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली ET-LDHCM (Extended Trajectory - Long Duration Hypersonic Cruise Missile) अब ठीक उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। यह मिसाइल सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि पाकिस्तान और चीन जैसे भारत विरोधी देशों के लिए आसमान से बरसने वाली कयामत का अलार्म है। इसकी गति, क्षमता और रेंज ऐसी है कि युद्ध की सूरत में ये दुश्मन की सोच से पहले ही उसे तबाह कर देगी। और यही है इसका असली डर स्पीड, सटीकता और रणनीतिक चुप्पी।

‘प्रोजेक्ट विष्णु’ से निकला महाशक्तिशाली अस्त्र

भारत सरकार और DRDO द्वारा विकसित ET-LDHCM, 'प्रोजेक्ट विष्णु' का हिस्सा है एक गुप्त लेकिन अब धीरे-धीरे उजागर हो रहा हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम, जिसका मकसद भारत को युद्ध के भविष्य के लिए तैयार करना है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से करीब 8 गुना तेज यानी मैक 8 (लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार से उड़ान भर सकती है। 1,500 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज और किसी भी दिशा में मुड़ सकने वाली इसकी क्षमता इसे पारंपरिक क्रूज मिसाइलों से कई कदम आगे ले जाती है। यह मिसाइल स्क्रैमजेट इंजन से चलती है, जो हवा से ऑक्सीजन खींचकर ईंधन जलाता है – जिससे यह बहुत लंबे समय तक हाई-स्पीड में उड़ती है। इसकी यह विशेषता इसे ‘लॉन्ग ड्यूरेशन’ हाइपरसोनिक बनाती है। इसकी गति और निचली ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता इसे रडार से बचा लेती है, यानी जब तक दुश्मन को इसका आभास हो, तब तक उसका ठिकाना खाक हो चुका होता है।

रडार भी नहीं पकड़ पाएगा, इंटरसेप्ट करना नामुमकिन

दुनिया भर की सेनाएं अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली पर अरबों डॉलर खर्च करती हैं। लेकिन ET-LDHCM जैसी हाइपरसोनिक मिसाइल इन सबको लगभग बेकार कर देती है। इसकी गति इतनी अधिक होती है कि मौजूदा एंटी-मिसाइल सिस्टम इसे पकड़ भी नहीं सकते। अमेरिकी, रूसी और चीनी सिस्टम भी अभी तक इस स्तर की मिसाइल को रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हुए हैं। भारत अब इस मिसाइल के जरिए ‘नो एस्केप जोन’ की अवधारणा को साकार कर रहा है – एक ऐसा क्षेत्र जहां दुश्मन चाहे जितना तेज भागे, वो बच नहीं सकता। इस मिसाइल में 1000 से 2000 किलो तक का परमाणु या पारंपरिक पेलोड ले जाने की क्षमता है, जिससे यह एक सामरिक और रणनीतिक दोनों स्तर पर निर्णायक हथियार बन जाती है।

पाकिस्तान और चीन को क्यों मचनी चाहिए चिंता?

इस मिसाइल का लक्ष्य महज ताकत दिखाना नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को ऐसे स्तर पर पहुंचाना है जहां हमला करने से पहले दुश्मन सौ बार सोचे। चीन की लगातार बढ़ती आक्रामकता, ताइवान से लेकर अरुणाचल तक की हलचलें, और पाकिस्तान की आतंकी छायावादी रणनीतियों के बीच यह मिसाइल एक स्पष्ट संकेत है – अब भारत पहले से कहीं ज्यादा तैयार है। पाकिस्तान की मिसाइल डिफेंस क्षमता सीमित है और उसकी सैन्य अर्थव्यवस्था जर्जर हाल में है। ऐसे में ET-LDHCM जैसी मिसाइल उसके लिए एक रणनीतिक दहशत का कारण बन सकती है। वहीं चीन के पास हाइपरसोनिक हथियार हैं, लेकिन भारत की यह ‘मेक इन इंडिया’ उपलब्धि उसे यह एहसास जरूर दिलाएगी कि दक्षिण एशिया में अब वह अकेला नहीं है।

2030 से पहले भारत बन जाएगा हाइपरसोनिक सुपरपावर?

DRDO के अनुसार, 2025 में इस मिसाइल का सफल ग्राउंड टेस्ट हो चुका है, जिसमें यह लगातार 1000 सेकंड तक अपनी गति बनाए रखने में सक्षम रही। 2026 के भीतर इसका फुल स्केल रियल-टाइम ट्रायल होगा। अनुमान है कि 2030 तक भारत के पास पूरी तरह से परिचालित हाइपरसोनिक मिसाइल स्क्वाड्रन होंगे, जो समुद्र, हवा और जमीन – तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च किए जा सकेंगे। यहां तक कि DRDO ने इसे इस तरह से डिजाइन किया है कि यह भारतीय नौसेना के विमान वाहकों, वायुसेना के Su-30 MKI जैसे फाइटर जेट्स और थलसेना के मोबाइल लॉन्चर्स से लॉन्च किया जा सकता है।

'स्पाइडर मैन' से प्रेरित भारत की भविष्य तकनीक

इस प्रोजेक्ट को लेकर एक और दिलचस्प पहलू यह है कि इसके डिजाइन और कार्यक्षमता में स्पाइडर मैन जैसी साइंस-फिक्शन फिल्मों की प्रेरणा देखी जा सकती है। ठीक उसी तरह जैसे स्पेस स्टेशन से ड्रोन निकलकर टारगेट पर हमला करता है, वैसे ही ROS यानी रूसी ऑर्बिटल स्टेशन पर परीक्षण के लिए इस तकनीक का एक संस्करण विकसित किया जा रहा है, जो रोबोटिक सिस्टम से मिसाइल लॉन्चिंग और लक्ष्यभेदन करेगा। भारत भी इसी दिशा में भविष्य की सोच के तहत इस टेक्नोलॉजी को अपने स्पेस-मिलिट्री प्रोजेक्ट्स में लागू कर सकता है। यानी आने वाले समय में भारत के पास ऐसे अंतरिक्ष हथियार हो सकते हैं, जो ऑर्बिट से हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम होंगे।

सिर्फ हथियार नहीं, हाइपर टेक्नोलॉजी का द्वार भी

ET-LDHCM केवल रक्षा के नजरिए से ही नहीं, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता और औद्योगिक रोजगार के लिहाज से भी एक क्रांतिकारी कदम है। इसके निर्माण से जुड़ी हजारों नौकरियां, MSME सेक्टर की भागीदारी और निजी उद्योगों को DRDO के साथ जोड़ने का नया रास्ता खुला है। भारत की बढ़ती सैन्य ताकत अब घरेलू उत्पादन के साथ वैश्विक निर्यात बाजार की ओर भी देख रही है।

'प्रलय' नहीं चेतावनी है यह

ET-LDHCM का मतलब सिर्फ मिसाइल नहीं है, बल्कि भारत का एक स्पष्ट संदेश है – “अब हम सिर्फ जवाब नहीं देंगे, बल्कि जरूरत पड़ी तो पहले भी चल सकते हैं।” चीन और पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि यह वही भारत है जिसने पहले शांति का पाठ पढ़ाया, लेकिन अब अगर ज़रूरत पड़ी तो ‘प्रलय’ मचा देने का सामर्थ्य भी रखता है। आने वाले वर्षों में जब यह मिसाइल अपने पहले ऑपरेशनल परीक्षण में आसमान को चीरती हुई निकलेगी, तो सिर्फ हवा में आवाज़ नहीं गूंजेगी दुश्मनों के दिलों में भी एक भयावह कंपन उठेगा। और तब वे समझेंगे कि अब भारत की गिनती सिर्फ परमाणु राष्ट्रों में नहीं, बल्कि हाइपरसोनिक महाशक्तियों में होती है।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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