×

चौथी क्लास तक पढ़ी जया बनी मिसाल, 'ग्रीन लेडी ऑफ बिहार' के नाम से है इनकी पहचान

अगर किसी के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। यह केवल कहने-सुनने भर की बात नहीं, बल्कि ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बिहार के नक्सल प्रभावित मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड के बंगलवा गांव की रहने वाली एक महिला जया ने।

priyankajoshi
Published on: 17 Dec 2017 12:39 PM IST
चौथी क्लास तक पढ़ी जया बनी मिसाल, ग्रीन लेडी ऑफ बिहार के नाम से है इनकी पहचान
X

मनोज पाठक

मुंगेर: अगर किसी के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। यह केवल कहने-सुनने भर की बात नहीं, बल्कि ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बिहार के नक्सल प्रभावित मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड के बंगलवा गांव की रहने वाली एक महिला जया ने।

चौथी क्लास तक पढ़ने वाली जया देवी आज अपने कामों की बदौलत न केवल दूसरों के लिए मिसाल बनी हैं, बल्कि लोग आज उनको पर्यावरण का पहरेदार तक मानते हैं। मुंगेर में उनकी पहचान आज 'ग्रीन लेडी ऑफ बिहार' की है। 34 वर्षीय जया देवी को बचपन से ही पढ़ाई का शौक था, लेकिन तब उनके गांव में लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता था और उनकी जल्द शादी भी कर दी जाती थी, ऐसा ही कुछ जया के साथ भी हुआ।

सामाजिक कार्य करने की थी इच्छा

जया ने बताया कि उनकी शादी सरादि गांव के एक लड़के के साथ मात्र 12 वर्ष की आयु में हो गई थी। उसके बाद उनके पति मुंबई कमाने चले गए। इसके बाद जब उनके पिता का देहांत हो गया, तो वह भी अपने मायके चली आई। इस बीच उनका परिवार बढ़ता गया। उनका पारिवारिक जीवन तो जरूर खुश था, परंतु संपूर्ण तौर पर वे अपनी जिंदगी से खुश नहीं थी और समाज के लिए कुछ करना चाहती थी।

लोगों को किया जागरुक

नक्सल प्रभावित इलाका रहने के कारण लोग किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते थे। जया ने तब सोचा कि अगर आवाज नहीं उठाई गई तो लड़कियों और महिलाओं का इसी तरह शोषण होता रहेगा। जया देवी ने सबसे पहले स्वयं सहायता समूह के काम करने के तरीके के बारे में 15 दिन का प्रशिक्षण लिया और लोगों को बचत करना सिखाने लगी। प्रारंभ में उन्होंने महिलाओं को प्रतिदिन एक मुट्ठी अनाज बचाने के लिए जागरूक की। उनका मानना था कि इस बचत के कारण लोगों को महाजन के दरवाजे नहीं जाना पड़ेगा।

स्वयं सहायता समूह में शामिल हुई महिलाएं

इस कार्य के बाद जया के साथ कई महिलाएं जुड़ती गई और फिर सप्ताह में पांच रुपये बचाने का निर्णय लिया गया। धीरे-धीरे जब उनके काम का विस्तार होता गया तब आसपास के दूसरे गांवों की महिलाएं भी उनसे जुड़ने लगी। जया बताती हैं, "शुरुआत में जब मैं दूसरी महिलाओं को अपने काम के बारे में बताने जाती थीं तो वे अपने घर का दरवाजा भी नहीं खोलती थीं। तब मैं घंटों उनके घर के बाहर बैठी रहती थी। जब भी महिला घर से बाहर निकलती तब ही उनको समझाती थी कि क्यों मैं तुम लोगों को स्वयं सहायता समूह में शामिल होने के लिए कह रही हूं।" वे बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह में जब पैसे बचने लगे तब उन पैसों को बैंक में जमा कर दिया गया। स्वयं सहायता समूह बनने के बाद जो भी महिलाएं इसकी सदस्य बनी उनको अपने जरूरी खर्चो के लिए समूह से ही कम ब्याज पर पैसा मिलने लगा। इस कारण वे साहूकारों से मिलने वाले कर्ज के चंगुल में फंसने से बच गई।

चलाया साक्षरता अभियान

यही नहीं जया ने गांव में शिक्षा का प्रसार करने के लिए साक्षरता अभियान भी चलाया। इसके लिए उन्होंने अखबारों और प्रचार के दूसरे तरीकों के जरिए लोगों से बच्चों की पुरानी किताबें मांगी और उन किताबों को गांव के बच्चों के बीच बांटने का काम किया। इस दौरान उन्होंने गांवों में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाया। हर साल सूखे के कारण फसलों के बर्बाद होने से परेशान किसानों के लिए भी जया ने कई काम किए।

रेन वटर हार्वेस्टिंग का भी लिया प्रशिक्षण

जया बताती हैं कि एक दिन वह खुद एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी के गवर्निग सदस्य किशोर जायसवाल से मिली। उन्होंने बारिश के पानी को बचाने की सलाह दी तथा बंजर जमीन पर पेड़ लगाने के लिए कहा। इसके बाद जया ने 'रेन वटर हार्वेस्टिंग' का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। वे बताती हैं, "क्षेत्र में 500 हेक्टेयर जमीन पर वाटरशेड बनने के बाद न केवल खेती सरल हुई बल्कि भूगर्भ पानी का स्तर भी बेहतर हुआ, जिससे स्थानीय किसानों को लाभ हुआ।"

गुरु के मार्ग दर्शन से बढ़ी आगे

जया देवी ने कई योजनाओं के तहत अन्य गांवों में भी बारिश का पानी बचाने के लिए तालाब, चेक डैम व पत्थरमिट्टी के अवरोध बांध वगैरह बनवाए। जया देवी कहती हैं, "किशोर जायसवाल मेरे गुरु हैं, क्योंकि मैं तो एक मामूली औरत थी। उनके मार्गदर्शन से ही मैं पर्यावरण को संरक्षित करने का काम कर सकी।"

पुरुस्कारों से भी नवाजा

ग्रीन लेडी के नाम से चर्चित मुंगेर की जया आज राष्ट्रीय स्तर चर्चित हैं। जया को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में वर्ष 2016-17 का नेशनल लीडरशिप अवार्ड दिया। जया को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से भी नवाजा गया है और दक्षिण कोरिया में आयोजित युवा कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्हें भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।

आईएएनएस

priyankajoshi

priyankajoshi

इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

Next Story