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कौन थे हरमोहन सिंह यादव, जिनकी बरसी के कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग से भाग लेंगे पीएम मोदी

Harmohan Singh Yadav: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल समाजवादी नेता रहे चौधरी हरमोहन सिंह यादवकी 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग से भाग लेंगे।

Krishna Chaudhary
Published on: 24 July 2022 5:52 PM IST
harmohan singh yadav 10th death anniversary
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हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि

Harmohan Singh Yadav: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) कल यानी सोमवार 25 जुलाई को समाजवादी नेता (Samajwadi party) रहे चौधरी हरमोहन सिंह यादव (Harmohan Singh Yadav) की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग से भाग लेंगे। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने ट्वीट कर दी है। हरमोहन यादव (Harmohan Singh Yadav) देश के एक दिग्गज नेता थे। लंबी सियासी पारी खेलने वाले हरमोहन यादव यादवों के बड़े नेता हुआ करते थे। उनका परिवार आज भी सियासत में है। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को यूपी में यादवों का नेता बनाने में उनका सबसे बड़ा योगदान रहा है। लेकिन मुलायम की पार्टी में पकड़ कमजोर होने के बाद से उनका परिवार अब सपा से दूर और बीजेपी (BJP) के समीप आता नजर आ रहा है।

कौन हैं हरमोहन यादव

चौधरी हरमोहन सिंह यादव (Harmohan Singh Yadav) का जन्म 18 अक्टूबर 1921 को कानपुर के एक छोटे से गांव मेहरबानसिंह का पुरवा में हुआ था। उनके पिता धनीराम सिंह यादव एक किसान थे और उनकी माता पार्वती देवी गृहणी थीं। हरमोहन सिंह दो भाई थे। बड़े भाई का नाम रामगोपाल सिंह यादव था। हरमोहन सिंह ने गया कुमारी से शादी की थी, दोनों के पांच बेटे और एक बेटी थी।

सियासी सफर

हरमोहन सिंह यादव (Harmohan Singh Yadav) ने 1950 के दशक में राजनीति में दस्तक दी। उस समय उनकी उम्र में 31 वर्ष हुआ करती थी, जब वह पहली बार 1952 में ग्राम प्रधान बने। 16 मई 1970 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए चुने गए। 1990 तक वह विधान परिषद के सदस्य और विधायक के रूप में कार्य करते रहे। फिर साल 1991 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया। इस दौरान उन्होंने कई संसदीय समितियों में सदस्य के तौर पर काम भी किया। साल 1997 में वह राज्यसभा के दूसरे कार्यकाल के लिए भी चुने गए। हरमोहन सिंह यादव पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और दिग्गज समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के काफी करीबी थे। इमरजेंसी का विरोध करने पर उन्हें भी जेल जाना पड़ा था।

मुलामय सिंह यादव को बनाया नेता

हरमोहन सिंह यादव (Harmohan Singh Yadav) यादव समुदाय (Yadav community) में काफी पैठ रखते थे। वह अखिल भारतीय यादव महासभा (All India Yadav Mahasabha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बताया जाता है कि उन्हीं के पहल पर यादव महासभा में यादवों के सर्वमान्य के तौर पर मुलायम सिंह यादव का नाम प्रस्तावित किया गया था। पहले यादव पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह का वोट बैंक हुआ करते थे। हरमोहन सिंह के परिवार और मुलायम परिवार के बीच घनिष्ठता का ये वजह है।

1991 में हरमोहन सिंह को मिला था शौर्य चक्र

1984 के सिख विरोधी दंगों से छह साल पहले हरमोहन सिंह यादव अपने परिवार के साथ किसी दूसरे स्थान पर रहने चले गए थे। बताया जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शुरू हुए दंगों के दौरान हरमोहन अपने बेटे सुखराम के साथ घर पर थे। उसी दौरान स्थानीय सिख उनसे शरण मांगने उनके पास आए और यादव परिवार ने उन्हें हमलावरों के तितर-बितर होने या उनकी गिरफ्तारी होने तक हमले से बचाने के लिए शरण दी। उनके इस आचरण के लिए साल 1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर.वेंकटरमण ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। 24 जुलाई 2012 को 91 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

यादव वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी में भाजपा

उत्तर प्रदेश में यादव जाति की दो उपजातियां हैं घोसी और कमरिया। यादवों में कमरिया की आबादी 25 प्रतिशत है और घोसी की आबादी 74 प्रतिशत। मुलायम सिंह यादव कमेरिया यादव हैं जबकि चौधरी हरमोहन सिंह घोसी यादव हैं। ऐसे में बीजेपी अब हरमोहन सिंह यादव के बहाने यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुट गई है। पार्टी के निशाने पर घोसी उपजाति है। इस रणनीति को अमलीजामा पहनाने की शुरूआत हो चुकी है। हरमोहन के पौत्र मोहित यादव बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा हरमोहन के पुत्र और सपा से पूर्व राज्यसभा सांसद सुखराज सिंह यादव भी बहुत जल्द बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।



Deepak Kumar

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