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उत्तराखंड: जानें, सरकार की हिमोत्थान परियोजना का लोगों को कैसे मिल रहा लाभ
देहरादून: हिमोत्थान परियोजना के तहत उत्तराखंड में जल स्रोतों की मैपिंग और सूख रहे स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए 300 गांवों में कार्य चल रहा है। इसके साथ ही जल की गुणवत्ता पर भी कार्य किया जा रहा है। हिमोत्थान सोसायटी ने विभिन्न कृषि उत्पादों के बीज का उत्पादन भी किया है। इस वर्ष 300 क्विंटल बीज का उत्पादन कर किसानों को वितरित किया गया है। इससे फसल का उत्पादन बढ़ा है।
हिमोत्थान सोसायटी ग्राम्य विकास, कृषि, वानिकी, पशुपालन, शिक्षा, डेरी आदि विभागों और विशेषज्ञ संस्थानों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। बताया गया कि 10 पर्वतीय जनपदों में 35 क्लस्टर के माध्यम से 650 गांवों में कार्य किया जा रहा है। इससे 63,000 लोगों को लाभ मिल रहा है। मुख्य सचिव ने मंगलवार (16 जनवरी) को सचिवालय में हिमोत्थान परियोजना की राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता की। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड के उत्पादों का अपना अलग ब्रांड नेम होना चाहिए, इससे उत्तराखंड की पहचान बनेगी।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि हिमोत्थान सोसायटी को मृदा परीक्षण कर किसानों को हेल्थ कार्ड भी देना चाहिए। किसानों को बताया जाए कि किस मिट्टी में कौन सी फसल का उत्पादन हो सकता है। आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करना चाहिए। इसके साथ ही कौशल विकास पर भी फोकस करने की जरूरत है।
बैठक में बताया गया, कि 18000 घरों के लिए 10 फसलों के उत्पादन और बाजार लिंकेज का कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2018 से 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए मिशन मोड में कार्य करने की योजना बनाई गई है। पशुओं को चारा उपलब्ध कराने के लिए 1,100 हेक्टेयर जमीन पर उत्पादन किया जा रहा है। इससे 500 गांवों के 25,000 परिवारों को लाभ मिल रहा है। 100 गांवों में 12 क्लस्टर बनाकर 2000 पशुपालकों को बकरी पालन का लाभ दिया जा रहा है। इसके अलावा स्वरोजगार, शिक्षाए, स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, कौशल विकास की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है।