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IMA ने कहा- भारतीय बच्चों में बढ़ रहे ब्रेन ट्यूमर के मामले, जानें इससे बचने के उपाय

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि देश में हर साल करीब 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं।

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Published on: 26 July 2017 3:36 PM IST
IMA ने कहा- भारतीय बच्चों में बढ़ रहे ब्रेन ट्यूमर के मामले, जानें इससे बचने के उपाय
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नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि देश में हर साल करीब 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। चिंता की बात यह है कि पिछले साल यह आंकड़ा केवल पांच प्रतिशत ही ऊपर था। साथ ही, हर साल लगभग 2,500 भारतीय बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा रोग पाया जा रहा है।

आईएमए के अनुसार, मेडुलोब्लास्टोमा बच्चों में पाया जाने वाला एक घातक प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर है। यह मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) के माध्यम से फैलता है और मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी की सतह से होता हुआ अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। यदि उपचार प्रक्रिया का सही ढंग से पालन किया जाता है, तो इन मामलों में से लगभग 90 प्रतिशत का इलाज संभव है। अध्ययनों से पता चलता है कि मस्तिष्क ट्यूमर ल्यूकेमिया के बाद बच्चों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है।

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आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "मस्तिष्क क्षति किसी भी उम्र में हो सकती है और यह एक गंभीर समस्या है। इससे सोचने, देखने और बोलने में समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। ब्रेन ट्यूमर का एक छोटा सा हिस्सा आनुवंशिक विकारों से जुड़ा हुआ है। बाकी लोगों को यह किसी विषाक्त पदार्थ के सेवन, मोबाइल तरंगों जैसी किसी अन्य कारण से भी हो सकता है।"

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "ट्यूमर यदि ब्रेन स्टेम या किसी अन्य भाग में है, तो हो सकता है कि सर्जरी संभव न हो। जो लोग सर्जरी नहीं करवा सकते उन्हें विकिरण चिकित्सा या अन्य उपचार मिल सकता है। इसके लक्षणों में प्रमुख है- बार-बार उल्टी आना और सुबह उठने पर सिर दर्द होना। इसे जांचने में चिकित्सक कभी जठरांत्र रोग या माइग्रेन भी मान बैठते हैं।"

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उन्होंने कहा, "मेडुलोब्लास्टोमा रोग से पीड़ित बच्चे अक्सर ठोकर खाकर गिर जाते हंै। उन्हें लकवा भी मार सकता है। कुछ मामलों में, चक्कर आना, चेहरा सुन्न होना या कमजोरी भी देखी जाती है।"

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "मेडुलोब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों के लिए सिर्फ दवाएं ही काफी नहीं होती। यह सुनिश्चित करें कि ट्यूमर वापस तो नहीं आया, कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा और बच्चे के समग्र स्वास्थ्य पर नजर रखने की जरूरत है। अधिकांश बच्चों को इस बीमारी के इलाज के बाद ताउम्र चिकित्सक के संपर्क में रहने की जरूरत होती है।"

अगली स्लाइड में जानिए क्या हैं बच्चों में कैंसर को रोकने के लिए सुझाव

बच्चों में कैंसर को रोकने के लिए कुछ सुझाव :-

* रसायनों और कीटनाशकों के जोखिम से बचें। यह गर्भवती माताओं के लिए विशेष रूप से जरूरी है।

* फलों और सब्जियों का सेवन करें और नियमित रूप से व्यायाम करें।

* धूम्रपान और मदिरापान से दूर रहें।

--आईएएनएस



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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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